बिलासपुर। ब्याज के मामले में राज्य शासन की रिट अपील हाई कोर्ट द्वारा निरस्त
पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर्स पर 10 प्रतिशत ब्याज देने की एकलपीठ के आदेश के विरूद्व राज्य शासन द्वारा दायर रिट अपील को माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
याचिकाकर्तागण अविनेश कुमार नामदेव, अलोक कुमार बारा, विजेंद्र सिंह, संध्या किरण, ज्योति सिना कुजूर, मनोरमा कुजूर एवं लाला सिंह व्याख्याता (एल०बी०) / शिक्षक (एल०बी०) कोरिया जिला में कार्यरत है पूर्व में जिला पंचायत कोरिया के कर्मचारी थे एवं उसके पश्चात् शिक्षा विभाग में संविलियन हुआ था और शासन के परिपत्र के अनुसार उन्हें 8 वर्ष पूर्ण होने पर पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ दिया गया, किंतु एरियर्स राशि नहीं दी हैं
जिसके पश्चात् उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय में अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से एरियर्स एवं ब्याज के लिए याचिका लगाई जिसके पश्चात् माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 04.10.2021 को निर्णित
किया कि 4 माह के अंदर एरियर्स का भुगतान करें अन्यथा पात्रता दिनांक से भुगतान दिनांक तक 10 प्रतिशत ब्याज याचिकाकर्ता को देना होगा किंतु
उक्त निर्देश के बाद भी 4 माह में भुगतान नहीं किया गया, किंतु 2 वर्ष बाद भुगतान किया गया, वह भी बिना ब्याज के, एवं इसके पश्चात् राज्य शासन ने एकलपीठ के आदेश के विरूद्ध युगलपीठ के समक्ष एक रिट अपील प्रस्तुत
किया एवं बताया कि राशि आबंटन में विलंब होने के कारण एवं अंर्तविभागीय प्रक्रिया में समय लगने के कारण राशि देने में विलंब हुआ अतः वह कारण न्यायोचित हैं एवं याचिकाकर्ता ब्याज पाने के हकदार नहीं है, जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि यह उनके वेतन का ही राशि है एवं वर्ष 2020 से एरियर्स की पात्रता है जिसे न्यायालयीन आदेश के बाद भी दो वर्ष बाद दिया गया हैं, जिस पर उन्हें ब्याज पाने की पात्रता है एवं कुछ अन्य कर्मचारी है जिन्हें ब्याज की राशि मिल चुकी है किंतु याचिकाकर्ता के प्रकरण में अपील की गयी है।
सुनवाई के पश्चात् माननीय मुख्य न्यायाधीश एवं एन0के0 चंद्रवंशी की युगलपीठ ने निर्णित किया एकलपीठ द्वारा चाह माह के अंदर एरियर्स भुगतान के निर्देश के बाद भी दो वर्ष बाद पुनरीक्षित वेतनमान का एरियर्स दिया गया एवं कुछ अन्य
कर्मचारियों को ब्याज भी दिया गया अतः शिक्षकगण को ब्याज देने का आदेश उचित हैं इस कारण राज्य शासन के अपील खारिज कर दिया।


