पालक व शाला प्रबंधन समिति हो जाएं सचेत,कहीं युक्तियुक्तकरण के चलते आपके बच्चों के गुरुजी और स्कूल को छीना तो नही जा रहा !! युक्तियुक्तकरण के निर्देश व प्रक्रिया की विसंगतियाँ हुई उजागर : जानिए.. मुख्यमंत्री, शिक्षा सचिव व DPI संचालक के संज्ञान में किन बातों को लाया शालेय शिक्षक संघ !
2008 के विभागीय सेटअप से छेड़छाड़ कर शिक्षकों को जबरदस्ती अतिशेष बनाना तथा स्कूलों को बंद व मर्ज करने का एकतरफा निर्णय प्रशासनिक तानाशाही की पराकाष्ठा- शालेय शिक्षक संघ
पदोन्नति पहले हो जाये तो युक्तियुक्तकरण का हो जायेगा समाधान: एकजुटता से करेंगे परिस्थितियों का सामना : सभी संवर्ग के शिक्षकों से सक्रिय सहभागिता प्रदान करने की है अपील- वीरेंद्र दुबे
स्कूल शिक्षा विभाग में वर्तमान में प्रक्रियाधीन युक्तियुक्तकरण के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी संदर्भित निर्देश शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा की गुणवत्ता, छात्रहित व शिक्षक हितों के प्रतिकूल है।शालेय शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ ने आशंका व्यक्त किया कि उक्त निर्देशानुसार युक्तियुक्तकरण किए जाने की स्थिति में शिक्षा में भारी अव्यवस्था व अनिश्चितता अवश्यंभावी है।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि-यद्यपि हमारा संगठन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व शिक्षक विहीन शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराने की शासन की पहल का पक्षधर है।परन्तु वर्तमान में जारी युक्तियुक्तकरण दिशानिर्देश और प्रक्रिया पूरी तरह से राजपत्र भर्ती पदोन्नति नियम 2019 व 2008 सेटअप,तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति व शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन है। अतः संदर्भित निर्देशानुसार प्रक्रियाधीन युक्तियुक्तकरण को अविलंब स्थगित किया जावे, निर्देशों व प्रकिया की समीक्षा की जावे तथा संबंधित पक्षों से बातचीत कर सर्वसम्मति से समाधान निकाला जावे। वीरेंद्र दुबे ने कहा कि एकजुटता से परिस्थितियों का सामना करने , विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर समाधान के समुचित प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें सभी शिक्षक, कर्मचारियों की सक्रिय सहभागिता प्रदान करने की अपील करते हैं।
प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा* द्वारा बताया गया कि शालेय शिक्षक संघ की ओर से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय , शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी तथा DPI संचालक के संज्ञान में युक्तियुक्तकरण में व्याप्त विसंगतियों व समस्याओं तथा सुझाव को लाया जा रहा है।
आप भी जानिए क्या हैं वो तथ्य, समस्या व समाधान के सुझाव-
*01-* पिछली सरकार के दौर में स्कूल शिक्षा विभाग में 2021 से वर्तमान तक लगभग 30000 पदों पर भर्ती, लगभग 25000 पदों पर पदोन्नति तथा लगभग 10000 स्थानांतरण तथा लगभग 8000 प्रतिनियुक्ति की गई है। भर्ती, पदोन्नति, स्थानांतरण व प्रतिनियुक्ति में पदस्थापना के लिए सेट-अप, विषय व पदरिक्तता का ध्यान नहीं रखा गया।यहां तक की शिक्षक पद के लिए विषय के बंधन को भी समाप्त कर दिया गया।
*02-* उक्त सभी प्रकार की पदस्थापनाओं में निरंकुशता व भाई भतीजावाद हावी रहा है तथा भ्रष्टाचार की भी भारी शिकायतें रही है। तात्कालीन शिक्षा मंत्री पर भी उंगली उठी तथा शिक्षा मंत्री भी बदले गए ।इसी क्रम में चार संभागीय संयुक्त संचालक व अनेक अधिकारी कर्मचारी निलंबित भी हुए।
*03-* स्कूल शिक्षा विभाग में वर्तमान में सभी स्तर के पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है।
*04-* युक्तियुक्तकरण निर्देश के अनेक बिंदु विभागीय सेट-अप 2008 तथा भर्ती पदोन्नति नियम 2019 का उल्लंघन करता है।
*क्या है विसंगतियां व समस्याएं :-*
*01-बड़ा परिवर्तन पर पारदर्शिता का अभाव-* युक्तियुक्तकरण की उक्त प्रक्रिया से पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था, विद्यार्थी, पालक व कर्मचारियों की व्यवस्था में सबसे बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। उक्त प्रक्रिया में संवेदनशीलता, पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित होना आवश्यक है, किंतु संबंधित समितियों को सर्वाधिकार प्रदान कर दिया गया है तथा किसी भी स्तर पर जानकारियों को सार्वजनिक करने दावा आपत्ति करने तथा उनके निराकरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिसके कारण निरंकुशता,भाई भतीजावाद तथा भ्रष्टाचार की व्यापक आशंका है। विभाग की वर्तमान दुरवस्था का कारण भी यही है किंतु इस पर लगाम लगाने की कोशिश भी नहीं की गई है।
*02-सेटअप से छेड़छाड़ कर जबरदस्ती अतिशेष बनाना-* प्राथमिक विद्यालय के न्यूनतम सेट-अप प्रधान पाठकसहित 03 पदों के स्थान पर 02 पदों का प्रावधान किया गया है।02 पदों से प्राथमिक शालाओं का समुचित संचालन अव्यवहारिक व असंभव है। बच्चों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है जबकि इन शालाओं के साथ बालवाड़ी को भी संलग्न किया गया है।
प्राथमिक शालाओं के सेट-अप घटाने से भारी संख्या में सहायक शिक्षक अतिशेष होने जा रहे हैं जिनकी पदस्थापना के लिए अन्यत्र भी विकल्प अत्यंत सीमित हैं जिसके कारण भारी अव्यवस्था व असंतोष उत्पन्न होगा। कर्मचारियों के भयादोहन की भी आशंका है।
प्राथमिक शालाओं में सेट-अप में पद रिक्त न होने के बावजूद नई भर्ती के तहत मनचाहा पदस्थापनाएं की गई। युक्तियुक्तकरण के निर्देशानुसार परिवीक्षा अवधि में होने के कारण इन्हें अतिशेष नहीं माना जाएगा, बल्कि पूर्व से सेट-अप के अनुसार पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाया जाएगा।यह पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के प्रति अन्याय और विभागीय अधिकारियों की निरंकुशता और मिलीभगत को संरक्षण देना साबित होगा।
जबकि नई भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में करके समाधान किया जा सकता था।
*03-भर्ती विषय बंधन से मुक्त पर युक्तियुक्त करण विषय बंधन में-* पूर्व माध्य.शालाओं में विषय बंधन को समाप्त कर भर्ती की गई तथा भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं व उनमें मनचाहा संशोधन सेट-अप व विषय को दरकिनार किया गया।
युक्तियुक्तकरण में पुनः पूर्व माध्यमिक विद्यालय में विषय के अनुसार सेट-अप लागू किया जा रहा है। जिसके कारण अधिकांश शालाओं के शिक्षक प्रभावित होने जा रहे हैं। अन्यत्र विकल्पों के अभाव में अव्यवस्था व भयादोहन के कारण निरंकुशता और भ्रष्टाचार की आशंका भी है।
पूर्व माध्यमिक शालाओं में सेट-अप में पद रिक्त न होने व संबंधित विषय के पद न होने बावजूद नई भर्ती व पदोन्नति व उनमें संशोधन के तहत मनचाहा पदस्थापनाएं की गई। युक्तियुक्तकरण के निर्देशानुसार परिवीक्षा अवधि में होने के कारण इन्हें अतिशेष नहीं माना जाएगा, बल्कि पूर्व से सेट-अप के अनुसार पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाया जाएगा।यह पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के प्रति अन्याय और विभागीय अधिकारियों की निरंकुशता और मिलीभगत को संरक्षण देना साबित होगा।
जबकि नई भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं शिक्षक विहीन ,एकल शिक्षकीय व विषय की आवश्यकता अनुसार शालाओं में करके समाधान किया जा सकता था।
*04-वरिष्ठता निर्धारण-* वर्तमान शाला में समान पदस्थापना/कार्यभार ग्रहण दिनांक होने की स्थिति में पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि व जन्मतिथि के आधार पर वरिष्ठ मानने का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
*05-* पूर्व माध्यमिक शालाओं में पूर्व में विषय के उल्लेख के बिना पदस्थापनाएं हुई हैं तथा अध्यापन विषय का पूर्व में विकल्प भी दिया गया था। पूर्व में गणित व जीवविज्ञान स्नातकों को विज्ञान समूह के शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई है।किंतु वर्तमान निर्देश अपर्याप्त व अस्पष्ट है, जिसके कारण भाई भतीजावाद होने की प्रबल आशंका है।
*06-हायर सेकंडरी में विषयवार सेटअप पर युक्तियुक्तकरण में कालखंड के आधार पर अतिशेष-* हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल में विषयवार सेट-अप लागू है। युक्तियुक्तकरण के तहत कालखंड की संख्या के आधार पर अतिशेष खोजने की अनुचित कवायद की जा रही है। जबकि विभिन्न कक्षाओं में सेक्शन के आधार पर अधिक पदों की स्वीकृति आवश्यक है।
सेट-अप के अनुरूप पदस्थापनाएं न होना विभागीय निरंकुशता व भाई भतीजावाद का परिणाम है।
*शालेय शिक्षक संघ ने दिया समाधान हेतु सुझाव :-*
*01-* वर्तमान में जारी युक्तियुक्तकरण निर्देश व मापदंडों को तत्काल संशोधन किया जावे।
*02.-* सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से समाधान निकाला जावे।
*03-* विभागीय सेट-अप 2008 में फिलहाल कोई परिवर्तन न किया जावे।
*04-* प्राथ. शालाओं में प्रधान पाठक सहित 02 शिक्षकों के न्यूनतम सेट-अप तथा अचानक से पूर्व माध्यमिक शालाओं में विषयवार शिक्षक जैसे अव्यवहारिक कदम को तत्काल रोक दिया जावे।
*05-* शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए।
*06-* पदोन्नति की लंबित प्रक्रियाओं को अविलंब पूर्ण करके शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में पदस्थापना की जावे।
*07-* अतिआवश्यक होने पर 2008 के सेट-अप अनुसार स्वीकृत पद से संख्यात्मक आधार पर एक से अधिक अतिशेष शिक्षकों वाली शालाओं से संकुल व विकास खंड के भीतर शिक्षकों का समायोजन किया जावे।
*08-* समायोजन में वर्तमान शाला में समान पदस्थापना/कार्यभार ग्रहण तिथि की स्थिति में पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि व जन्मतिथि के आधार पर वरिष्ठ मानने का स्पष्ट निर्देश जारी किया जावे।
*09-* समायोजन में पूर्व माध्यमिक शालाओं में विषयवार शिक्षक के स्थान संख्यात्मक आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना की जावे।
*10-* समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया सार्वजनिक की जावे तथा दावा आपत्ति करने व उसके निराकरण का समुचित प्रावधान भी किया जावे।
*11-* शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों को समायोजन से छूट प्रदान की जावे।
*12-* विभाग भविष्य में भी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मामलों में श्री एकतरफा आदेश निर्देश जारी करने के स्थान पर कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत व प्रभावी कदम उठाए।
*13-* शिक्षकों की पदस्थापना परिवर्तन संबंधी समस्त कार्यवाहियां यथासंभव शिक्षा सत्र के प्रारंभ होने के बाद नहीं किया जाना चाहिए।
*14-* वि.ख., जिला, संभाग व राज्य स्तर पर विभागीय परामर्शदात्री समितियों का गठन व उनकी नियमित बैठकें की जावे।
*शालेय शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चन्द्रशेखर तिवारी,तथा प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र शर्मा* ने बताया कि उपरोक्त तथ्य, समस्याओं व समाधान के सुझाव को मुख्यमंत्री जी को प्रत्यक्ष मुलाकात कर अवगत कराने के लिए शालेय शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से समय मांगा गया हैं ,जैसे ही समय मिलेगा, मुख्यमंत्री जी से मिलकर उपरोक्त समस्याओं को रखा जायेगा तथा इस तरह के विसंगतिपूर्ण नियम बनाकर शासन की छवि गिराने का प्रयास करने वालो पर उचित कार्यवाही की मांग भी की जावेगी।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी सुनील सिंह,विष्णु शर्मा,डॉ सांत्वना ठाकुर,विवेक शर्मा,गजराज सिंह,राजेश शर्मा,शैलेन्द्र सिंह,प्रह्लाद जैन,सन्तोष मिश्रा,सन्तोष शुक्ला,शिवेंद्र चंद्रवंशी,दीपक वेंताल,यादवेंद्र दुबे,सर्वजीत पाठक,मंटू खैरवार,पवन दुबे,भोजराम पटेल,विनय सिंह,उपेंद्र सिंह,विजय जाटवर,आशुतोष सिंह,भानु डहरिया,रवि मिश्रा,जितेंद्र गजेंद्र,अजय वर्मा,कृष्णराज पांडेय,घनश्याम पटेल,बुध्दहेश्वर शर्मा,प्रदीप पांडेय,कैलाश रामटेके,देवव्रत शर्मा,अब्दुल आसिफ खान,अमित सिन्हा, विक्रम राजपूत,द्वारिका भारद्वाज,सुशील शर्मा, खेमन साहू,दिनेश साहू,विजय बेलचंदन, अशोक देशमुख,तिलक सेन आदि पदाधिकारियो ने सरकार से उपरोक्त मांगो पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग की है।
*वीरेंद्र दुबे*
प्रांताध्यक्ष
*छ्ग शालेय शिक्षक संघ*


