
बिलासपुर : हाईकोर्ट बिलासपुर ने अपने महत्वपूर्ण फैसले मे निलम्बन के 90 दिन बाद भी शासकीय कर्मचारी को सेवा में बहाल नहीं करने के मामले में हाईकोर्ट ने महानिदेशक, सिकल सेल संस्थान, रायपुर को याचिकाकर्ता को निलंबन से बहाल करने निर्देशित किया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टान्त के अनुसार 90 दिन बाद कर्मचारी बहाली का पात्र होता है।
वार्ड नं.11, बोदरी, जिला-बिलासपुर निवासी पंकज उपाध्याय सिकल सेल संस्थान, छत्तीसगढ़ रायपुर में स्टोर- क्रम-मेंन्टेनेन्स ऑफिसर के पद पर पदस्थ थे।
सेवाकाल के दौरान पंकज उपाध्याय के विरुद्ध शिकायतें प्राप्त होने पर महानिदेशक, सिकल सेल संस्थान रायपुर ने गत 13 जून 2022 को उन्हें सेवा से निलंबित कर 22 जुलाई 2022 को
आरोप पत्र जारी अधिवक्ताओं ने दिया यह तर्क अधिवक्ताओं द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि, महानिदेशक सिकल सेल संस्थान, रायपुर द्वारा 13 जून 2022 को आवेदक को सेवा से निलंबित किया गया उसके पश्चात 22 जुलाई 2022 को आवेदक के विरूद्ध आरोप पत्र जारी किया गया, परन्तु सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य के वाद में पैरा-21 में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि, यदि किसी शासकीय कर्मचारी को सेवा से निलंबित किया जाता है तो उसे निलंबन के 90 दिवस पश्चात सेवा में बहाल किया जाना आवश्यक है। यदि किसी शासकीय कर्मचारी को 90 दिन बाद भी यदि निलंबन में रखा जाना आवश्यक है तो उसके लिए ठोस कारण बताते हुए अनुशासनात्मक अधिकारी द्वारा विस्तृत आदेश पारित किया जाना अनिवार्य है।
याचिकाकर्ता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का घोर उल्लंघन किया गया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के पश्चात रिट याचिका को स्वीकार कर महानिदेशक, सिकल सेल संस्थान, रायपुर को निर्देशित किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी के वाद में प्रतिपादित न्यायदृष्टांत के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबन से बहाल करें। किया, परन्तु निलंबन दिनांक से 90 दिन बीत जाने के पश्चात भी आवेदक को निलंबन से बहाल नहीं किया गया। क्षुब्ध होकर पंकज उपाध्याय ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा के माध्यमसे हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी ।


