कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य व्याख्याता पदोन्नत समिति के प्रदेश संचालक मुकुन्द उपाध्याय, सादिक अंसारी,जयप्रकाश झा,विनय झा,अजय श्रीवास्तव, अवधेश वर्मा,आर पी धनकर ने संयुक्त रूप से कहा की शासन द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण के सारे नियम गलत और अव्यवहारिक है,सेटअप 2008 और राजपत्र का खुला उल्लंघन है
एक तरफ आप बात करते है शिक्षा गुणवत्ता की 1 प्रधानपाठक और 1 शिक्षक के भरोसे कैसे गुणवत्ता आएगी……मान लेते है किसी विद्यालय में 60 बच्चे है आपका नियम वहां 1 प्रधानपाठक और 1 सहायक शिक्षक ही दे रहा है…..
70 प्रकार के तो आपके विभागीय कार्य है जिनको शिक्षकों को करना है,आय दिन मीटिंग,डाक,ऑनलाइन कार्य……प्रधानपाठक मीटिंग में गया,सहायक शिक्षक बीमार पड़ा तो स्कूल को कौन संभालेगा…..चलिए 1 शिक्षक विद्यालय में रहा भी छुट्टी में नही गया तो फिर भी वो 5 कक्षा को कैसे संभालेगा,किसको किसको पढ़ायेगा….. आपके कोर्स का क्या होगा….गुणवत्ता तो भूल जाइए,पूरे सत्र भर किसी भी कक्षा का कोई पढ़ाई ही पूर्ण नही हो पायेगा….!
ठीक यहीं नियम लागू होता है मिडिल स्कूल में,आप एक तरफ बात करते है विषय आधारित पढ़ाई की,एक तरफ शिक्षकों को निकाल रहे है,कल जिन विद्यालयों में विषय विशेषज्ञ शिक्षक रिक्त है करके पदोन्नति से विषय शिक्षक भेजें है,उनको आज वहां दर्ज अनुपात लाकर निकाल रहे है…..आख़िर आपने प्रमोशन क्यों किया था….??
यहीं सब नियम हाई/हायर में भी लागू है….!!
2018 में लगभग 3500 स्कूल मर्ज करके बंद किये 2024 में 4033 स्कूल मर्ज करने वाले है,मात्र 6 साल के अंतराल में 7500 स्कूल बंद होंगे… तो आगे आंकड़ा लगाते जाइये…..आगे 2030 तक 10 हज़ार स्कूल बंद करने पड़ेंगे…..!!*
*साथियों पूर्ण रूपेण शिक्षा विभाग बंद होने के कगार पर जा रही है,ये अत्यंत चिंताजनक है,इस पर सभी शिक्षकों को और सभी संगठनों को गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा,नही तो आज कोई जद में फँस रहा तो कल आप भी नही बचेंगे….!!*
*15 माह में साफ त्रुटि रहित वरिष्ठता सूची तक जारी नही कर सके,अब युक्ति युक्तिरन करके यह संदेश दें रहे हैं दिल्ली अभी दूर है यानी पदोन्नति सम्भव नही क्योकि यह प्रक्रिया के चलते चलते फिर चुनाव आचार संहिता लग जायेगी और प्रदेसभर के शिक्षक ढगे के ढगे रह जाएंगे,।श्री उपाध्याय ने आगे कहा सरकार को सर्वप्रथम पदोन्नति करनी चाहिए जो कर नही रहे आज तक पदोन्नति के लिये कोई टाइम टेबल जारी नही किये और युक्तिकरण के लिये कैवियट तक लगा दिए यह उचित नही।
सहायक शिक्षक से प्राथमिक प्रधानपाठक
सहायक शिक्षक से शिक्षक
प्राथमिक प्रधानपाठक से मिडिल प्रधानपाठक
शिक्षक से व्याख्याता/मिडिल प्रधानपाठक
व्याख्याता/मिडिल प्रधानपाठक से प्राचार्य
तत्पश्चात स्थानांतरण नीति भी लागू करना चाहिए था। इससे शासन को बहुत सारे शिक्षको का युक्तियुक्त करना नहीं करना पड़ता मगर उल्टा कार्य किया जा रहा,जिससे प्रदेसभर के शिक्षक आक्रोश में हैं।
अगर ये पहले हो गया तो लगभग मैं मानता हूँ 90% अतिशेष समायोजित हो जाएंगे…….उसके बाद अगर कोई अतिशेष बचते है तो आप कीजिये युक्तियुक्तकरण, हम खुद(सभी शिक्षक संगठन) आपका तहेदिल से साथ देते सहयोग करते मगर हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यो?
अगर उपरोक्त प्रक्रिया हो जायेगी तो शिक्षा विभाग को कहां कितने किस संवर्ग के शिक्षकों की भर्ती की आवश्यकता है,एक परफेक्ट आंकड़ा शिक्षा विभाग के पास आ जाता अगर पदोन्नति हो जाये रहती तो यह डीपीआई के खाते में बतौर उपलब्धि में गिना जाता मगर खेद है ऐसा होते नजर नही आ रहें
हम सरकार व डीपीआई से आग्रह करते हैं शिक्षकों की भावनाओं से खिलवाड़ करना बंद करे वर्ना मजबुरन प्रदेसभर के शिक्षक संघ इस गलत नीति को विरोध करने पर बध्य्य होंगे। छत्तीसगढ़ राज्य व्याख्याता पदोन्नत समिति इस अव्यवहारिक युक्त युक्तिकरण का विरोध दर्ज करता हैं
सरकार ने युक्तियुक्तकरण का ड्राफ्ट लाकर पूरी शिक्षा व्यवस्था को बदलने की कोशिश
1.2008 के सेटअप को किनारे करना
2.शालाओं को बंद करना
3.प्रमोशन को रोकना
4.शिक्षक व्यवस्था को अव्यवस्थित करना
5.मनमाना सेटअप लागू करना
6.अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह करना


