“स्थायीकर्मी” बनने छ.ग. वन विभाग के 6500 श्रमायुक्त श्रमिक तैयार
एमपी के 48000 की भांति छ.ग.वन विभाग के श्रमायुक्त श्रमिको ने की स्थायीकर्मी बनाने की मांग
हारुन मानिकपुरी ने की सरकार से मांग
छुरिया: छत्तीसगढ़ के चुनावी वर्ष में नियामिती करण का मुद्दा जोर शोर से उठ रहा है। जिसमे विभिन्न विभागो के संगठन भी सक्रिय हो चुके है। सरकार को दबाव बनाने के लिए तरह तरह की रणनीति बनाई जा रही है, कोई धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है, कुछ बड़ा आंदोलन के मूड में दिखाई दे रहे है।
इसी तारतम्य में वन विभाग के “दैनिक वेतन भोगी” जिन्हें वन विभाग नही मानता कि वे सभी दैनिक वेतन भोगी है। वहा सक्रिय संगठन के संभाग अध्यक्ष ने तो अनोखी पहल करते हुए बिना धरना प्रदर्शन आंदोलन का सहारा लिए, मुख्यमंत्री एवं अपने विभागीय मंन्त्री जी के नाम (खुला पत्र लिखकर ) सकरात्मक ज्ञापन पत्र बनाया।
जिसमें उन्होंने मांग की है कि सरकार मध्य प्रदेश सरकार की तरह वन विभाग के समस्त श्रमायुक्त दर के अस्थायी श्रमिको को न्यूनतम वेतन मान मे स्थायी कर्मी बना दे क्यों कि आज सभी को रोजगार सुरक्षा की बेहद आवश्यकता है। इससे वन विभाग में कार्यरत समस्त अस्थायी श्रमिको का भला हो सकता है सरकार को स्थायी कर्मी बनाने से न आर्थिक दिक्कत बजट में कोई समस्या नही आएगी न ही इसमे कोई क़ानूनी बांधा उमा देवी प्रकरण का आएगा। इसी प्रकार दैनिक वेतन भोगी शब्द के स्थान पर श्रमायुक्त शब्द/स्थायीकर्मी बनाने हेतु होने वाले अनुमानित बजट 0 भार का ज्ञापन में उल्लेख किया।


