
पेण्ड्रा/दिनांक 12 दिसंबर 2023
कर्मचारियों को उम्मीद : सरकार गठन के बाद देय तिथि से मंहगाई भत्ता का आदेश जल्द जारी होगा
डीए के लिए तरसने का अनुभव कर्मचारियों को पहली बार भूपेश सरकार में मिला, डीए डुबाने वाली भूपेश सरकार को कर्मचारियों ने डुबोया
अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को डीए देकर और कर्मचारियों को वंचित रखकर भूपेश सरकार ने किया था भेदभाव
पेण्ड्रा / विष्णु देव साय के नेतृत्व में गठित होने वाली भाजपा सरकार से छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा को उम्मीद है कि घोषणा पत्र में किए गए वायदे के अनुसार देय तिथि से कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता देने का आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा। राज्य में सरकार बदलने के बाद संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि जुलाई से दिसम्बर तक का 6 माह का डीए अब नहीं डूबेगा। बता दें कि डॉ रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल में कर्मचारियों को कभी डीए की समस्या नहीं हुई थी जबकि 5 साल के भूपेश सरकार के कार्यकाल में कर्मचारी डीए के लिए तरस गए और कई बार हड़ताल किए फिर भी सरकार ने देय तिथि से डीए का भुगतान कभी नहीं किया, जिसके कारण कर्मचारियों के असंतोष का खामियाजा चुनाव में भूपेश सरकार को भुगतना पड़ा।
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बदलने के प्रमुख कारणों में से एक कारण यह भी था कि प्रत्येक कर्मचारी और पेंशनर का लाखों रुपए का डीए (मंहगाई भत्ता) का एरियर्स भुगतान नहीं दिए जाने से इस वर्ग में भूपेश सरकार से भारी असंतोष था। यहां तक कि चुनाव आयोग से अनुमति मिलने के बाद भूपेश सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों को देय तिथि से डीए दे दिया लेकिन कर्मचारियों को नहीं दिया। इसलिए भेदभाव पूर्ण नीति के कारण कर्मचारी संगठनों में भूपेश सरकार से आक्रोश और अविश्वास बढ़ता ही गया।
भाजपा ने घोषणा पत्र में वायदा किया है कि वह केन्द्र के समान देय तिथि से राज्य के कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता और पेंशनर को मंहगाई राहत देगी। इस वायदे को पूरा करने की बात मुख्यमंत्री बन रहे विष्णुदेव साय और घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष विजय बघेल भी कह चुके हैं। भाजपा ने कर्मचारियों के डीए का एरियर्स राशि भी भविष्य निधि खाते में जमा करने का वायदा किया है। इससे प्रदेश के कर्मचारी संगठनों को विश्वास है कि भाजपा सरकार अपना यह वायदा पूरा करेगी।
कर्मचारियों को डीए के लिए तरसने का अनुभव पहली बार भूपेश सरकार में मिला
डीए के लिए भी कर्मचारियों को कोई सरकार तरसा सकती है इसका अनुभव कर्मचारियों को पहली बार भूपेश सरकार में हुआ। इससे पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई क्योंकि जब जब केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केन्द्र सरकार डीए बढ़ाती थी, तब तब राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों का डीए बढ़ा देती थी। लेकिन इस परंपरा को भूपेश सरकार ने तोड़ दिया था जिसके कारण कर्मचारियों में गुस्सा था जो चुनाव में देखने को मिला।
लाखों रुपए का डीए का नुकसान रोकने के लिए कर्मचारियों ने भूपेश सरकार को बदलने में अहम भूमिका निभाया
भूपेश सरकार इतिहास की पहली सरकार थी जिसके राज में कर्मचारियों को डीए के लिए कई कई बार हड़ताल करना पड़ा था। इस सरकार के पहले डीए के लिए कर्मचारी न कभी परेशान हुए थे और न ही कभी हड़ताल किए थे। डीए के लिए भी कर्मचारियों को कोई सरकार तरसा सकती है इसका अनुभव कर्मचारियों को पहली बार भूपेश सरकार में हुआ। बकाया डीए भुगतान की लड़ाई लड़ने के लिए ही प्रदेश के सभी संगठनों ने मिलकर “छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा” गठित कर हड़ताल किया। भूपेश सरकार ने हड़ताल का दमन किया और डीए का एरियर्स भुगतान नहीं किया। इसे कर्मचारियों ने गलत परम्परा की शुरुआत और भविष्य में लाखों रुपए के नुकसान के रुप में देखा। यही कारण है कि कर्मचारी भूपेश सरकार से नाराज थे और यही नाराजगी भूपेश सरकार को भारी पड़ी।


