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सीताकसा का एक ऐसा सरकारी स्कूल, जहां सपने लेते हैं आकार! शिक्षक प्रीतम कोठारी ने अकेले ही बदल दी प्रायमरी स्कूल की तस्वीर

सीताकसा का एक ऐसा सरकारी स्कूल, जहां सपने लेते हैं आकार!
शिक्षक प्रीतम कोठारी ने अकेले ही बदल दी प्रायमरी स्कूल की तस्वीर

जिस स्कूल में खुद पढ़े, उसी स्कूल का किया कायाकल्प


राजनांदगांव। आज के दौर में शिक्षा पूरी तरह से व्यवसायिक रूप ले चुकी है । नित नई सुविधाओं के साथ धड़ाधड़ प्रायवेट स्कूल खुल रहे हैं। सरकारी स्कूलों की अव्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। हालांकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले जाने के बाद सरकारी स्कूलों
की दशा में काफी कुछ सुधार आया है।
ऐसे दौर में जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी का रोना रोया जाता है, उस दौर में भी छुरिया ब्लाक के सीताकसा में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला की बात ही निराली है।
छुरिया ब्लाक अंतर्गत ग्राम सीताकसा जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थित है। यह गांव खुज्जी से बेंदरकटा – तलवार टोला मार्ग पर स्थित है। शिक्षक प्रीतम कोठारी, जो स्थानीय यानि सीताकसा गांव के ही निवासी हैं। श्री कोठारी प्रधान पाठक हैं और उनके साथ सहयोगी एक शिक्षक और हैं, जो स्कूल की पूरी व्यवस्था संभाले हुए हैं। शिक्षक प्रीतम कोठारी का जज्बा ऐसा कि उन्होंने सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की जो आम धारणा होती है, उसे तोड़कर रख दिया है। इसे उनकी अपनी मातृभूमि से प्रेम कहें या अपने गांव के बच्चों के भविष्य की चिंता, उन्होंने अपने शासकीय स्कूल की पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी है। लोक कला से भी कोठारी का है सरोकार
भास्कर दूत की टीम ने ग्राम सीताकसा स्थित प्राथमिक शाला का जायजा लिया और शिक्षक प्रीतम कोठारी द्वारा किए गए नवाचार और तमाम सकरात्मक प्रयासों को करीब से देखा। चर्चा के दौरान प्रीतम कोठारी ने बताया कि उनकी
शाला परिसर की खूबसूरती है लाजवाब
शाला परिसर की खूबसूरती इतनी अच्छी है कि आप जैसे ही शाला परिसर में प्रवेश करेंगे, आपकी पूरी थकान पल भर में छूमंतर हो जायेगी। यहां शाला परिसर में सबसे पहले अभिमन्यु चक्र दिखेगा, जो गणितीय शिक्षण के साथ वाटर हार्वेस्टिंग, किंडन गार्डन के रूप में तैयार किया गया है। दूसरी तरफ भारत का नक्शा तैयार किया गया है। शाला परिसर के बीचोंबीच सूर्य के आकार का डिजाइन है, जहां बच्चे चारों तरफ बैठकर अपना शैक्षणिक कार्य करते हैं। शाला परिसर में किचन गार्डन बना हुआ है, जहां टमाटर, बरबट्टी, पालक, गाजर, पपीता, केला आदि को आधुनिक तरीके से लगाया गया है। गेंदे के लगभग 250 पौधे उच्च किस्म के लगे हैं, जिनमें छह इंच की ऊंचाई से फूल आने लगे हैं। शाला परिसर का हर एक कोना दर्शनीय है। प्राथमिक शिक्षा भी इसी स्कूल में हुई है, जहां आज वे प्रधान पाठक के रुप में कार्यरत हैं। स्कूल का हर एक कोना अपने आप में शैक्षिक नवाचार से भरापूरा है, जहां क्रियानिष्ठ शोध अंतर्गत बच्चों के सपनों को आकार देने का काम बखूबी से किया जा रहा है । कक्षा पहली के बच्चे भी धारा प्रवाह पुस्तक का पठन कर लेते हैं और 15 तक पहाड़ा भी बेधड़क बोल लेते हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बच्चे अपने शिक्षक के साथ फिल्म केसरी का गीत – तेरी मिट्टी में मिल जावां, बन गुल के मैं खिल जावां की प्रस्तुति इस तरह से करते हैं कि आप भी सुनकर दंग रह जायेंगे कि इतनी बारीक श्रुति
एकल शिक्षकीय स्कूल सबके लिए मॉडल
शासकीय स्कूलों को इस स्कूल से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, जो एकल शिक्षकीय होने बाद भी सभी शैक्षणिक गतिविधियों के साथ सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, खेल आदि में बच्चों के सपनों को कैसे साकार किया जाता है। इससे बड़ा उदाहरण कोई और नहीं हो सकता। श्री कोठारी द्वारा पढ़ाए गए बच्चे आज इंडियन डिफेंस, स्टेट डिफेंस में कार्यरत हैं। साथ ही चिकित्सा, शिक्षा और कानून की पढ़ाई कर रहें हैं। जिन बच्चों के पालकों का साया सर से उठ गया है, उन बच्चों के लिए एक पिता की तरह उनकी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं।
वाला मुश्किल गीत बच्चे कैसे सहज रुप से गा लेते हैं? तब हमें पता चला कि इस स्कूल के शिक्षक प्रीतम कोठारी छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोकमंचों- चंदैनी गोंदा, धरोहर, राग- अनुराग में उद्घोषक के रुप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वर्तमान में छत्तीसगढ़ की स्वर कोकिला श्रीमती कविता वासनिक के साथ अनुराग धारा में उद्घोषक हैं, जिनका पूरा लाभ बच्चों को कला के क्षेत्र में मिल रहा है।
पत्नी और बेटा भी निभा रहे हैं साथ को शिक्षक प्रीतम कोठारी ने बताया कि समुदाय और ग्रामवासी कौशल कोठारी, बलदाऊ मंडावी, नरेश ठाकुर, लखन साहू, बिंझवार मंडावी, मदन साहू, मानसिंह मंडावी, तुलाराम साहू, अजित कोठारी, माखन प्रसाद ठाकुर, अशोक विश्वकर्मा, पूनाराम साहू, बिदेशी साहू, झरोखा साहू, पूषण साहू, कमलेश गंधर्व, तुलसी राम साहू, भुनेश्वर कोठारी, बुलकी रामटेके, गणेश जोशी आदि एवं पालकों पूरा सहयोग उन्हें मिलता है। जो बच्चे पढ़कर वहां से उच्च कक्षा में अध्ययनरत हैं, वे भी समय-समय पर स्कूल के गतिविधियों में सहयोग करते हैं। साथ ही उनकी पत्नी श्रीमती शशिकला कोठारी और उनका बेटा यश कोठारी भी स्कूल के काम में हाथ बंटाते हैं। इनसे मिली प्रीतम कोठारी को प्रेरणा श्री कोठारी के प्रेरणा स्रोत उनके प्राथमिक शिक्षक शेष नारायण शांडिल्य, माता-पिता, दादा अजबसिंह कोठारी, पद्मश्री पं. श्याम लाल चतुर्वेदी, वरिष्ठ साहित्यकार, प्रसिद्ध संगीतकार स्व. खुमान लाल साव, महादेव हिरवानी लोकगायक पं रामहृदय तिवारी रंगकर्मी, निर्देशक साहित्यकार, हेमलाल कौशल छत्तीसगढ़ी फिल्म अभिनेता, नत्थू दादा हिन्दी फिल्म अभिनेता, पद्मश्री अनुज शर्मा, मुकंद कौशल राष्ट्रीय कवि, मधुसूदन यादव पूर्व सांसद (संरक्षक शास.प्राथ.शाला सीताकसा), सेवानिवृत्त डीआईजी आर. एस नायक, बी. एस. नायक रजिस्ट्रार और वर्तमान में रायपुर एसएसपी (रेलवे) जे. आर. ठाकुर, भूपेंद्र साहू, त्रेता चंद्राकर रंग सरोवर, दुष्यंत हरमुख रंग झरोखा, वरिष्ठ पत्रकार सुरेश नखत, प्रेमप्रकाश साहू, बालकृष्ण सिन्हा, घनश्याम साव आदि हैं, जिनसे मिलकर उनकी प्रेरणा से राजनांदगांव जिले का यह स्कूल पूरे छत्तीसगढ़ में अपने नवाचार के कारण सुर्खियों में हैं।
खुद से ज्यादा स्कूली बच्चों की चिंता शिक्षक श्री कोठारी की उपलब्धियां सुनकर आप भी स्तब्ध हो जायेंगे। चाहते तो वे राज्य सिविल सेवा की परीक्षा काफी पहले ही उत्तीर्ण कर लेते, लेकिन उन्होंने अपने स्कूली बच्चों के सपनों को साकार करने की ठानी। ऐसे शिक्षक बिरले ही मिलते हैं, जो खुद से ज्यादा अपने विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता करते हैं।
शिक्षक प्रीतम कोठारी की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं- पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध और उद्घोषक की उपाधि, मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण, अरविंदो सोसायटी नई दिल्ली द्वारा सम्मान, देश के प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा सम्मान आदि ।

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