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    राज्य के दो लाख से अधिक शिक्षको के प्रतिनिधियों का अपमान….

    डीपीआई में बैठक से निकाले तो शिक्षासचिव के बैठक में जाने नहीं दिया..
    जाकेश साहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं आला नेताओं को खुला पत्र लिखकर पीड़ा जाहिर की..

    रायपुर //-
    युक्ति युक्तिकरण में भारी विसंगति के विरोध में प्रदेश के विभिन्न शैक्षिक संगठनों के द्वारा आगामी 09 और 16 सितंबर को आंदोलन के ऐलान के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मंच गया। इसके बाद शासन ने प्रदेश के मात्र 10 शिक्षक संगठनों की कल 28 सितंबर को डीपीआई और मंत्रालय में दो बैठक बुलाई थी।
    निधारित समय पर दोपहर तीन बजे डीपीआई में बैठक के लिए राज्य के विभिन्न शिक्षक संगठन पहुंचे।
    इसी बीच डीपीआई में मौजूद अधिकारियों ने बैठक प्रारंभ होने से पहले ही अनेक शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को बैठक कक्ष से बाहर चले जाने का आदेश दिया। बैठक में सिर्फ चुनिंदा दस प्रांताध्यक को ही बैठने के लिए कहा गया। जिनका नाम पहले से लिख कर रखा गया गया था। अधिकारियों के आदेश के बाद अनेक शिक्षक प्रतिनिधि बैठक से बाहर आ गए।
    डीपीआई में बैठक खत्म होने के बाद मंत्रालय में शिक्षा सचिव के साथ और बैठक होनी थी। जहा विभिन्न शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि एक साथ जा रहे थे जिसे मंत्रालय के गेट पर रोक दिया गया और सिर्फ चुनिंदा कुछ खास लोगो को ही अंदर जाने दिया गया। शालेय शिक्षक संघ के कुछ अन्य लोग अलग से पास बनवाकर पहले से रख लिए थे जो मंत्रालय के अंदर घुस गए और वहां जाकर बैठक में सम्मिलित हो गए। मतलब शालेय शिक्षक संघ के चंद्रशेखर तिवारी, अब्दुल आसिफ खान, विरेंद्र दुबे और जितेंद्र शर्मा अर्थात एक ही संगठन के चार लोग गलत और नियम विरुद्ध तरीके से शिक्षा सचिव के बैठक में सम्मिलित हो गए।
    जबकि एंपलाईज एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष कृष्ण कुमार नवरंग, संकुल समन्वयक संघ के प्रांताध्यक्ष विक्रम राय, छग प्रदेश शिक्षक अधिकार संघ के प्रांताध्यक्ष धरम दास बंजारे, छग प्रधान पाठक मंच के प्रांताध्यक्ष जाकेश साहू, छग राज्य प्रदेश शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह, छग संयुक्त शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश बघेल, सहित अन्य संगठनों के प्रांताध्यक्ष एवं  सिराज बख्श, ईश्वर चंद्राकर सहित अनेक प्रतिनिधियों को शिक्षासचिव के बैठक में जाने नहीं दिया गया।
    अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश के विभिन्न शैक्षिक संगठनों के प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल किए जाने और नहीं शामिल किए जाने के लिए मंत्रालय और संचालनालय के अधिकारियों के पास क्या मापदंड थे…??? इस बात पर शिक्षक प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बिच जमकर बहस भी हुई तथा इसकी शिकायत यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्रीमान नरेंद्र मोदी जी, केंद्रीय गृह मंत्री माननीय श्रीमान अमित शाह जी और मुख्यमंत्री माननीय श्रीमान विष्णुदेव साय जी सहित सत्ता सरकार के आला नेताओं तक किए जाने की बात की गई।
    सवाल यह भी उठता है कि बैठक में जब कुछ पंजीकृत संगठनों को बुलाया गया था तो फिर बाकी पंजीकृत संगठनों को क्यों बैठक से बाहर कर उनका अपमान किया गया..???? आखिर मंत्रालय और संचालनालय के अधिकारी चाहते ही क्या है….????
    होना तो यही चाहिए था कि डीपीआई और मंत्रालय में उपस्थित सभी शैक्षिक संगठनों को बैठक में बुलाना था किसी को भी बैठक से बाहर नहीं किया जाना था।
    उपरोक्त पूरे मामले में छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्रीमान नरेंद्र मोदी जी, केंद्रीय गृह मंत्री माननीय श्रीमान अमित शाह जी, प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्रीमान विष्णुदेव साय जी सहित राज्य में सत्ता सरकार के आला नेताओ को खुला पत्र लिखकर अपनी पीड़ा जाहिर की है।
    शिक्षक एवं कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने देश के माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री सहित सत्ता सरकार के आला नेताओं को खुला पत्र लिखते हुए प्रदेश के दो लाख से अधिक शिक्षको की पीड़ा और दर्द जाहिर किया है। जाकेश साहू ने कहा है कि राज्य में दो लाख से अधिक शिक्षक है जो प्रदेश के गांव गांव और शहर शहर अपनी सेवाए दे रहे है। जिनकी अनेक समस्याओं और मांगो को लेकर राज्य में विभिन्न शिक्षक संगठन बने और पंजीकृत हुए है जो शिक्षको की मांगो और समस्याओं को उठाते रहते है।
    ऐसे में जब राज्य शासन इनकी समस्याएं जानने और उनका समाधान निकालने प्रदेश के शीर्ष प्रशासनिक कार्यालय में बैठके रखती है तो संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा प्रदेश के लाखो शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों जो दूर दराज से आए रहते है उन्हे बैठक से अपमानित कर क्यों निकाला जाता है…????
    जब बैठक होती है तो सभी संगठनों को बुलाया जाए या फिर किसी को भी न बुलाया जाए। लेकिन कुछ चुनिंदा लोगो के साथ बैठक कर और बाकी प्रतिनिधियों को बैठक से बाहर कर आखिर अधिकारी क्या साबित करना चाहते है…???
    सत्ता सरकार और उनके सम्माननीय प्रतिनिधियों से निवेदन एवं प्रार्थना है कि प्रदेश के शीर्ष कार्यालयों में होने वाले बैठकों में राज्य के समस्त शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए।

    From –
    *जाकेश साहू*
    *प्रांताध्यक्ष*

    *कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष* –
    – परस राम निषाद
    *प्रदेश उपाध्यक्ष* –
    – नारायण रजक
    – महेंद्र साहू
    – सुरित नेताम
    – नरेंद्र तिवारी
    *प्रांतीय प्रवक्ता* – रंजित दुबे
    – असरफ कुरैशी
    – मेनका सिन्हा
    *प्रदेश महामंत्री* – रचना गजभिये
    – राजेश साहू
    – प्रमोद कुंभकार
    – राजेश बघेल
    – राजीव टेमरे
    *संगठन महामंत्री* – हेमन्त जुरेशिया
    – मनीष रजक
    *व्यवस्थापक* – सरजू निर्मलकर

    जिलाध्यक्षद्वय –
    *पुरुषोत्तम शर्मा*
    *परमेश्वर साहू*
    *महेश्वर कोटपरहिया*
    *महेंद्र टंडन*
    *बरत राम रत्नाकर*
    *निर्मल भट्टाचार्य*
    *धन्नू साहू*
    *उत्तम कुमार जोशी*
    *आसिफ खान*
    *ज्योति यादव*
    *नरेश कोर्राम*
    *विजय त्रिपाठी*
    *यमन कोरकट्टा*
    *अदिति भरतद्वाज*
    *रजिया बेगम*
    *विनय साहू*
    *अभिषेक सेन*
    *ऋतु वैष्णव*
    *महेश पाठक*
    *नरेंद्र भोयर*
    *विष्णु द्वीवेदी*
    *रोहन कोर्राम*
    *रितेश शेट्ठी*

    *प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य* –
    उज्जवल चंद्रा, अभिमन्यु बघेल, रंजिता बरेठ, राजूकुमार संवरा, मयाराम सतरंज, ईशा नायक, राधेश्याम चंद्रा, यशवंती, धीवर, मनीराम केंवट, सुन्दर साहू, पुष्पेन्द्र बनाफर, नरेशचंद्रा, दादूलाल चंद्रा, मुकेश नायक, धर्मेंद्र रजक, गुणक चौधरी, रंजीत गुप्ता, सगुन तिवारी, गणपत राव, राधेश्याम धीवर, राजेश पाठक, अजित नेताम, विजेंद्र पाठक, श्याम केंवट, सुजाता त्रिपाठी, अजय भट्ट, कुमार पाठक, त्रिवेणी राजपूत, नामदेव सिंह, जानकी देवांगन, अनिरुद्ध सिन्हा, नरेंद्र परतेती, मिना भदौरिया, अंजू नायक, रोहित साहू एवं मोहित पाठक।
    *- छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच -*
    *- (शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़) –