स्थानांतरण नीति 2025 का दिव्यांग कर्मचारी को नहीं मिला लाभ
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरबा द्वारा नहीं लिया गया संज्ञान
कोरबा / छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर द्वारा जारी स्थानांतरण नीति 5 जून 2025 के आधार पर स्थानांतरण चाहने वाले कर्मचारी को जो तृतीय वर्ग एवं चतुर्थ वर्ग हैं 13 जून 2025 तक जिला विभाग प्रमुखों को आवेदन किया जाना था तत्संबंध में संबंधित कर्मचारियों द्वारा भी जिला कोरबा में नियत समय पर आवेदन जमा किया गया, मामला चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग का है रानी धनराज कुंवर देवी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरबा में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारी ज्योति खाकसे फार्मासिस्ट ग्रेड-2 जिनके द्वारा स्थानांतरण किए जाने हेतु पूरी प्रक्रिया के तहत 13 जून 2025 एवं 3 जुलाई 2019 व 25 जुलाई 2019,2 सितंबर 2022 को श्रीमान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरबा को आवेदन जमा किया गया परंतु चाही गई स्थान में रिक्त पद होने के बावजूद भी स्थानांतरण से वर्चित किया गया इसके पूर्व सुशासन तिहार में भी समस्याओं का उल्लेख करते हुए स्थानांतरण हेतु अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया था किंतु दुर्भाग्य कहें या सिस्टम की लाचारी स्थानांतरण नीति 2025 के अनुपालन में जिले के माननीय प्रभारी मंत्री महोदय के अनुमोदन से एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला कोरबा के प्रस्ताव पर गैर कार्यपालिक तृतीय चतुर्थ श्रेणी संवर्ग के कर्मचारियों को जिला स्तर पर स्थानांतरण, कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कोरबा छत्तीसगढ़ के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के केवल 29 कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जा सका जबकि गैर पालिक तृतीय चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का स्थानांतरण कुल कर्मचारियों के 10% से अधिकतम 15% तक स्थानांतरण किया जा सकेंगे नियम लिपिबद्ध है कोरबा जिले के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में लगभग गैर कार्यपालिका तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी में हजारों कर्मचारी कार्यरत हैं केवल 29 कर्मचारियों का स्थानांतरण कर विषम परिस्थिति से जूझते हुए दिव्यांग कर्मचारी का जिला स्तरीय स्थानांतरण से वंचित किया जाना किसी भी मानवता के प्रति तिरस्कार है।
ज्ञातव्य हो की दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 20(5) सरकार द्वारा दिव्यांग कर्मचारी की तैनाती और स्थानांतरण के लिए समुचित नीति का प्रावधान एवं छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय दाऊ कल्याण सिंह भवन रायपुर का परिपत्र क्रमांक एफ 1-1/ 2010/ 1-6 रायपुर दिनांक 30 अगस्त 2010 शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति की पद स्थापना के संबंध में निर्देश जारी किया गया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली द्वारा 20 जुलाई 2000 का स्पष्ट निर्देश जिसमें राज्य सरकारों को दिव्यांग कर्मचारी को यथासंभव उनकी पसंद के स्थान पर पदस्थापना किया जाने अधिसूचना जारी करने निर्देश दिया गया था जिसमे कि शारीरिक रूप से दिव्यांगजन के लिए समान अवसर प्रदान करता है और इसे सुनिश्चित करने के लिए कई नियम बनाए गए हैं ऐसे कर्मचारियों के स्थानांतरण और पद स्थापना ऐसी होनी चाहिए कि उन्हें उनके पसंदीदा स्थान पर पोस्टिंग का विकल्प दिया जाए और उन्हें रोटेशन ट्रांसफर से छूट भी दी जा सकती है ताकि उन्हें कोई परेशानी ना हो। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा भी दिव्यांगों को लेकर राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है कि दिव्यांग कर्मचारी की पोस्टिंग ऐसी जगह पर की जाए जहां से वह आसानी से अपनी यात्रा कर सकें घर के पास ही उनकी पोस्टिंग की जाएगी सरकारी आदेश के अनुसार दिव्यांगों को लाभ पहुंचाने भी निर्देश जारी किया गया है। स्पर्श निर्देश के बावजूद भी शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारी ज्योति खाकसे का उनके द्वारा मांग की गई स्थान पर स्थानांतरण नहीं किया जाना मानवता के लिए प्रश्न चिन्ह है।
छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर की स्थानांतरण नीति 2025 कंडिका क्रमांक 3.17 मे स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि सभी संलग्न करण 5 जून 2025 तक समाप्त माने जाएंगे इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग कोरबा में मुकेश प्रजापति फार्मासिस्ट ग्रेड-2, जय सिंह फार्मासिस्ट ग्रेड- 2 राजेंद्र पैकरा फार्मासिस्ट क़ो जिला चिकित्सालय कोरबा मे सलग्नीकरण किया गया है व दुर्गा प्रसाद तिवारी फार्मासिस्ट ग्रेड-2 क़ो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरबा मे सलग्नीकरण किया गया है
छत्तीसगढ़ दिव्यांग शासकीय अधिकारी/कर्मचारी संघ जिला कोरबा के जिला अध्यक्ष श्री प्रकाश खाकसे ने स्पष्ट आरोप लगाते हुए बताया कि स्वास्थ्य विभाग के ऐसे गैर कार्यपालिक तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जिनके द्वारा स्थानांतरण चाहा गया था जो की स्थानांतरण नीति 2025 द्वारा निर्देशित स्थानांतरण प्रतिशत से भी कम था किन्तु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला कोरबा के द्वारा अपनों को फायदा पहुंचने के उद्देश्य से शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारी को स्थानांतरण से वंचित किया गया है जो कतई उचित नहीं है। ऐसे प्रभावित दिव्यांग कर्मचारी द्वारा चाही गई स्थान पर स्थानांतरण नहीं किए जाने की स्थिति में माननीय न्यायालय के शरण जाने बाध्य हो जाएंगे।
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