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    युक्तियुक्तकरण के नाम से शिक्षा विभाग ने किया मानवीय मूल्यों का पतन ।
    केंसर जैसे गम्भीर बीमार से ग्रसित शिक्षक को भी बक्सा नही जा रहा है।
    जबकि अधिकारी अपने कृपा पात्र शिक्षको को अनैतिक रूप से बचा रहे है।
    शिक्षा विभाग की नैतिकता देखिए ,2021 से कैंसर जैसे गम्भीर बीमारी से ग्रसित अशोक कुमार निषाद माध्यमिक शाला तराई बेड़ा विकास खण्ड केशकाल में पदस्थ शिक्षक जो 2021 से कैंसर बीमारी से जूझ रहा है।जिनका एक ऑपरेशन हो चुका है और दूसरा ऑपरेशन होना है।मुँह में कैंसर होने से तरल पदार्थों का ही सेवन भोजन के रूप में कर रहे है।
    आश्चर्य की बात है कि गणित विषय के शिक्षक होने के कारण केशकाल ब्लाक से एक मात्र शिक्षक श्री निषाद को ही अतिशेष की श्रेणी में लाया गया है जिनकी काउंसलिग आज जगदलपुर में होनी है।
    प्राप्त जानकारी के अनुसार इनके लिए पोस्ट सिर्फ 250 किलोमीटर दूर सुकमा एवं बीजापुर जिले में ही रिक्त है।
    युक्तियुक्तकरण के तहत अपनी पत्नी जो स्वयं शिक्षिका है से 250 किलोमीटर दूर इनकी पोस्टिंग होगी।जहाँ उनकी देखरेख करने वाला कोई नही होगा।
    शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की तानाशाही एवं हठधर्मिता चरम पर है ।
    माननीय मुख्यमंत्री जी से अपील है यैसे विसंगति युक्त युक्तियुक्तकरण को तत्काल निरस्त करें जिससे प्रदेश के दो लाख शिक्षक नए शिक्षा सत्र में अच्छे और स्वस्थ मन से अध्यापन का कार्य करा सकें।