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पारंपरिक गुरू-शिष्य परंपरा को अक्षुण्ण रखने वाले गुरुकुल विद्यालय का अस्तित्व खतरे में

 

पारंपरिक गुरू-शिष्य परंपरा को अक्षुण्ण रखने वाले गुरुकुल विद्यालय का अस्तित्व खतरे में

गुरुकुल की विशिष्ट पहचान है, इसे संरक्षित करने की जरूरत – विधायक डॉ केके ध्रुव

जीपीएम जिला निर्माण की भेंट चढ़ रहा गुरुकुल

गुरुकुल में कलेक्ट्रेट बनाने का 5000 भूतपूर्व छात्रों ने विरोध किया

गुरुकुल विद्यालय को स्थानांतरित करना, मालिक को ही उसके घर से निकालने के समान – एलुमनी एसोसियेशन

पेण्ड्रा / छात्र श्रम, खेलकूद एवं पारंपरिक गुरू-शिष्य परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए 44 वर्ष पहले गुरुकुल विद्यालय पेण्ड्रारोड में खोला गया था लेकिन अब इस विद्यालय का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है क्योंकि इस विशिष्ट विद्यालय में कलेक्ट्रेट बनाने के प्रशासनिक निर्णय के कारण इस विद्यालय के छात्रों को अन्यत्र पढ़ने जाने के लिए आदेशित कर दिया गया है। गुरुकुल के 5000 भूतपूर्व छात्रों के एलुमनी एसोसियेशन एवं वर्तमान विद्यार्थियों और उनके पालकों ने इसका विरोध जताते हुए इसके संरक्षण की गुहार लगाई है और कहा है कि गुरुकुल विद्यालय को स्थानांतरित करना, मालिक को ही उसके घर से निकालने के समान है। वहीं मरवाही विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ केके ध्रुव ने कहा है कि शासकीय गुरुकुल विशिष्ट विद्यालय है, इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। पेण्ड्रा मरवाही के जनप्रतिनिधियों ने भी यहां कलेक्ट्रेट निर्माण रोकने का ज्ञापन सौंपा है।

अनूसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को खेलकूद के साथ ही उच्च श्रेणी की शिक्षा देने के लिए गुरुकुल आवासीय परिसर विद्यालय की स्थापना की गई थी। लेकिन जीपीएम जिला निर्माण के बाद प्रशासनिक मनमानी के कारण गुरुकुल आवासीय विद्यालय को ग्रहण लग गया है जिसके कारण यहां शैक्षणिक ढांचा चरमरा गया है।

एलुमनी एसोसियेशन ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नवीन जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही का जिला मुख्यालय बनाने के लिए शासकीय गुरुकुल विद्यालय पेण्ड्रारोड को अस्थायी मुख्यालय बनाया गया था और विद्यालय के माध्यमिक शाला को छात्रों से खाली कराकर उसमें अस्थायी जिला मुख्यालय संचालित किया जा रहा है। उसके बाद धीरे-धीरे विगत 3 वर्षों में विद्यालय का प्रशासनिक भवन, रेस्ट हाउस, आदिवासी भवन, स्टॉफ क्वार्टर, पुराना मिडिल छात्रावास, खेल मैदान, लैब, पुस्तकालय एवं हॉल को अधिग्रहित किया जा चुका है। जिससे कि प्रदेश भर से इस खेलकूद परिसर में पढ़ने आने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई और खेलकूद गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया गया है। इतने विशाल परिसर वाले विद्यालय को अन्यत्र स्थानांतरित करने हेतु आदेश जारी किया गया है। जिसका शिक्षा पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

 

एक विशिष्ट विद्यालय को नष्ट करने का औचित्य समझ से परे – एलुमनी एसोसियेशन

एलुमनी एसोसियेशन ने कहा कि नवीन जिला मुख्यालय बनाने के लिये जिले में काफी शासकीय भूमि एवं भवन है, फिर भी एक विशिष्ट विद्यालय को नष्ट करने का औचित्य समझ से परे है।

छात्र श्रम, खेल एवं पारंपरिक गुरू-शिष्य परंपरा को अक्षुण्ण रखने विशिष्ट विद्यालय का निर्माण हुआ था

विदित हो कि 1979 में स्थापित इस संस्था का गौरवशाली इतिहास रहा है। विद्यालय की जमीन को तात्कालीन दानदाताओं ने केवल शिक्षा एवं स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिये दान में दिया था। इस विद्यालय परिसर से लगे सेनेटोरियम अस्पताल में नोबल विजेता गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर भी एक वर्ष तक अपनी पत्नि के इलाज के लिये निवास किये थे। छात्र श्रम, खेल एवं पारंपरिक गुरू-शिष्य परंपरा को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये इस विशिष्ट विद्यालय का निर्माण किया गया था। इस विद्यालय में 80 प्रतिशत छात्र अनुसूचित जनजाति, 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं 5 प्रतिशत अन्य वर्ग के छात्र अध्ययन करते हैं।

गुरुकुल विद्यालय से पढ़े छात्रों ने देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का नाम हमेशा रौशन किया

आदिवासी अंचल में स्थित यह विद्यालय स्तरीय एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने वाली प्रदेश का शीर्ष शासकीय आवासीय विद्यालय है, जिसने देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का नाम हमेशा रौशन किया है। इस ऐतिहासिक संस्था ने 2000 से अधिक शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी, सनदी लेखाकार, बैंक अधिकारी, सैकड़ों इंजीनियर, चिकित्सक, शिक्षक, पुलिस, सैनिक, कार्यपालिक कर्मचारी एवं सफल उद्यमी पैदा किया हैं जो न केवल देश में अपितु विदेशों में अपनी मातृभूमि का नाम रौषन कर रहें हैं। प्रतिवर्ष यहाँ के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रदेश का नेतृत्व करतें हैं, कुछ खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुचने में सफल हुए हैं। यहाँ के छात्र लगभग प्रतिवर्ष प्रदेश के परीक्षा परिणाम के प्रावीण्य सूची में अपना स्थान बनाने में सफल रहतें हैं। गुरुकुल विद्यालय के 5000 भूतपूर्व छात्रों ने शासन प्रशासन से मांग किया है कि इस विद्यालय को न नष्ट होने दें और न ही अन्यत्र स्थानांतरित करें।

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