
गरियाबंद:लापरवाह प्रशासक के कुंभकर्णणीय निद्रा के चलते पैरी नदी रेत माफिया के लिए सबसे सुगम बन गया है। एनजीटी के नियम के मुताबिक 10 जून से 16 अक्तूबर तक शासन से स्वीकृत रेत खदान बंद है। लेकिन यहां स्वीकृत खदान की बात छोड़ नियम की धज्जियां उड़ाते अवैध खदान में खुलेआम रेत खनन और परिवहन हो रही है। हम बात कर रहे पाण्डुका क्षेत्र के ग्राम कूटेना में सिरकट्टी आश्रम के नीचे पैरी नदी में चल रहे अवैध खदान की।
एनजीटी ने 10 जून से रेत उत्खनन पर 4 माह के लिए रोक लगा दी है। इस हिसाब से अब नदी से उत्खनन नहीं हो सकता है। निगरानी के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। नदियां से माफिया बेधड़क रेत निकाल रहे हैं।
खदानों में तो रातभर मशीन लगाकर खनन किया जा रहा है। बारिश के दिनों में रेत लोडिंग कीमत भी सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है। फिलहाल रेत खदान में 10 चक्का हाइवा की लोडिंग चार्ज 5000 रुपए और 12 चक्का हाइवा वाहन की लोडिंग चार्ज 6000 रुपए है।
रेत खनन में लिप्त माफिया के लठैत रायफल दिखा लोगों को धमका रहे हैं। दहहत के साए में स्थानीय ग्रामीण इसकी शिकायत तक नहीं कर रहे हैं। रेत खनन की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन ने मुक दर्शक बन गए हैं।
जानकारी के मुताबिक राजिम क्षेत्र के एक बड़े जनप्रतिनिधि के साला ने अवैध खदान संचालित करने सिस्टम सेट किया है। दुर्ग -भिलाई के गुंडे को खदान चलाने जिम्मेदारी सौंपी है जिसके बाद से बेखौफ पैरी नदी में रेत खनन और परिवहन धड़ल्ले से चल रहा है।
बीते दिनों राजस्व विभाग के अधिकारी एवं माइनिंग अधिकारी खदान का रुख किया था लेकिन बिना कार्यवाही करे उल्टे पांव लौट आए। इन अधिकारी की मजबूरी किसी से छुपी नहीं है।
इधर जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू ने कुटेना गांव में संचालित हो रहे अवैध रेत खदान को लेकर राजिम विधायक अमितेश शुक्ल पर निशाना साधते हुए कहा कि राजिम विधायक ने साढ़े चार साल में रेत खदान से करोड़ों रुपए की बटोर लिए हैं। चुनावी खर्च निकालने विधायक रेत खदान चलाते हैं। क्षेत्र की जनता सब समझ चुकी हैं। पूरा प्रशासन भी विधायक के करतूत से वाकिफ है। उनके दबाव के चलते अवैध रेत खदान पर कार्यवाही नहीं होती है।


