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अमरकंटक के जिनालय की ध्वजा अनंतकाल तक दिशाबोध कराती रहेगी – मुनि प्रसाद सागर

अमरकंटक के जिनालय की ध्वजा अनंतकाल तक दिशाबोध कराती रहेगी – मुनि प्रसाद सागर

ध्वजा ने ऊपर उठते ही पूर्व दिशा का संकेत किया, निश्चित ही ये पंचकल्याणक अभूतपूर्व होगा – मुनि प्रसाद सागर

पंचकल्याणक महोत्सव पाषाण से भगवान बनाने का अनुष्ठान है

अमरकंटक में पंचकल्याणक महोत्सव की हुई शुरूआत 2 अप्रैल तक चलेगा कार्यक्रम

पेण्ड्रा / अमरकंटक के भगवान आदिनाथ मंदिर में ध्वजारोहण के साथ ही जैन धर्मावलंबियों के पंचकल्याणक महामहोत्सव का शुभारंभ हो गया। ऊपर पहुंचते ही ध्वजा ने पूरब दिशा का संकेत दिखाया। इसके पूर्व पीले वस्त्र धारण कर सैकड़ों महिलाओं ने सिर पर मंगलकलश रख कर अमरकंटक नगर भ्रमण किया। इस शोभायात्रा में रथों में सवार विशेष पात्र आकर्षण का केंद्र थे। रथों पर विशेष पात्र देवों जैसे परिधान में सुशोभित हो रहे थे।

सर्वोदय तीर्थ पंचकल्याणक महा महोत्सव में उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुये आचार्य विद्यासागर महाराज के संघस्थ निर्यापक मुनि प्रसाद सागर महाराज ने कहा कि सूर्य और संत समान होते हैं दोनों का उद्देश्य है जगत को प्रकाशित करना होता है। संत का जीवन व्यापक होता वह परहित के लिये जीता है। उन्होंने कहा कि अमरकंटक के जिनालय की ध्वजा अनंतकाल तक दिशाबोध कराती रहेगी। पंचकल्याणक महोत्सव पाषाण से भगवान बनाने का अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि खाली दिमाग शैतान का, भरा दिमाग भगवान का। अच्छा खानदान उसी का होता है जिसका खानपान अच्छा होता है। शुद्ध, सात्विक, शाकाहार भोजन उच्च खानपान का माना जाता है। प्रत्येक यात्री की कोई न कोई मंजिल होती है, आपकी मंजिल कौन सी है, कहां जाना है, मंजिल ज्ञात नहीं और यात्रा कर रहे हो, ये कैसी यात्रा है और आप कैसे यात्री हो, चेतन भव्यात्मायें संसार में आयीं और अपनी यात्रा पूरी कर मोक्ष पा लिया। जिस तरह सूर्य के सामने बाधाएं आती हैं पर वह उनको पार कर लेता है, उसी तरह संत की यात्रा में भी अवरोध आते हैं मगर सच्चे संत के अवरोध स्वतः दूर हो जाते हैं।

मुनि चंद्रप्रभ सागर महाराज ने कहा कि भक्त ही भगवान बनता है। भक्त की भक्ति एक दिन भगवान सा पूज्य बना देती है। आज की ध्वजा ऊपर उठते ही पूर्व दिशा का संकेत करने लगी।निश्चित ही ये पंचकल्याणक अभूतपूर्व होगा। जंगल में भटका रास्ता तलाशता है, संसार में भटक रहे हैं रास्ता मिल नहीं रहा। रास्ता सामने है भटकने की आवश्यकता नहीं, एक हाथ में भक्ति रख लो दूसरे हाथ में मुक्ति आ जायेगी।

प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रम्ह्यचारी विनय भैया ने अमरकंटक की पावनता का उल्लेख करते हुये कहा कि अमरकंटक का तो कांटा भी अमर है। यहां प्रतिदिन देवों द्वारा जलवृष्टि कर शुद्धि कर दी जाती है।

अमरकंटक में पंचकल्याणक महोत्सव की हुई शुरूआत 2 अप्रैल तक चलेगा कार्यक्रम

शनिवार को ध्वजारोहण के साथ ही जैन धर्मावलंबियों के अमरकंटक में पंचकल्याणक महामहोत्सव का शुभारंभ हो गया। अशोक पाटनी ने ध्वजारोहण किया। ऊपर पहुंची ध्वजा ने पूरब का संकेत दिखाया, उपस्थित समुदाय ने हर्षध्वनि कर अपना उत्साह दर्शाया। सर्वोदय तीर्थ पंचकल्याणक महोत्सव समिति के प्रचार प्रमुख वेदचन्द जैन ने जानकारी देते हुये बताया कि अशोक पाटनी और उनकी धर्मपत्नी सुशीला पाटनी, सर्वोदय समिति आमरकंटक के अध्यक्ष सिंघई प्रमोद जैन का परिवार और ऐसे ही अन्य पात्रों के परिवार रथों पर आरूढ़ थे।

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