महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम मे माननीय न्यायधीश ने दिये विधिक जानकारी
भाटापारा -कमलाकांत शुक्ला प्रशिक्षण संस्थान भाटापारा मे विधिक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे मुख्य अतिथि विद्वान् न्यायधीश माननीय श्री राजेश रोजमीन खाखा ज़ी अध्यक्षता श्री अशोक श्रीवास्तव ज़ी PLV विशेष अतिथि श्री शत्रुहन प्रसाद साहू पत्रकार दैनिक छत्तीसगढ़ थे
कार्यक्रम सर्वप्रथम माँ सरस्वती के पूजा अर्चना दीप प्रजवलित कर मुख्य अतिथियों का स्वागत गमला वृक्ष से कर पर्यावरण पर एक विशेष उदाहरण प्रस्तुत किया गया तत्पस्यात माननीय न्यायधीश श्री खाखा ने अपने सारगर्भित उद्बोधन मे कहा कि
महिला सशक्तीकरण क्या है
महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सके।
भारत में महिला सशक्तीकरण
महिला सशक्तीकरण के लिए दिए गए अधिकार
समान वेतन का अधिकार – समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता |
कार्य-स्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून – यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत आपको वर्किंग प्लेस पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण के शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक 90 दिन का पैड लीव दी जाएगी।
कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार – भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार ‘जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।
संपत्ति पर अधिकार – हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।
गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार – किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।
महिला सशक्तीकरण – महिलाओं का पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देश के बारे में सोचने की क्षमता का विकास होना ही महिला सशक्तीकरण कहलाता है
महिला श्रेष्ठता – समाज में महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए क्योंकि आज के समय में महिला हर क्षेत्र में आगे है चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर खेल के क्षेत्र में!
उपरोक्त कार्यक्रम मे सभी अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये कार्यक्रम का समापन उदबोधन शिक्षिका श्रीमती पूर्णिमा कौशिक तथा सफल संचालन छात्रा श्रेया वर्मा ने की
कार्यक्रम मे संस्था के संचालक श्री मनीष शुक्ला, महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ वंदना चौहान,श्री मनोज देवांगन स्टेनो न्यायधीश,शिक्षिकाये,छात्र छात्राएं एवं संस्थान के सभी स्टॉफ मौजूद रहे


