छत्तीसगढ़ समाचार

युक्तियुक्तकरण से शिक्षा की गुणवत्ता होगी प्रभावित, सरकार निजी संस्थानों को बढ़ावा देने की कर रही साजिश :संजय नेताम

युक्तियुक्तकरण से शिक्षा की गुणवत्ता होगी प्रभावित, सरकार निजी संस्थानों को बढ़ावा देने की कर रही साजिश :संजय नेताम

मैनपुर :-छग शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विगत दिनों जारी किए गए युक्तियुक्तकरण के आदेश पर अब प्रत्येक स्तर पर विरोध के स्वर दिखाई पड़ रहे हैं। पालकों, विभिन्न शिक्षक संघों के बाद अब जनप्रतिनिधियों ने भी इसे अव्यवहारिक करार देकर इसे वापस लेने की मांग की है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता संजय नेताम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे शिक्षा गुणवत्ता के हित में न होना बताकर वापस लेने की मांग की है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता काफ़ी हद तक प्रभावित होगी, सिर्फ एक प्रधानपाठक और एक सहायक शिक्षक के भरोसे नौनिहाल छात्रों का भविष्य कैसे संवरेगा। एक तरफ शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की बात करना वहीं दूसरी ओर इसके लिए कोई जतन नहीं करके उलटे सीधे अव्यवहारिक आदेशों को थोप रही है जिससे शिक्षा की अलख कैसे जगेगी यह प्रश्नचिन्ह है। इसके बाद भी न्याय के लिए यदि कोई न्यायालय की शरण में जाए तो उसके पहले हाईकोर्ट में सरकार की ओर से केविएट दायर कर दी गई है। पदोन्नति एवं नई नियुक्ति से बचने के युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षा विभाग में नई युक्ति का खेला हो रहा है। छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 7 अगस्त को हाईकोर्ट में केविएट लगा कर पुराने तिथि से 2 अगस्त को युक्तियुक्तकरण करने का आदेश जारी करने के पीछे शासन की मंशा स्कूल शिक्षा विभाग के पदों को योजनाबद्ध ढंग से पहले आत्मानंद स्कूल को पद हस्तांतरित कर दिए गए और अब स्कूलों का युक्तियुक्त कर पदोन्नति के पदों को खत्म कर पदोन्नति से बचने तथा हजारों की तादात में बीएड एवं डीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों को नौकरी से वंचित करने का सरकार की नई युक्ति है। सरकार नई भर्तियों से कतरा रही है जो राज्य के योग्य बेरोजगार युवाओं पर कुठाराघात है।शासन द्वारा जारी नीति में अनेको प्रकार की विसंगतियां हैं स्कूल शिक्षा के स्वीकृत सेटअप को ताक पर रखकर बनाई गई नीति का हम पुरजोर तरीके से विरोध करते हैं। यह सेटअप के साथ ही राजपत्र का भी खुला उलंघन है जो घोर निंदनीय व अमर्यादित भी है। शासन स्कूलों की गुणवत्ता समाप्त कर निजी शिक्षण संस्थाओं को बढ़ावा दे रही है जिससे बड़े व्यापारिक घरानों को लाभ पहुंचाया जा सकें। यह निजीकरण की दिशा में बढ़ाया गया अलोकतान्त्रिक कदम है जिससे स्कूल के छात्र छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी और नौनिहाल बच्चों का भविष्य अधर में लटक जायेगा। शासन को स्वीकृत सेटअप के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग की गतिविधि को सुचारु रूप से गतिशील करना चाहिए।

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