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सड़क सुरक्षा समिति की बैठक के बाद दो माह में ही 33 लोगों की गई जान


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जांजगीर – चांपा। जिले में लगातार सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही है। तेज रफ्तार और लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। इसके चलते आए दिन सड़क दुर्घटना में लोगों की जान जा रही है। जिले में इस वर्ष जनवरी से लेकर अप्रैल महीने के 121 दिन में 151 सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 66 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि इन हादसों में 154 लोग घायल हुए हैं। दो माह पहले हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक बाद सड़क दुर्घटना रोकने लिए गए निर्णय पर अमल तो नहीं हुआ मगर इन दो महीने में ही 33 लोगों की मौत हो गई। सर्वाधिक दुर्घटनाएं भारी वाहनों के ठोकर से हुई है।जिले में परिवहन के संसाधन बढ़ने के साथ ही सड़कों में वाहनों का दबाब भी बढ़ने लगा है। इसमें दो पहिया, ट्रैक्टर, बस, ट्रक व ट्रेलर वाहनों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। सड़कों में वाहनों के दबाव के साथ ही सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी है। इसके चलते जिले में सड़क हादसों का ग्राफ भी लगातार बढ़ते जा रहा है। यातायात विभाग द्वारा केवल छोटे वाहन चालकों के दस्तावेजों की जांच कर खानापूर्ति कर दी जाती है, जबकि जिले की सड़कों में भारी वाहन चालक बेखौपु भर्राटे भरते हैं। यातायात विभाग द्वारा ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि अधिकांश सड़क दुर्घटना लोगों में जागरूकता का अभाव होने के साथ ही साथ लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने से होती है। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक कलेक्टर और एसपी की अध्यक्षता में होने के बाद भी केवल पुलिस विभाग ही दुर्घटना रोकने के उपाय करने में लगा हुआ है। जबकि एनएच, पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग की उदासीनता के चलते जिले में लोग बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। जिले की सड़कें हर दिन लोगों की खून से लाल हो रही है। आए दिन सड़क दुर्घटना में लोगों की जान जा रही है। यातायात पुलिस के तमाम प्रयासों के बाद भी सड़क दुर्घटना पर रोक नहीं लग पा रही है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष जनवरी से लेकर अप्रैल महीने के 121 दिन में 151 सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 66 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि इन हादसों में 154 लोग घायल हुए हैं। वाहन मालिकों पर भी होनी चाहिए कार्रवाईवाहन चालक बड़ी तादात में शराब पीकर वाहन चलाते हैं, इससे आए दिन दुर्घटना होती है। ऐसे में वाहनों को रोककर चालकों की जांच किया जाना भी आवश्यक है, मगर यातायात विभाग द्वारा वाहन चालकों की नियमित जांच नहीं की जाती है। वहीं दुर्घटना होने पर वाहन मालिकों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना आवश्यक है। ताकि वे नशे के आदि ड्राइवरों के हवाले अपना भारी वाहन न करें, मगर वाहन मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। वाहन चालकों के खिलाफ केवल 304 ए का मामला दर्ज कर औपचारिकता निभा दी जाती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में ट्रैक्टर चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता और वे सड़कों पर पुर्राटे भरते हैं। जिसकी वजह से दुर्घटनाएं होती है।ओह्वर लोड वाहनों को छूटओह्वर लोड वाहन चालकों के खिलापु अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का निर्देश केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा पहले दिया गया था, मगर ओह्वर लोड में भी जुर्माना लेकर चालकों को छोड़ दिया जाता है। इससे उनके हौसले बुलंद हैं और ओह्वर लोड वाहनों से आए दिन दुर्घटना होती है। जिले में यातायात विभाग द्वारा ओह्वर लोड वाहनों को खुली छूट दिया गया है। जिले की सड़कों में रोजना सैकड़ों ओह्वर लोड वाहनें दौड़ रही है मगर चौक – चौराहों पर खड़े यातायात के जवानों को वह वाहनें नजर नहीं आती है। उबड़ खाबड़ और गड्ढे युक्त सडकें , नशे में वाहन चलाने की प्रवृत्ति, दोपहिया वाहन चालकों के द्वारा हेलमेट का उपयोग नहीं किया जाना, तेज रफ्तार वाहनों पर कार्रवाई नहीं होने और चौक चौराहों में तैनात यातायात पुलिस द्वारा केवल पाइंट में ही यातायात नियंत्रित करने की वजह से दुर्घटना बढ़ रही है। यातायात पुलिस को देखकर वाहन चालक चौक चौराहों में गति धीमी कर देते हैं मगर वहां से निकलते वे तेज गति से पुर्राटे भरते हैं। जिला मुख्यालय में ही बाइक पर स्टंट करने वालों व तेज रफ्तार बाइक चलाने वालों पर कभी कभार ही कार्रवाई होती है। सड़कों की मरम्मत हुई और ना ब्लैक स्पाट का चयन दो माह पहले 27 फरवरी को कलेक्टर आकाश छिकारा एवं एसपी विवेक शुक्ला ने सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सड़क सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक ली थी। बैठक में ब्लैक स्पाट का नये सिरे से सर्वेक्षण एवं चिन्हांकित कर सुधार, खराब एवं गड्डे युक्त सड़कोंकी मरम्मत, सड़क दुर्घटनाओं के कारणों को पहचानने और उसका अध्ययन करने, जिले में निर्माणधीन रोड में प्रगति लाकर जल्द से शीघ्र पूरा करने, दुर्घटना वाले क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करानेके निर्देश कलेक्टर ने दिए थे मगर न ब्लैक स्पाट का नये सिरे से सर्वेक्षण एवं चिन्हांकित हुआ और न ही , खराब एवं गड्डे युक्त सड़कों की मरम्मत हो पाई है। सांकेतिक बोर्ड, रंबल स्ट्रीप और सड़क किनारे दोनो ओर पेड़ पर रेडियम लगाने का ही कार्य हुआ है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने दुर्घटना जघन्य क्षेत्रों में उपाय किए गए हैं। वाहन चालकों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर लगातार कार्रवाई की जा रही है। वाहन चालकों के साथ ही लोगों को भी जागरूक होकर यातायात नियमों का पालन करने से भी दुर्घटनाओं में कमी आएगी। प्रदीप जोशी यातायात प्रभारी


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