जीपीएम/दिनांक 30 अगस्त 2023
जीपीएम जिले में शिक्षकों नहीं मिला वेतन, शिक्षा अधिकारी की मनमानी से रक्षा बंधन का त्यौहार फीका रहा
डीपीआई का निर्देश नहीं माना जीपीएम के अधिकारियों ने
हड़ताल अवधि का वेतन काटकर ट्रेजरी में बिल जमा किए जाने से शिक्षक नाराज
सरकार की मंशा के विपरीत काम कर चुनावी समय में शिक्षकों में असंतोष बढ़ा रहे अधिकारी
जीपीएम / इस वर्ष शिक्षकों के लिए रक्षा बंधन का त्यौहार फीका रहा, क्योंकि ब्लाक शिक्षा अधिकारी के मनमानी रवैए के कारण जीपीएम जिले में शिक्षकों का वेतन जमा नहीं हो पाया जिससे शिक्षकों में नाराजगी है। वहीं शिक्षकों का हड़ताल अवधि का वेतन काटकर ट्रेजरी में बिल जमा किए जाने से भी शिक्षक आहत हैं, जबकि शिक्षा संचालक रायपुर के द्वारा शासन के आगामी निर्णय तक वेतन नहीं काटने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उनके निर्देश को ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने नहीं माना।
जीपीएम जिले में आने वाले दिनों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षक संगठनों के बीच तनातनी बढ़ने के आसार दिख रहे हैं, क्योंकि शिक्षा अधिकारी के मनमानी रवैए के कारण जिले के शिक्षकों को रक्षा बंधन में वेतन नहीं मिल पाया। जबकि लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ रायपुर के संचालक सुनील कुमार जैन के द्वारा डीईओ के व्हाट्स ऐप ग्रुप में मैसेज भेजा गया था कि सहायक शिक्षकों का हड़ताल अवधि का वेतन अभी नहीं काटें, इस संबंध में शासन से निर्णय होगा तो कार्यवाही की जाएगी। डीपीआई का मैसेज मिलने के बाद भी तीनों ब्लाक में हड़ताली शिक्षकों का वेतन काटकर ट्रेजरी में जमा किए जाने से शिक्षक नाराज हैं। शिक्षकों का कहना है कि हड़ताल में शामिल हुए शिक्षकों के वेतन कटौती के सम्बंध में शासन के आगामी निर्णय के पालन की प्रत्याशा में हड़ताली शिक्षकों से शपथ पत्र लेकर भी पूरा वेतन बनाया जा सकता था, लेकिन ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने ऐसा नहीं किया।
सरकार की मंशा के विपरीत काम कर चुनावी समय में शिक्षकों में असंतोष बढ़ा रहे अधिकारी
सरकार की मंशा के विपरीत काम करके चुनावी समय में शिक्षकों को नाराज करने का काम स्थानीय शिक्षा अधिकारी रहे हैं जबकि शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव हड़ताली शिक्षकों को बुलाकर बात किए एवं 6 सितम्बर को पुनः शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं हड़ताली शिक्षकों के नेताओं की बैठक रखी गई है। शासन एक ओर हड़ताली शिक्षकों से बात कर रही वहीं दूसरी ओर स्थानीय अधिकारी शिक्षकों में असंतोष को बढ़ाने का काम कर रहे हैं, जो कि सरकार की मंशा के विपरीत है।


