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विसंगति पूर्ण युक्ति युक्त करण के विरोध में 28 मई को निर्धारित मंत्रालय घेराव मे प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के हजारों शिक्षक होंगे शामिल —-शैलेन्द्र तिवारी

जगदलपुर/ शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पद संरचना 2008 को धता करते हुए सरकार के दिशा निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विसंगति पूर्ण युक्ति युक्त करण के तहत स्कूलों एवं शिक्षकों का युक्ति युक्त करण का खेला उच्च स्तर पर जारी है जिसके विरोध में विभिन्न शैक्षिक संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा 28 मई 2025 को मंत्रालय घेराव का सामूहिक निर्णय लिया गया है जिसमे बस्तर जिले से भी सँयुक्त शिक्षक संघ के सैकड़ों शिक्षक निर्धारित मंत्रालय घेराव का कार्यक्रम मे समल्लित होंगे।तत् सम्बन्ध में गत दिनों छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन के अध्यक्षता में प्रांतीय वर्चुअल बैठक आयोजित की गई जिसमें लगभग 200 पदाधिकारियों की वर्चुअल उपस्थिति में विसंगति पूर्ण युक्ति युक्त करण की प्रक्रिया को निरस्त करने एवं 28 मई 2025 को निर्धारित मंत्रालय घेराव में सत प्रतिशत उपस्थिति प्रदान करने आम सहमति के साथ निर्णय लिए गए। जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने सरकार से पूछा है की क्या विद्यालयों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्त करण से प्राथ. /उच्च प्राथ.प्रधान पाठकों,हाई स्कूलों के प्रचार्यों की पदीय दायित्वों की गरिमा, विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता,शिक्षकों द्वारा अनेकों कालखंड के अध्यापन एवं एक के बाद एक विभागीय कार्यों की पूर्णता की जिम्मेदारी से क्या मानसिक संतुलन पर विपरीत एवं प्रतिकूल असर नही होगा। विसंगति पूर्ण युक्तियुक्त करण की कार्यवाही पर प्रदेश स्तर पर अनेकों राजनैतिक,सामाजिक एवं सर्व शैक्षिक संगठनों के कड़ी विरोध के बावजूद भी जारी प्रक्रिया को यथावत रखेजाने का तुक समझ से परे है।
*पारदर्शी एवं नितिगत युक्तियुक्त करण का विरोध नही*
2008 मे जारी विद्यालयों मे एक निश्चित दर्ज संख्या के अनुरूप शिक्षकों की पद संरचना को यथावत रखते हुए, प्रधान पाठकों, हाई स्कूल प्रचार्यों का पदीय अधिकारों एवं गरिमा को ध्यान रखते हुए जिन विद्यालयों मे अतिशेष शिक्षक कार्यरत हैँ उन्हें युक्तियुक्त करण किया जाना लाजमी है किन्तु सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना किसी किसी भी सूरत मे बर्दास्त नही।शासकीय विद्यालयों मे विद्यार्थियों के दर्ज संख्या मे कमी के कई मुख्य कारक है जिसमे कभी ख़तम न होने वाले शिक्षकों का गैर शिक्षकीय कार्य, NGO का हस्तक्षेप, संसाधनों की कमी वाले एवं शासकीय नियमों तथा कोरम पूर्ति के आभाव वाले छोटे छोटे निजी विद्यालयों को शासन द्वारा मान्यता प्रदान किया जाना,सरकारी विद्यालयों मे संसाधन की कमी ऐसे अनेक कारक हैँ जिस पर सरकार एवं विभागीय नुमाइंदों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होनी चाहिए। सरकारी स्कूलों को नही बल्कि निजी विद्यालयों को बंद किया जाना चाहिए। सरकारी स्कूलों मे शिक्षकों की कमी कर शिक्षा गुणवत्ता को धीमी धीमी प्रभावित करना, युक्तियुक्त करण के नाम पर सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना एवं निजी विद्यालयों को बढ़ावा देना, शिक्षा के निजीकरण का संकेत है इसका विरोध किया जाना राष्ट्र हित,समाज हित, शिक्षा हित, शिक्षक हित के लिए अति आवश्यक है। 28 मई 2025 को युक्तियुक्त करण एवं अन्य तीन सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के 23 शैक्षिक संगठनों के नेतृत्व मे मंत्रालय का घेराव का कार्यक्रम निर्धारित है जिसमे बस्तर जिले से भी सैकड़ो साथी सामिल होंगे।