घोटालेबाज BEO देवभोग को किया गया निलंबित,
विभाग के खाते में जमा राशि का ब्याज ही गटक गए, लेखा-जोखे का वर्षों से नहीं कराया ऑडिट..!
गरियाबंद .. पिछले लंबे समय से देवभोग में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों पर अनैतिक दबाव की कार्यप्रणाली चलाने वाले तथा ब्लाक शिक्षा कार्यकाल में शाम होते ही महफ़िल सजाने वाले बीएओ को आखिर कार उनके वित्तीय अनिमितता के चलते निलंबित कर दिया गया । उनपर आरोप है कि इन्होंने कार्यालयीन खाते का दुरुपयोग किया ,वर्षो से आडिट तक नही कराया ,साथ ही विभागीय खाते का ब्याज ही डकार गए ।
बताया जाता है कि इनका देवभोग से ट्रांसफर होने के बाद भी अपना तिकड़म बिठा कर वापस देवभोग में ही आ जमते है । जिसके चलते कहा जाता था कि इनकी शिक्षा विभाग में सेटिंग तगड़ी है । यह पहला मामला नही है कहा तो यंहा तक जाता है कि जिस भी शिक्षक को लाख दो लाख रुपये की जरूरत हो तत्काल उपलब्ध करा देते थे किस एवज में ये जांच का विषय है । जिसकी शिकायत भी कलेक्टर गरियाबंद से की जा चुकी थी । आखिरकार उनका वित्तीय मामले का भंडाफोड़ हुआ , और पता चला को वर्षो से विभाग के खाते को अपने निजी खाते के रूप में उपयोग करते आ रहे है । अगर गम्भीरता से जांच की जाएगी तो और भी कई भारी भरकम अनिमितता उजागर होगी ।
स्कूल शिक्षा विभाग , रायपुर से जारी आदेश के अनुसार प्रदीप कुमार शर्मा , विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी , देवभोग , जिला गरियाबंद के विरूद्ध प्रारंभिक जांच में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई है उन्होंने वित्त विभाग के निर्देश दिनांक 5 जून 2012 के तहत समस्त शासकीय विभागों में ई – पेमेंट प्रणाली लागू होने से प्रशासकीय विभागों के आहरण संवितरण अधिकारी के पदनाम से चालू बैंक खाता Current Bank Acount होना आवश्यक था । किन्तु कार्यालय विखंशिअ , देवभोग के नाम से बचत खाता Saving Bank Acount संचालित है । उन पर आरोप है कि छ.ग. वित्तीय संहिता के नियम 5 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 284 अनुसार कुल 60 कर्मचारियों के वसूल की गई राशि को सीधे राज्य की लोक निधि में सीधे भुगतान न करते हुए , वसूली से प्राप्त राशि 65 लाख 82 हजार 534 रुपये एवं उससे प्राप्त ब्याज की राशि 14 लाख 33 हजार 543 रुपये का स्वयं के स्तर पर बिना किसी सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त किए बगैर ही व्यय किया गया है । साथ ही व्याज की राशि का व्यय किन उद्देश्यों की पूर्ति में किया गया है ,इसका कोई विवरण नहीं है । कुल राशि रू 5 लाख 32 हजार 258 रुपये वसूली शेष है , जिसमें ही श्री शर्मा द्वारा वसूली हेतु अपनायी गई रीति विधि अनुकूल ना होते हुए अस्पष्ट एवं भ्रामक है क्योंकि वसूली पंजी संधारित नहीं किया गया है । कार्यालय जनपद पंचायत देवभोग को अंतरित राशि रू . 28 लाख के अंतरण का औचित्यपूर्ण स्पष्ट कारण नहीं है और वर्ष 2013 से अब तक का ऑडिट नहीं कराया गया । वित्तीय नियम , 8 एवं 9 की घोर अनदेखी करते हुए व्यक्ति / कर्मचारी विशेष को बगैर काम के दो – तीन माह का वेतन आदि राशि रू . 3 लाख 4 हजार 806 रुपये अग्रिम के रूप भुगतान किया गया , जबकि वेतन अग्रिम के रूप में प्रदान करने का कोई नियम प्रचलित नहीं है । साथ ही अग्रिम भुगतान के संबंध में कोई अग्रिम पंजी तैयार नहीं किया गया है कि कितने कर्मचारियों को वास्तविक रूप से अग्रिम वेतन दिया गया और कितने कर्मचारियों से उसका समायोजन कराया जा चुका है और वर्तमान में शेष कितना है । प्रदीप कुमार शर्मा का उक्त कृत्य छ.ग. सिविल सेवा विपरित गंभीर कदाचार है । अतएव इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है ।
चार करोड़ की शिक्षाकर्मियों के सी पी एस की जांच पेंडिंग
देवभोग बीईओ महोदय के कारनामो की फेयरिस्त बहुत लंबी है । ब्लाक के शिक्षाकर्मियों के सीपीएस की राशि मे भी घोटाला की जांच धूल खाती जिला पंचायत में पड़ी पड़ी है , अब तक तो इसमें भी जांच हो जानी थी । शिक्षाकर्मी न्याय की गुहार व अपने हक के राशि के लिए आंदोलन तक कर चुके है ,यह राशि लगभग 4 करोड़ के आस पास बैठती है । यह राशि भी अब तक शिक्षाकर्मियों के खाते में नही पहुची है । जिला पंचायत से जांच मुक्त होकर कलेक्टर अपने दिशा निर्देश में कराते तो जल्द व सटीक जांच की संभावना बनती थी ।
अब देखना लाजमी होगा कि जांच को आगे बढाते हुए क्या उक्त खाते की जांच उनके देवभोग में पदस्थापना के बाद से अब तक किया जाता है कि नही, साथ ही गबन की राशि की वसूली की जाती है या नही सभी जांच की तरह यह भी केवल निलबन की ऑपचारिकता तक ही तो सीमित नही है ।


