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मुख्यमंत्री श्री बघेल विश्व वानिकी दिवस 21 मार्च को राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’’ का करेंगे शुभारंभ

मुख्यमंत्री श्री बघेल विश्व वानिकी दिवस 21 मार्च को राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’’ का करेंगे शुभारंभ

छत्तीसगढ़ में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देने विशेष पहल

मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनांतर्गत 5 वर्षों में 1 लाख 80 हजार एकड़ में 15 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य

अब तक लगभग 20 हजार हितग्राहियों के 30 हजार एकड़ से अधिक निजी भूमि वृक्षारोपण हेतु पंजीकृत

किसानों को सालाना प्रति एकड़ 15 से 50 हजार रूपए तक की आय

वन विभाग द्वारा तैयारियां पूर्ण

रायपुर, 20 मार्च 2023/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर विधानसभा में दोपहर 12 बजे छत्तीसगढ़ में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’’ का शुभारंभ करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर करेंगे। इस अवसर पर संसदीय सचिव द्वय श्री शिशुपाल सोरी तथा श्री चन्द्रदेव प्रसाद राय भी उपस्थित रहेंगे। मुख्यमंत्री श्री बघेल इस अवसर पर विभिन्न वनमंडलों में ‘मुख्यमंत्री वृक्षसंपदा योजना‘ के हितग्राहियों से वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा भी करेंगे।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में वृक्षों के व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाओं को देखते हुए इस योजना को लागू किए जाने की घोषणा की है। इस योजनांतर्गत कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से कृषकों की सहमति पर उनके भूमि पर वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जाना है।

*योजनांतर्गत 5 वर्षों में 1 लाख 80 हजार एकड़ में 15 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य*

मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत किसान, इच्छुक भूमि स्वामी, शासकीय, अर्ध शासकीय एवं शासन के स्वायत्त संस्थाएं, निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, पंचायत तथा भूमि अनुबंध धारक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। राज्य शासन द्वारा 1 वर्ष में 36 हजार एकड़ तथा 5 वर्षाे में 1 लाख 80 हजार एकड़ क्षेत्रफल में कुल 15 करोड़ वृक्षारोपण करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजनांतर्गत राज्य शासन द्वारा 5 एकड़ तक वृक्षारोपण हेतु 100 प्रतिशत अनुदान तथा 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में वृक्षारोपण हेतु 50 प्रतिशत वित्तीय अनुदान देगी। चिन्हित वृक्ष प्रजातियों की खरीदी हेतु न्यूनतम क्रय मूल्य का निर्धारण भी शासन द्वारा किया जाएगा। 5 वर्षाे में रोपित सभी प्रजातियो के वृक्ष परिपक्व होने पर उनका मूल्य 10 हजार करोड़ रुपये होने की सम्भावना है। इस योजना से किसानों को प्रति एकड़ प्रतिवर्ष 15 हजार से 50 हजार तक आय सम्भावित है। इसके अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट के माध्यम से भी किसानों को अतिरिक्त आय होगी। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के निर्देशानुसार तथा वन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज पिंगुआ के मार्गदर्शन में वन विभाग द्वारा योजनांतर्गत अब तक 19 हजार 653 हितग्राहियों के लगभग 30 हजार एकड़ निजी भूमि में वृक्षारोपण हेतु पंजीयन किया जा चुका है।

*राज्य में इस वर्ष 12 प्रजाति के वृक्षों का 30 हजार एकड़ रकबे में होगा रोपण*

इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री संजय शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनांतर्गत राज्य में इस वर्ष 12 प्रकार के प्रजाति के वृक्ष का 30 हजार एकड़ रकबे में रोपण किया जाएगा। इनमें से क्लोनल यूकलिप्टस का 17 हजार 182 एकड़ में, रूटशूट टीक का 6 हजार 456 एकड़ में, टिश्यू कल्चर का 2 हजार 617 एकड़ में, चंदन का 1 हजार 462 एकड़ में, मेलिया दुबिया का 8 सौ 34 एकड़ में, सामान्य बांस का 7 सौ 37 एकड़ में, टिश्यू कल्चर बम्बू का 6 सौ 7 एकड़ में, रक्त चंदन का 1 सौ 26 एकड़ में, आंवला का 43 एकड़ में, खमार का 40 एकड़ में, शीशम का 20 एकड़ में तथा महानीम का 20 एकड़ रकबे में लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

*योजना अंतर्गत सभी वर्ग के इच्छुक भूमि स्वामी होंगे पात्र*

मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना अंतर्गत समस्त वर्ग के सभी इच्छुक भूमि स्वामी पात्र होंगे। इसके अलावा शासकीय, अर्धशासकीय तथा शासन के स्वायत्व संस्थान जो अपने स्वयं के भूमि पर रोपण करना चाहते हैं, पात्र होंगे। इसी तरह निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायतें, भूमि अनुबंध धारक, जो अपने भूमि में रोपण करना चाहते हैं, वे पात्र होंगे। मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है। इसके तहत राज्य के सभी कृषकों, शासकीय, गैर शासकीय, अर्धशासकीय, पंचायतें, अथवा स्वायत्व संस्थानों की भूमि पर वाणिज्यिक प्रजातियों के वृक्षारोपण उपरांत सहयोगी संस्था, निजी कंपनियों के माध्यम से निर्धारित समर्थन मूल्य पर वनोपज के क्रय की व्यवस्था करते हुए एक सुदृढ़ बाजार व्यवस्था आदि सुनिश्चित करना है।


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