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वेतन विसंगति के मुद्दे पर जाकेश साहू आगबबूला….. मनीष मिश्रा पर बोला करारा हमला….. जाकेश साहू ने मनीष मिश्रा को बताया सपनो का सौदागर, कहा धोखेबाज और गद्दार….. सरकार के हाथों वेतन विसंगति को बेचने का लगाया गंभीर आरोप ….

वेतन विसंगति के मुद्दे पर जाकेश साहू आगबबूला….. मनीष मिश्रा पर बोला करारा हमला….. जाकेश साहू ने मनीष मिश्रा को बताया सपनो का सौदागर, कहा धोखेबाज और गद्दार….. सरकार के हाथों वेतन विसंगति को बेचने का लगाया गंभीर आरोप ….
➡️ सपनों का सौदागर मनीष मिश्रा विसंगति के नाम पर प्रदेश के हजारों सहायक शिक्षकों को 3 साल से बना रहा बेवकूफ और मूर्ख….
➡️ पदोन्नति एक स्वाभाविक प्रक्रिया….यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया…. पदोन्नति के लिए किसी प्रकार से लामबंद होने की आवश्यकता नहीं …..

रायपुर //-

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के संस्थापक, प्रदेश में सहायक शिक्षकों के फायर ब्रांड नेता एवं सहायक शिक्षक/शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष जाकेश साहू ने वेतन विसंगति के मुद्दे पर मनीष मिश्रा पर करारा हमला बोलते हुए उन्हें सपनो का सौदागर, धोखेबाज और गद्दार कहा है।
यह बात उल्लेखनीय है कि विगत 3 सालों से वेतन विसंगति का मुद्दा सहायक शिक्षकों के बीच छाया रहा। सहायक शिक्षकों ने वेतन विसंगति दूर करने को लेकर प्रदेशभर के सहायक शिक्षकों को शामिल कर 13 संस्थापक सदस्यों ने एक संगठन छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन बनाया तथा वेतन विसंगति के मुद्दे पर लड़ाई लड़ने का रणनीति बनाया। बाद में मनीष मिश्रा द्वारा 13 सदस्यों को षडयंत्र पूर्वक बाहर कर एवं साइडलाइन कर स्वयं प्रदेश अध्यक्ष बन कर, प्रदेश के सहायक शिक्षकों को लगातार 3 साल तक वेतन विसंगति दूर करनें का सब्जबाग दिखाता रहा, तरह तरह से उनके भविष्य के साथ सौदेबाजी करते रहा।
लेकिन जब सरकार के पास वेतन विसंगति के मुद्दे को रखने की बारी आई, असली वक्त आया और जब कमिटी का एक वर्ष पूरा हो गया तब मनीष मिश्रा वेतन विसंगति के मुद्दे को छोड़कर पदोन्नति के पीछे पड़ा हुआ है।
मनीष मिश्रा द्वारा अपने सीनियर शिक्षक साथियों को लाभ देने के लिए उनके पदोन्नति के पीछे पड़ा हुआ है। प्रदेश के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव और डायरेक्टर से बार-बार जाकर मिल रहा है तथा हाई कोर्ट द्वारा सचिव स्तर के अधिकारियों से शपथ पत्र लेने के आदेश के बाद मनीष मिश्रा बार-बार हाईकोर्ट से लेकर मंत्रालय तक का चक्कर लगा रहा है। आखिर इसका मायने क्या है…???
सीधी सी बात है पदोन्नति एक स्वाभाविक व निरंतर प्रक्रिया है। जो समय समय पर होते रहता है। पदोन्नति हाई कोर्ट में लंबित है और शिक्षा विभाग में पदोन्नति हर 5 साल में होती है, मामला कोर्ट में लंबित है, कोर्ट ने शपथ पत्र देने को कहा है।
मनीष मिश्रा को चाहिए कि विसंगति के मुद्दे को वह उठाता, सरकार के पास इस बात को रखता की वेतन विसंगति कमेटी पूरा एक साल हो गया है। मनीष मिश्रा सहायक शिक्षक सीनियर साथियों का प्रमोशन के चक्कर में लगा हुआ जबकि सीनियर साथियों का तो पदोन्नति होना ही होना है पदोन्नति को तो कोई रोक ही नहीं सकता। यह आज नहीं तो कल होना ही होना है।
मनीष मिश्रा शपथ पत्र देने के लिए संगठन के पैसे से हाई कोर्ट में वकील नियुक्त कर रखा है। जिससे कि उनके सीनियर साथी प्रधान पाठक बन सके, सीनियर साथियों को भी यह बात समझना होगा की प्रधान पाठक बनने की प्रक्रिया स्वभाविक है, प्रमोशन आज नहीं तो कल होना ही है, पदोन्नति सहायक शिक्षकों की कभी मांग ही नहीं रही है। क्योंकि पदोन्नति तो होना ही है।
सहायक शिक्षकों की मुख्य मांग तो वेतन विसंगति को दूर करना रहा है और इसी को लेकर हम आंदोलन करते रहे हैं, लेकिन मनीष मिश्रा आज वेतन विसंगति को मुद्दे को छोड़कर प्रमोशन के पीछे पड़ा हुआ है। यह व्यक्ति अपने आप को हाइलाइट कर फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहता है। यह व्यक्ति सपनों का सौदागर है, प्रदेश के सहायक शिक्षकों को वेतन विसंगति को दूर करने का सब्जबाग और झूठा सपना दिखाकर 3 सालों तक लोगो को बेवकूफ बनाते आया है और आज जब विसंगति की फाइनल लड़ाई लड़ी जानी है तब यह व्यक्ति वेतन विसंगति के मुद्दे को सरकार के हाथों बेचकर पदोन्नति के पीछे पड़ा हुआ है।
सहायक शिक्षकों के फायर ब्रांड नेता जाकेश साहू ने आगे कहा कि विगत 3 सालों से प्रदेश के सहायक शिक्षकों को मनीष मिश्रा ने वेतन विसंगति का लाली पाप और सब्जबाग दिखाया, कभी कहा कि सितंबर माह के पहले वेतन विसंगति दूर होगी, कभी कहा दीपावली के पहले वेतन विसंगति की दूर होगी, कभी कहा होली के पहले वेतन विसंगति दूर होगी।
प्रदेश के सहायक शिक्षकों को आंदोलन में झोंका, हम सब आंदोलन करते रहे, हम सब से चंदा लिया, बार-बार बैठकों में बुलाया, वेतन विसंगति कि लोगों को रट लगाते रहा, वेतन विसंगति दूर करने का आश्वासन देते रहा।
लेकिन जब वेतन विसंगति दूर करने का मेन समय आया तब यह व्यक्ति लोगों को मुद्दे से भटकाने के लिए पदोन्नति के पीछे पड़ गया, जबकि पदोन्नति एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो आज नहीं तो कल होना ही होना है। इसमें किसी प्रकार की राजनीति, आंदोलन, धरना प्रदर्शन करने की आवश्यकता है ही नहीं। इससे साफ जाहिर होता है कि मनीष मिश्रा वेतन विसंगति के नाम पर प्रदेश के सहायक शिक्षकों को विगत 3 साल से झूठ बोलते रहा, धोखेबाजी करते रहा, विश्वासघात करते रहा, लोगों के पीठ में छुरा भोकते रहा, इस प्रकार मनीष मिश्रा धोखेबाज, शब्जबाग और गद्दारों का सरदार साबित हुआ। प्रदेश के सहायक शिक्षक ऐसे व्यक्ति से हमेशा सावधान और सतर्क रहें तथा अपने जिला और सभी ब्लॉक अध्यक्षों को मनीष मिश्रा से दूर रहने कहे एवं संगठन से ऐसे व्यक्ति को बर्खास्त करें। जाकेश साहू ने कहा कि क्या प्रदेश में कोई ऐसा जिला अध्यक्ष या संभाग अध्यक्ष या ऐसा कोई ब्लॉक अध्यक्ष या अन्य व्यक्ति नहीं है जो इमानदारी से छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन अथवा प्रदेश के सहायक शिक्षक साथीयों का नेतृत्व करें। क्या एक सामूहिक नेतृत्व तैयार नहीं किया जा सकता….???? जिससे कि वेतन विसंगति के मुद्दे पर एक ठोस समाधान हो सके। आश्चर्य का विषय है।

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