
पेण्ड्रा/दिनांक 11 सितम्बर 2023
शिक्षकों के हड़ताल अवधि के कटे वेतन को देने के लिए विधायक ध्रुव ने किया अनुशंसा
विधायक ने कहा कि हमारी सरकार ने वेतन काटने का आदेश नहीं दिया, इसलिए वेतन दिया जाए
बिलासपुर संभाग में सिर्फ जीपीएम जिले में हड़ताली शिक्षकों का वेतन काटा गया
वेतन कटने के कारण चुनावी समय में शिक्षकों की नाराजगी बढ़ सकती है
पेण्ड्रा / हड़ताल अवधि के रुके हुए वेतन की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में शिक्षक डीईओ कार्यालय पहुंचे और मरवाही के विधायक डॉक्टर केके ध्रुव का वेतन भुगतान करने संबंधी अनुशंसा पत्र डीईओ को सौंपा।
मरवाही विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉक्टर केके ध्रुव ने शिक्षकों को हड़ताल अवधि का वेतन देने की अनुशंसा करते हुए लिखा है कि सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय आह्वान पर जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के शिक्षक 10 अगस्त से 21 अगस्त तक 12 दिन तक हड़ताल में शामिल रहे। उन्होंने लिखा है कि हड़ताल अवधि का वेतन रोकने के संबंध में शासन के द्वारा कोई भी आदेश नहीं दिया गया है, इसलिए हड़ताल में शामिल सभी शिक्षकों के वेतन को दिए जाने की अनुशंसा करता हूं।
डॉ केके ध्रुव सत्ता पक्ष के विधायक हैं और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। उनके द्वारा वेतन भुगतान किए जाने की अनुशंसा करने के बाद शिक्षकों को उम्मीद है कि उनका काटा गया वेतन उन्हें दे दिया जाएगा। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में शिक्षक उपस्थित थे।
बिलासपुर संभाग में सिर्फ जीपीएम जिले में हड़ताल में शामिल शिक्षकों का वेतन काटा गया
बता दें कि बिलासपुर संभाग में सिर्फ एक मात्र गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिला है, जहां हड़ताल में शामिल शिक्षकों का वेतन काटा गया है जिसे शिक्षक दमन पूर्ण कार्यवाही मान रहे हैं। बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले बिलासपुर, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर चांपा, शक्ति, रायगढ़ जिले में हड़ताल अवधि का वेतन भुगतान शिक्षकों को कर दिया गया है। उसके बावजूद सिर्फ गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिला है जहां पर हड़ताल का वेतन काटा गया है।
वेतन कटने के कारण चुनावी समय में शिक्षकों की नाराजगी बढ़ेगी
इससे पहले किसी भी सरकार में शिक्षकों के हड़ताल अवधि का वेतन नहीं काटा गया था। यह पहली बार हुआ है कि हड़ताल अवधि का वेतन काटा गया है, जिसके कारण शिक्षकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। क्योंकि शिक्षक शासन के घोषणा पत्र में किए वायदे को पूरा करने की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे थे। लगभग तीन सप्ताह बाद आचार संहिता लगने की संभावना है, वहीं नवंबर माह में विधानसभा चुनाव का मतदान होने की संभावना है। ऐसे में जिन शिक्षकों का वेतन काटा गया है उन शिक्षकों की नाराजगी सामने आना स्वाभाविक बात है, क्योंकि इससे पहले किसी भी सरकार में शिक्षकों का हड़ताल का वेतन नहीं काटा गया था।


