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छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक, समग्र शिक्षक फेडरेशन ने किया युक्तियुक्तकरण एवं ग्रीष्मकालीन अंकेक्षण का विरोध….

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक, समग्र शिक्षक फेडरेशन ने किया युक्तियुक्तकरण एवं ग्रीष्मकालीन अंकेक्षण का विरोध….

महासमुंद। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तावित शालाओं एवं शिक्षकों के विवादास्पद युक्तियुक्तकरण (Rationalization) का बोतल बंद जिन्न फिर से बाहर आ गया है। 2008 के सेटअप को समाप्त कर युक्तियुक्तकरण के आड़ में स्कूल शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का कार्य किया जा रहा है। विभिन्न शिक्षक संगठनों के तीव्र विरोध एवं पंचायत तथा नगरी निकाय चुनाव पर पड़ने वाले विपरीत परिणाम की मंशा के मद्देनजर छत्तीसगढ़ शासन ने इस पूरी प्रक्रिया को ही ठंडे बस्ते में डाल रखा था किंतु जैसे ही चुनाव कार्य सम्पन्न हुए, नये शिक्षा सत्र के बहाने युक्तियुक्तकरण का तुगलकी फरमान जस के तस प्रसारित किया गया है। जिसके तहत शालाओं के युक्तियुक्तकरण के पश्चात शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक, समग्र शिक्षक फेडरेशन जिला महासमुंद ने इस आदेश को लेकर तीव्र आपत्ति जताई है और इसे स्कूली शिक्षा एवं शिक्षकों के हित के खिलाफ बताया है। पूर्व में भी फेडरेशन ने युक्तियुक्तकरण में व्याप्त त्रुटियों को दूर कर आवश्यक सुधार करने हेतु विभिन्न स्तरों पर ज्ञापन सौंप कर मांग किया था किंतु प्रशासन द्वारा बिना त्रुटियों को दूर किये युक्तियुक्तकरण संबंधी पुनः आदेश प्रसारित करना समझ से परे है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक, समग्र शिक्षक फेडरेशन महासमुंद के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार नायक ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण का यह नया आदेश माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के सुशासन में शिक्षा के गुणवत्ता के विपरीत है। यह स्कूली शिक्षा के अपेक्षित लक्ष्यों एवं आदर्शो के खिलाफ साबित होगा। श्री नायक ने कहा है कि संगठन इस आदेश के विरोध में सड़क से लेकर न्यायालय तक की लड़ाई लड़ेगा।

इसके साथ ही उन्होंने महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड में ग्रीष्मावकाश के दौरान स्कूलों के प्रस्तावित ऑडिट(अंकेक्षण) कार्य का भी विरोध किया है। स्थानीय स्तर पर ऑडिट कार्य हेतु आदेश प्रसारित किया जा चुका है जिसमें तिथिवार एवं संकुलवार ऑडिट की बात कही गई है, जिसमें ग्रीष्म अवकाश का पूरा मई माह इस आदेश के भेंट चढ़ने वाला है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग में कहने को तो वर्ष भर के कार्यों का ब्यौरा शैक्षणिक कैलेंडर के माध्यम से घोषित किया जाता है तथा 1 मई से 15 जून तक 45 दिवस का ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित भी किया जाता है पर अंकेक्षण जैसे कार्यों के बहाने अवकाश अवधि में शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने से ग्रीष्मकालीन अवकाश शिक्षकों के लिए दीवास्वप्न के समान है जो अब मात्र कागजों में सिमट कर और फाइलों में दब कर रह गई है।

शिक्षक वर्ग ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी मानसिक कार्य झेलने हेतु मजबूर है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मालूम है कि यह ग्रीष्मावकाश का समय है फिर भी अवकाश अवधि में स्कूल ऑडिट हेतु आदेश प्रसारित करना समझ से परे है। इस प्रकार के स्थानीय आदेश शिक्षकों को परेशान करने के सबब जान पड़ते हैं।

इस भीषण गर्मी में विद्यालय का अंकेक्षण करना अवकाश अवधि में शिक्षकों को प्रताड़ित करने वाली बात है। ऐसे में नए शिक्षा सत्र में स्कूल खुलने के पश्चात ऑडिट कार्य करना ज्यादा उचित होगा। श्री नायक ने विकासखंड के उच्चाधिकारियों से आग्रह किया है कि वे विद्यालय ऑडिट का यह आदेश शीघ्र वापस लें और शिक्षकों को राहत प्रदान करें।

युक्तियुक्तकरण को लेकर भी उन्होंने सरकार से स्पष्ट मांग की है कि प्राचार्य, व्याख्याता, प्रधानपाठक और शिक्षक पदों पर लंबित पदोन्नति की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए तत्पश्चात ही युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई 2008 के सेटअप के अनुरूप की जाए जिससे स्कूली शिक्षा एवं शिक्षकों के हित को कोई नुकसान न पहुंचे एवं युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया भी यथोचित पूर्ण हो सके।

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