गरियाबंद ब्रेकिंग

फोर्स का दबाव-आकर्षक समर्पण नीति : तीन ईनामी नक्सलियों ने आज हथियार छोड़ किया आत्मसमर्पण….. जिनमें दो महिला एक पुरुष नक्सली शामिल।

शासन द्वारा चलाये जा रहे आत्मसमर्पण-पुनर्वास योजना एवं अपने आत्मसमर्पित साथियों के खुशहाल जीवन से प्रभावित होकर 03 हार्ड कोर माओवादी समाज की मुख्यधारा में वापस लौटे

गरियाबंद अंतर्गत सकिय माओवादी संगठन एसडीके एरिया कमेटी के डिप्टी कमाण्डर-दिलीप उर्फ संतू नामक 05 लाख ईनामी नक्सली ने आटोमेटिक हथियार के साथ आत्मसर्मण किया।

गरियाबंद में सक्रिय एसडीके एरिया कमेटी एसीएम -मंजुला उर्फ लखमी नामक 05 लाख ईनामी माओवादी ने आत्मसर्मण किया।

बरगढ़ एरिया कमेटी सदस्य सुनीता उर्फ जुनकी नामक 05 लाख ईनामी माओवादी ने आत्मसर्मण किया।

दिलीप

मंजुला

सुनीता

तागरियाबंद जिला गरियाबंद पुलिस द्वारा लगातार नक्सल प्रभावित अंदरूनी क्षेत्रो में चलाये जा रहे जागरूकता अभियान एक शासन की पुनर्वास/आत्मसर्पण नीति के तहत प्रचार प्रसार के परिणाम स्वरूप 01 पुरूष एवं 02 महिला हार्ड को माओवादियो द्वारा गरियाबंद पुलिस के समक्ष आत्मसर्मण किया गया- दिलीप उर्फ संतू ग्राम कैसेकोडी, थाना कोयलीवेडा, जिला कांकेर का रहने वाला है, इन्होने बताया कि शंक (डीव्हीसीएम) नामक नक्सली द्वारा 2012 में इसे माओवादी संगठन में भर्ती कराया गया। इसके बाद 06 माह तक रावघाट एरिया कमेटी में कार्य किया। बाद माड क्षेत्र में सक्रिय सोनू (डीव्हीसीएम) नाम नक्सली द्वारा इसे गरियाबंद के ताराझर क्षेत्र में लेकर आया। यहां आने के बाद गरियाबंद में सि ओडिसा स्टेट कमेटी सदस्य दशरू उर्फ कार्तिक द्वारा इसे अपना गार्ड बनाया गया जिसमें 2015 तक के रूप में कार्य किया। कार्तिक द्वारा इसे गरियाबंद-धमतरी सीमा में सक्रिय मैनपुर एलजीएस (लो गोरिला स्क्वाड) में भेजा गया जिसमें 2016 तक सदस्य के रूप में काम किया। 2017 में बड़े माओ कैडरो द्वारा इसे गरियाबंद-नुआपाडा सीमा पर सक्रिय एसडीके एरिया (सोनाबेडा-धरमबांधा-खोलीबतर एरिया कमेटी) में भेजा गया जिसमें 2020 तक सदस्य के रूप में 2020 में डिप्टी कमाण्डर बनकर 2025 तक सक्रिय रूप से कार्य कर रहा था। माओवादी संगठन में के दौरान यह गोबरा क्षेत्र, उदंती क्षेत्र, सीतानदी एवं आमामोरा क्षेत्र में हुये विभिन्न माओवादी घटना-शामिल रहने के साथ-साथ प्रमुख घटनायें जैसे- सिकासेर के जंगल में में हुये मुठभेड़ जिसमें 01 नक्सली कि मारे जाने की घटना तथा भालूडिग्गी पहाडी जिसमें 16 माओवादी मंजुला उर्फ लखमी ग्राम गोंदीगुडेम, थाना गोलापल्ली, जिला सुकमा की रहने वाली है, इन्होने बतायी कि 2016 क

किस्टाराम एरिया कमेटी के एसीएम सोमा द्वारा माओवादी संगठन में शामिल कराया गया। किस्टाराम एरिया कमेटी में 03 माह कार्य करने बाद माओवादी डाक्टर- उंगी द्वारा इसे किस्टाराम क्षेत्र से अबूझमाड लाया गया। माड क्षेत्र में कुछ दिन रहने बाद रावघाट डीव्हीसीएम तीजू द्वारा इसे जुलाई 2017 को धमतरी के सीतानदी क्षेत्र में छोडकर वापस चला गया। यहां आने के बाद गरियाबंद में सक्रिय एसजेडसीएम जयराम उर्फ गुड्डू द्वारा इसे अपना गार्ड बनाया गया जिसके गार्ड के रूप में यह 2019 तक रही बाद 2019 को इसे बडे माओवादियों द्वारा एसडीके एरिया कमेटी में भेज दिया गया जहां पर 2025 तक सदस्य के रूप सक्रिय रही। माओवादी संगठन में रहने के दौरान यह आमामोरा, सोनाबेडा एवं पाताघारा क्षेत्र में हुये विभिन्न माओवादी घटनाओं में शामिल होने के साथ-साथ प्रमुख घटनायें जैसे-सिकासेर के जंगल में हुये मुठभेड़ जिसमें 01 महिला नक्सली कि मारे जाने की घटना तथा भालूडिग्गी पहाडी जिसमें 16 माओवादी मारे जाने की घटना में शामिल होना बतायी।

सुनीता उर्फ जुनकी ग्राम पोटेन, थाना जांगला, जिला बीजापुर की रहने वाली है इन्होने बतायी कि 2010 को भैरमगढ़ एरिया कमेटी के एसीएम- रैमोती द्वारा माओवादी संगठन में शामिल कराया गया। वर्ष 2011 को सीसीएम कोसा अपने टीम के साथ ओडिसा बरगढ़ की ओर आया तब मुझे इनके पार्टी वाले साथ लेकर आये और बरगढ़ एरिया कमेटी में काम करना है बोलके छोडकर चले गये। तब से 2024 तक बरगढ़ एरिया कमेटी रविन्दर डीव्हीसीएम एवं अमीला कमाण्डर के साथ रहकर बरगढ एरिया कमेटी में सदस्य के रूप काम कर रही थी। एसजेडसीएम विकास जो ओडिसा में सक्रिय है ने इसे दिसम्बर 2024 को बरगढ से गरियाबंद लेकर आया था। जनवरी 2025 को विकास एसजेडसी मीटिंग के लिए गरियाबंद के भालुडिग्गी पहाडी में इक्कठा हुए थे उसी दौरान पुलिस के साथ मुठभेड की घटना हुई जिसमें विकास को गोली लगी और हम लोग यहां भागने में सफल होने की घटना में शामिल होना बतायी।

वर्तमान में माओवादियों कि खोखली हो चुकी विचारधारा व उनके दूषित कार्यों को साझा करते हुए तीनो माओवादियों ने बताया कि आज माओवादी निर्दोष ग्रामीणों की पुलिस मुखबीरी के शक में जबरदस्ती हत्या, लोगों को बेवजह राशन-सामानों के लिए परेशान करना, शासन के विकास कार्यों को नुकसान पहुंचाना या पूरा नहीं होने देना, बस्तर के छोटे-छोटे युवक-युवतियों बहला-फुसला या उनके परिवार वालो को डरा धमका का माओवादी संगठन में शामिल करना, बड़े माओवादियों द्वारा छोटे कैडरों का शोषण करना, स्थानीय लोगो को शासन के विरूद्ध आंदोलन के लिए उकसाना एवं निर्माण कायों में लगे ठेकेदारो, पत्ता ठेकेदारों से अवैध वसूली का आज माओवादी संगठन अड्डा बना लिये है। इन्ही सब स्थितियों को देखते हुए तथा हमारे स्थानीय लोगो के साथ हो रहे माओवादियों द्वारा अत्याचार, शोषण व लोगो की बेबशी को देखकर मन विचलित हो जाता था।

शासन की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के तहत समर्पण करने पर पद अनुरूप ईनाम राशि की सुविधा, हथियार के साथ समर्पण करने पर ईनाम राशि की सुविधा, स्वंय पर दर्ज अपराधिक रिकार्ड को समाप्त करना, बिमार होने पर स्वास्थ्य सुविधा, आवास की सुविधा, रोजगार की सुविधा को हमारे कई माओवादी साथी (आयतु, संजय, मल्लेश, मुरली, टिकेश, लक्ष्मी, मैना, क्रांति, राजीव, ललिता) आत्मसर्मण कर लाभ उठा रहे है जिसके बारे में हम लोगो को समाचार पत्रो व स्थानीय ग्रामीणों के माध्यम से जानकारी प्राप्त होती थी। गरियाबंद पुलिस द्वारा जंगल-गांवों में लगाये समर्पण नीति के पोस्टर-पाम्पलेट भी प्राप्त होते थे जिससे हम लोगों के मन विचार आया कि हम लोग क्यों जंगल में पशुओं की तरह दर-दर भटक रहे है और इन बडे माओवादी कैडरो की गुलामी कर रहे है। माओवादियों की खोखली हो चुकी विचारधारा, जंगल की परेशानियां तथा आत्मसमर्पित साथियों के खुशहाल जीवन से प्रभावित होकर हम लोग भी अपने परिवार के साथ अच्छा जीवन बिताने के लिए आत्मसर्मपण के मार्ग को अपनाया है।

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