याचिकाकर्ता योगेश ठाकुर ने राज्य सरकार को विधि-सम्मत सरकार को अवमानना का लीगल नोटिस भेजा है।
अधिवक्ता जॉर्ज थॉमस कार्रवाई करनी ही होगी: सुको के जरिये यह लीगल नोटिस मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव और विधि एवं विधायी कार्य विभाग के सचिव को भेजा गया है इसमें साफ किया गया है कि, बिलासपुर उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर के फैसले से फिलहाल नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण पूरी तरह खत्म हो गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग और दूसरे विभागों को तत्काल बताना होगा कि, राज्य सरकार की ओर से कोई नया अधिनियम, अध्यादेश अथवा सर्कुलर जारी होने तक लोक सेवाओं एवं शैक्षणिक संस्थाओं में कोई आरक्षण नहीं मिलेगा कहा, हाईकोर्ट ने काफी विचार के बाद अधिनियमों को अपास्त किया याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को भेजा अवमानना नोटिस
। बिलासपुर। 3 सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर विद्या सिदार की विशेष अनुमति याचिका पर स्टे देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा, फिलहाल बिलासपुर हाईकोर्ट के
फैसले पर स्टे ऑर्डर नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने काफी विचार के बाद दो अधिनियमों को अलग (अपास्त)किया है। इस पर पर्याप्त सुनवाई होने
58% आरक्षण हाईकोर्ट ने कर दिया था खारिज आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 58 फीसदी किये जाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन द्वारा जारी अधिसूचना को
असंवैधानिक करार कर निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुनाते
हुए यह स्वीकार किया था कि, राज्य शासन की अधिसूचना से यह असंवैधानिक
स्थिति पैदा हो गई है। 50 प्रतिशत से अधिक का आरक्षण किसी भी परिस्थिति में
उचित और युक्तियुक्त नहीं है। याचिकाओं में राज्य शासन द्वारा लागू आरक्षण
संशोधन अधिनियम 2011 लागू 2012 को चुनौती दी गई थी। बताया गया की अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 फीसदी कर दिया गया, उनको 16 फीसदी
आरक्षण मिल रहा था। इसी तरह अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को बढ़ाकर 20
से 32 फीसदी कर दिया गया था।


