गरियाबंद

अतिक्रमण पर तगड़ा प्रहार : उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की तीन अवैध बस्तियों पर चला बुलडोजर, गोहरामाल,ईचरादी नयापारा के 135 अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्यवाही ,बस्तर ओडिशा के लोग हैं शामिल जनप्रतिनिधि गण लोगो का करें भ्रम दूर

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 34 (क) एवं भारतीय वन अधिनियम 1927 (संशोधन) की
धारा 80 (क) के तहत् वर्तमान में की जा रही कार्यवाही 

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन में बाहरी व्यक्तियों जिनमें बस्तर क्षेत्र के व ओडिशा के लगभग 135 व्यक्तियों के द्वारा बड़े पैमाने पर संरक्षित वन क्षेत्र को साफ कर बस्ती बसा ली थी जिस पर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने गंभीरता से लेते हुये इसरो की मदद से उक्त अतिक्रमण कारियों को बेदखल करवा दिया वहीं उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुणजैन के पदस्थापना के बाद सक्रियता से अतिक्रमणकारियों के हौसले पस्त हों गये हैं।

प्रकरण क. (01)
वन परिक्षेत्र इंदागांव (बफर) के अंतर्गत परिसर बनवापारा के प्रभावित कक्ष क्रमांक 1239, 1243 वन क्षेत्र में लगभग 151.198 हेक्टेयर में जिसमें गोहरामाल एवं चिपाड नामक अवैध बस्ती निर्माण कर खेती किया जा रहा है। जिसमें कुल 70 व्यक्तियों के द्वारा अतिक्रमण के विरूद्ध ।

प्रकरण क. ( 02 )
वन परिक्षेत्र तौरेंगा (बफर) के अंतर्गत परिसर गरीबा के प्रभावित कक्ष
क्रमांक 1201, 1202 वन क्षेत्र में लगभग 200.000 हेक्टेयर में जिसमें ईचरादी,
नयापारा नामक अवैध बस्ती निर्माण कर खेती किया जा रहा है जिसमें कुल 65 व्यक्तियों के द्वारा अतिक्रमण के विरुद्ध ।
प्रकरण क. 01 का संक्षिप्त विवरण
उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद अंतर्गत इंदागांव परिक्षेत्र (बफर) के सर्कल इंदागांव परिसर बनवापारा में लभगग 151.198 हेक्टेयर में 70 व्यक्तियों के द्वारा अतिक्रमण किया गया है।
उक्त अतिमकमणकारियों के विरूद्ध नियमानुसार वन अपराध (पी.ओ.आर) दिनांक 11.04.2023 एवं
12.04.2023 जारी किया गया है तथा वर्ष 2013 एवं 2014 में भी 04 व्यक्तियों के विरूद्ध पूर्व में पी.ओ.आर जारी हुई है। अतिक्रमण प्रभावित वन कक्ष 1239
1243 में अतिक्रमण क्षेत्र का जीपीएस सेर्वे
कराया गया। तत्पश्चात ड्रोन कैमरा से उक्त वन भूमि का सर्वे किया जाकर प्राप्त ईमेज का मिलान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र) से मांगी गई (ISRO) LISS IV सैटेलाईट वर्ष 2008 एवं 2012 के मानचित्र (ईमेजरी) तथा गुगल अर्थ ईमेजरी वर्ष 2011 के माध्यम से उस लोकेशन का अवलोकन / मिलान किया गया। जिसमें प्रायः वर्ष 2011-12 एवं कुछ वन क्षेत्रों का वर्ष 2019-20 के बाद वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर झोपड़ी निर्माण एवं खेती करना प्रारंभ हुआ है। जिसके आधार पर इस कार्यालय के द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 34
(क) एवं भारतीय वन अधिनियम 1927 (संशोधन) की धारा 80 (क) के तहत बेदखली हेतु प्रथम नोटिस दिनांक 19.04.2023 को जिसमें 08 दिवस का समय दिया गया था। प्रथम नोटिस के तामिल पश्चात उक्त अतिक्रमणकारियों के द्वारा वन भूमि पर काबिज से संबंधित कोई भी संतुष्ट पूर्ण जवाब/ दावाआपत्ति प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिसके बाद पुनः द्वितीय नोटिस जारी दिनांक 02.05.2023 को जिसमें 07 दिवस का समय दिया जाकर तामिल कराया गया है।

उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद अंतर्गत तौरेंगा परिक्षेत्र (बफर) के सर्कल गाजीमुड़ा परिसर गरीबा में लभगग 200.000 हेक्टेयर में 65 व्यक्तियों के द्वारा अतिक्रमण किया गया है। उक्त अतिमक्रमणकारियों के विरूद्ध

नियमानुसार वन अपराध (पी.ओ.आर) दिनांक13.04.2023 जारी किया गया है।

अतिक्रमण प्रभावित वन कक्ष 1201, 1202 में अतिक्रमण क्षेत्र का जीपीएस सेर्वे कराया गया। तत्पश्चात ड्रोन कैमरा से उक्त वन भूमि का सर्वे किया जाकर प्राप्त ईमेज का मिलान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंन्द्र (राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र) से मांगी गई (ISRO) LISS IV सैटेलाईट वर्ष 2008 एवं 2012 के मानचित्र (ईमेजरी) तथा गुगल अर्थ ईमेजरी के माध्यम से उस लोकेशन का अवलोकन / मिलान किया गया। जिसमें प्रायः वर्ष 2011-12 एवं कुछ वन क्षेत्रों का वर्ष
2019-20 के बाद वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर झोपड़ी निर्माण एवं खेती करना प्रारंभ हुआ है।

जिसके आधार पर इस कार्यालय के द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 34 (क) एवं
भारतीय वन अधिनियम 1927 (संशोधन) की धारा 80 (क) के तहत बेदखली हेतु प्रथम नोटिस दिनांक 19.04.2023 को जिसमें 10 दिवस का समय दिया गया था। प्रथम नोटिस के तामिल पश्चात
उक्त अतिक्रमणकारियों के द्वारा वन भूमि पर काबिज से संबंधित कोई भी संतुष्ट पूर्ण
जवाब / दावाआपत्ति प्रस्तुत नहीं किया गया है।
जिसके बाद पुनः द्वितीय नोटिस जारी दिनांक
03.05.2023 को जिसमें 07 दिवस का समय दिया जाकर तामिल कराया गया है। तत्पश्चात अग्रिम
कार्यवाही की जावेगी।
उक्त अतिक्रमणकारियों के वर्तमान में गणना में पाया गया है कि 342 नग ठूंठ एवं गर्डलिंग
77 वृक्षों की किया जाना पाया गया है। इसके अतिरिक्त अतिक्रमणकारियों के द्वारा वृहद पैमाने पर
गर्डलिंग की गई है एवं वृक्षों के सूख जाने पर उनकी कटाई की गई है तथा ढूंठ को जला दिया जा रहा है, ताकि कोई सबूत न रहे। प्रथम दृष्टया यह भी संज्ञान में आ रहा है कि अतिक्रमणकारियों में यह भ्रांति फैली है कि कुछ वर्षो बाद उन्हें इस कब्जे की भूमि का वन अधिकार पत्र मिल सकता है ।
ईचरादी एवं
गोहरामाल बस्ती को देख कर अन्य अतिक्रमणकारी भी जंगल को कांट कर कब्जा करने की चेस्टा
में है।
ऐसी भी सूचना है कि अतिक्रमणकारी अपने कब्जे की भूमि को लीज पर देकर राज्य के
बाहरी व्यक्तियो से खेती किसानी करवा रहे है, साथ ही पेय जल हेतु बोरिंग / बोर तथा विद्युत हेतुसोलर सिस्टम पंचायत के माध्यम से प्रदाय किया जा रहा है। कुछ अतिक्रमणकारियों का मूल निवास स्थान विश्रामपुरी, दुधावा, नरहरपुर, माकड़ी, कांकेर एवं उडीसा आदि से भी है। ड्रोन सर्वे (वर्ष 2023) एवं ISRO Imagery ( वर्ष 2008, 2012) के मिलान से यह स्पष्ट है कि करीब 400 हेक्टेयर में वन क्षेत्र की सफाई की गयी है।
अतः अनुरोध है कि माननीय जनप्रतिनिधियों से इस विषय में कोई बयान दिया जावे ताकि लोगों में फैली भ्रांति दूर हो सकें

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