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शिक्षा मंत्री बोले-मेरे बयान का विरोध करने वाले टीचर बेवकूफ:मैंने कहा था शिक्षिकाएं पूरे कपड़े पहनें, इससे बच्चों पर गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा..!!

शिक्षा मंत्री बोले-मेरे बयान का विरोध करने वाले टीचर बेवकूफ:मैंने कहा था शिक्षिकाएं पूरे कपड़े पहनें, इससे बच्चों पर गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा..!!

बारां

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने टीचर्स के कम कपड़े पहनकर स्कूल आने के अपने बयान पर फिर सफाई दी है। हालांकि, दिलावर ने उनके बयान का विरोध करने वालों को बेवकूफ और मूर्ख बताया है। शुक्रवार को बारां में दिलावर ने कहा- वे शिक्षक बेवकूफ हैं, जो मैंने कहा, उसके विरोध में बोल रहे हैं।

मैंने ये कहा था कि जो विद्यार्थी है, वो आधा समय अपने अभिभावक, माता-पिता के पास रहता है और आधा समय स्कूल में रहता है। तो मां-बाप और गुरुजनों को ध्यान रखना चाहिए है कि हम कैसा व्यवहार कर रहे हैं। क्या खा रहे हैं, क्या पहन रहे हैं, कैसी हमारी दृष्टि है। इससे बच्चे सीखते हैं। संस्कार दोनों जगह से पाते हैं।

जो हमारा परिवेश, वैसे कपड़े पहनें
दिलावर ने कहा- ऐसे में कई बार मैंने कहा है कि जो शिक्षिकाएं हैं, पूरे कपड़े पहनें, जो हमारा परिवेश है और जिस परिवेश में हम रहते हैं, उस प्रकार के कपड़े नहीं पहनकर आने से बच्चों पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर इसको गलत मानते हैं, तो उनसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने शुक्रवार को बारां के मिनी सचिवालय में एक दर्जन भूमिहीन लोगों को मकानों के पट्‌टे वितरित किए।

दो दिन पहले कहा था- कुछ टीचर पूरा शरीर दिखाकर स्कूल आते हैं
शिक्षा मंत्री बुधवार को नीमकाथाना के नृसिंहपुरी गांव में उच्च प्राथमिक संस्कृत स्कूल भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में गए थे। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था- कई शिक्षक-शिक्षिकाएं पूरा शरीर दिखाकर स्कूल जाते हैं। इससे बच्चे और बच्चियों पर अच्छा संस्कार नहीं पड़ता। इन लोगों को सोचना चाहिए कि मैं शिक्षिका, शिक्षक हूं। हमें कैसा पहनावा पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों से कहा था- हमारा आचरण ऐसा रहे कि बिना कुछ बोले भी बच्चे हमसे संस्कार ले सकें।

सफाई में बोले थे- टीचर बच्चों के सामने आदर्श प्रस्तुत करें
अपने इस बयान पर दिलावर ने गुरुवार को जोधपुर में भी सफाई दी थी। दिलावर ने कहा था- मैंने यही कहा था कि टीचर स्कूल में कम कपड़े पहन कर आते हैं, अर्धनग्न होकर आते हैं। इसके पीछे का भाव ये था कि सभी टीचर अच्छे कपड़े पहनकर आएंगे। टीचर्स को अपने आप को बच्चों के सामने आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना पड़ेगा, जिससे बच्चे संस्कार ले सकें।

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