शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई
इस शिक्षक दिवस भी खाली रह गए मेरे हाथ
मै शिव कुमार सारथी प्राथमिक शाला शिक्षक आज फिर मेरे सम्मान दिवस पर खाली हाथ हूं यू तो मेरे सम्मान के दिन मुझे बहुत कुछ मिलना था। मान सम्मान के साथ मेरा अधिकार भी मेरे लिए बहुत मायने रखता है कारण न तो मै ऐसा शिक्षक हूं जिसकी पुस्ते की बदौलत मेरा कार्य मात्र आज सामाजिक सरोकार हो और न में पूंजीपति शिक्षक हूं जिसे न कर्तव्य से कुछ लेना देना और न अधिकार से मै तो बस एक साधारण स गुरु जी हूं जो इस देश के ग्रामीण नौनिहाल को बनाना और संवारना चाहता हूं ताकि ताकि वह देश का सुसंस्कारी नागरिक बनें और बदले में क्या चाहता हूं वही जिसे देने का वादा शासन ने किया है पर यह क्या मै तो अपने प्रथम दिवस से ही शोषित और पीड़ित हूं कारण मै राजनेताओं के राजनैतिक चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा हूं जिसे हर पांच वर्षो में भुनाया जाता हूं और किसी एक राजनीतिक पहचान वाले को राजगद्दी तक पहुंचता हूं और मैं खुद खाली हाथ रह जाता हूं क्योंकि मै शिक्षक हूं बनाना मेरे हाथ में है और लूटना मेरी नियति मुझे आज तक जो भी मिला है वह राजनैतिक इच्छा शक्ति से मिला है इसमें मेरे कर्तव्य और मेरे संवैधानिक अधिकार का कोई महत्व नहीं है क्योंकि मै अब शिक्षक नहीं सरकारी नौकर हूं अगर मै अधिकार मांगने निकलता हूं तो यह सरकार मुझे दुत्कारता और धमकाता है कहता है तुम राष्ट्र निर्माता नहीं बल्कि रोजगार प्राप्त मुलाजिम हो और तुम्हारे जैसे चौथाई हिस्से में भी सरकारी स्कूल चलाने लाइन लगाए खड़े है इन सब से मै डर भी जाता हूं क्योंकि अब मुझे भी कहने लगा है कि मै शिक्षक नहीं सरकारी तंत्र का हिस्सा हूं और यही कारण है कि मै आज भी खाली हूं……………………..
✍️”शिव सारथी”
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