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कर्मचारी आंदोलन : वर्चस्व और संघर्ष की लड़ाई मे कर्मचारी आश्वासन लेकर हारा,फेडरेशन के कार्यशैली पर उठे सवाल

रायपुर।प्रदेश मे गत 22अगस्त से शुरू हुआ कर्मचारी आंदोलन अपने चरम पर जाकर महज आश्वासन के बाद समाप्त हो गया लगभग 12दिन चले कर्मचारी आंदोलन  अपने पूरे शबाब पर चल रहा था प्रदेश मे आंदोलन से प्रशासनिक तंत्र हिल गया था कर्मचारी सन्घो के इस आंदोलन का असर दिखने लगा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपील करनी पड़ी की आम लोगो को हो रही परेशानी को देखते हुए कर्मचारी काम पर लौटे

वही प्रदेश का सबसे बड़ा कर्मचारी आंदोलन शून्य पर अचानक  सरकार पर भरोषा जताते वापस काम पर लौट आया वो भी3%महंगाईभत्ता दिवाली मे दिये जाने के मौखिक आश्वासन पर आंदोलन समाप्ति के बाद आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं के नीति रणनीति और नेतृत्व सवालों के घेरे मे आ गया  कर्मचारी संगठनो मे फुट पड़ गई है 

कई संगठन अब अधिकारी फेडरेशन से दूरी बनाना चालू कर दिये जिनमे पटवारी संघ ,संयुक्त शिक्षक संघ,न्याययिक कर्मचारी संघ 

आश्वासन पर आंदोलन वापसी करना ही था तो 12दिन का आंदोलन क्यो सरकार कमेटी बना कर मांगों को ठंडे बस्ते मे डाल देती है जैसे पिंगुवा कमेटी,सहायक शिक्षको के वेतन विसंगति के लिए गठित अंतर विभागीय कमेटी अब एचआरए के लिए कमेटी

लोगो ने अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के उपर आरोप लगाया है की कमलवर्मा ने कर्मचारियो  के अधिकार  की लड़ाई  को संगठनो की वर्चस्व की लड़ाई बना कर लोगो को अपने सांगठनिक वजूद को बचाने किया जिसका नतीजा शून्य आया

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