छुरा :शनिवार को 10 से 04 बजे करना वर्षों पूर्व परम्परा को तोड़ना है।शालेय शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष एवं ट्रावल एजुकेशन शिक्षक संघ के प्रांतीय सचिव सर्वेश कुमार शर्मा ने कहा है कि शनिवार को सुबह स्कूल बहुत सोच समझकर लगाया जा रहा था, जिसमें परिवर्तन कर दस बजे से चार बजे तक स्कूल संचालन के लिए कहा गया है।*
सुबह के स्कूल में योगा, व्यायाम, खेल सहित अन्य गतिविधियां स्वास्थ्य के अनुकूल था।
सप्ताह में एक दिन आधे दिन के स्कूल होने से बच्चों को गणवेश धोने, गृहकार्य करने और आधे दिन घर, परिवार व समाज को समय देते बनता था।कई बच्चे जो अपने घर से दूर पढ़ाई करते हैं, वे शनिवार को अपने माता-पिता के पास घर आ जाते थे, फिर सोमवार से पूरी ऊर्जा के साथ विघालय जाते थे।
बच्चों को आधे दिन के स्कूल से भी एक अलग उत्साह रहता था।शिक्षक भी सामाजिक प्राणी हैं, वे भी शनिवार को आधे दिन स्कूल में रहने के बाद घर की आवश्यक वस्तु बाजार से लाते थे। अब रविवार को बाजार बंद रहेगा, फिर घर के लिए सामान भी नहीं ले पाएंगे।
अब समाज व परिवार के लिए समय नहीं मिल पाएगा।दूरस्थ नौकरी करने वाले शिक्षक अपने घर नहीं जा पाएंगे, इसलिए वे मानसिक रूप से तनाव में रहेंगे जिसका प्रभाव उनके अध्यापन पर भी पड़ सकता है।*
शिक्षक केवल शिक्षक नहीं होते, वे भी किसी के पिता, पति, भाई, मामा, चाचा व दादाजी होते हैं। उन्हें भी इन जिम्मेंदारियों को निभाने के लिए समय मिलना चाहिए।स्कूलों में अधिकतर महिला शिक्षक है, जिनकी पारिवारिक जिम्मेदारियां भी अधिक है। बच्चों की देखभाल, घर की व्यवस्था, नाते रिश्तेदारी आदि। वहीं घर से दूर सेवा कर रही शिक्षिकाओं को अब शनिवार को घर वापस आते नहीं बनेगा।*
ऐसे कई समस्याएं हैं जो शनिवार को पूरा दिन स्कूल लगाने पर आने वाला है। शासन से अनुरोध है कि पहले की तरह शनिवार को सुबह 7.30 से 11.30 बजे तक स्कूल संचालन कराएं।आप निवेदन स्वीकार करेंगे तो सभी शिक्षक समुदाय आपके प्रति कृतज्ञ होंगे।निवेदन स्वीकार नहीं करेंगे तो भी हमें तो सेवा कार्य करना ही है, आखिर विद्यार्थी हमारे ईश्वर हैं।