Advertisement Carousel
    What's Hot
    0Shares

     

    जन विरोधी केंद्रीय बजट के खिलाफ 9 फरवरी को काला दिवस मनाएगी किसान सभा

    रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा और खेत मजदूर यूनियन के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा जन विरोधी केंद्रीय बजट के खिलाफ 9 फरवरी को ग्राम स्तरों पर प्रदर्शनों और पुतला दहन के जरिये काला दिवस मनाएगी।

    आज यहां जारी बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि जब पूरी दुनिया और हमारा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है, उस समय आम जनता की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उपाय किये जाने की जरूरत थी। ऐसा रोजगार बढ़ाकर और सामाजिक कल्याण के कार्यों में निवेश के जरिये ही हो सकता था। लेकिन ऐसा करने के बजाय मनरेगा, खाद्य सब्सिडी, उर्वरक सब्सिडी, बीमा, सिंचाई, कृषि, श्रम और अन्य सभी सामाजिक क्षेत्रों के लिए आबंटन में व्यापक कटौती ही की गई है। इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन दुकानों से मिलने वाले 5 किलो सस्ते अनाज से भी वंचित कर दिया गया है। इससे देश की जनता और बदहाल होगी।

    किसान सभा नेताओं ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग के आधार पर फसल का लाभकारी मूल्य देने के वादे पर अब सरकार ने चुप्पी ही साध ली है, जबकि किसानों की आय दुगुनी होने के बजाय और गिर गई है। देश के किसान आंदोलन से सरकार ने विश्वासघात किया है। वहीं दूसरी ओर, कॉरपोरेटों की तिजोरियां भरने में कोई कसर बाकी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नवउदारवादी नीतियों के कारण देश कॉर्पोरेट इंडिया और तड़पते भारत में विभाजित हो गया है। हाल ही में जारी ऑक्सफैम की रिपोर्ट मोदी सरकार के ‘सबका विकास’ के दावे की पोल खोल देती है। आर्थिक असमानता का स्तर इतना बढ़ गया है कि एक ओर 1% अमीरों के हाथ मे देश की 40% संपत्ति जमा हो गई है और इस संपत्ति में हर मिनट 2.5 करोड़ रुपयों की वृद्धि हो रही है, वहीं वैश्विक गरीबी सूचकांक में देश 107वें स्थान पर आकर खड़ा हो गया है।

    किसान सभा नेताओं ने कहा है कि केंद्रीय बजट जनविरोधी है, जिसमें आम जनता की राहत के लिए कुछ नहीं है। यह बजट कॉरपोरेटों का, कॉरपोरेटों द्वारा, कॉरपोरेटों के लिए बनाया गया बजट है, जिसे मोदी सरकार ने केवल अंगूठा लगाकर संसद में पेश किया है। इस बजट के खिलाफ पूरे देश में प्रतिरोध विकसित किया जाएगा।