महाराष्ट्र के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिरीष वलसंगकर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह खबर स्तब्ध करने वाली है, क्योंकि डॉ. वलसंगकर न केवल एक सफल सर्जन थे, बल्कि हजारों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण भी थे। उनके द्वारा किए गए जटिल ऑपरेशनों की सफलता के कारण लोग महीनों तक उनका इंतजार करते थे।
उनका जीवन हर दृष्टि से समृद्ध था। पत्नी, बेटा और बहू—all डॉक्टर। खुद का चार्टर्ड प्लेन, जिससे वे विभिन्न राज्यों में जाकर मरीजों का इलाज करते थे। मान-सम्मान, प्रसिद्धि और भौतिक सुख-सुविधाएं—सब कुछ था उनके पास।
परिवार के साथ भोजन करने के बाद उन्होंने अपने कमरे में जाकर लाइसेंसी पिस्टल से खुद को गोली मार ली। आत्महत्या के पीछे की वजह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है।
यह घटना दर्शाती है कि सफलता और मुस्कान के पीछे भी कोई दर्द छिपा हो सकता है। हर व्यक्ति की अपनी लड़ाई होती है। मानसिक परेशानियों को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। हमें संवेदनशील और जागरूक बनना होगा।


