छत्तीसगढ़ समाचार

माताओं एवं बच्चों का उत्तम स्वास्थ्य बनेगा प्रदेश की समृद्धि का आधार – मुख्यमंत्री श्री साय जशपुर जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के संकल्प के साथ आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से ‘स्वस्थ माता-तंदुरुस्त बच्चा’ अभियान का किया गया शुभारंभ

माताओं एवं बच्चों का उत्तम स्वास्थ्य बनेगा प्रदेश की समृद्धि का आधार – मुख्यमंत्री श्री साय

जशपुर जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के संकल्प के साथ आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से ‘स्वस्थ माता-तंदुरुस्त बच्चा’ अभियान का किया गया शुभारंभ

रायपुर 16 जनवरी 2025/ माताओं एवं बच्चों का उत्तम स्वास्थ्य प्रदेश की उन्नति और समृद्धि का आधार बनेगा। माताओं एवं बच्चों का उत्तम स्वास्थ्य छत्तीसगढ़ के लोककल्याणकारी राज्य की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कल जशपुर जिले के बगिया स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से आईआईटी बॉम्बे-जशपुर पोषण मिशन अंतर्गत ‘स्वस्थ माता- तंदुरुस्त बच्चा’ अभियान का शुभारंभ करते हुए यह बात कही।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने गर्भवती माताओं और बच्चों के पोषण स्तर को बेहतर बनाने जशपुर जिले में ‘स्वस्थ माता-तंदुरुस्त बच्चा’ अभियान का शुभारंभ किया।
स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित इस अभियान के तहत 9500 से अधिक स्वास्थ्य और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आईआईटी बॉम्बे के माध्यम से पोषण संबंधी ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत माताओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अभियान के तहत 300 से अधिक मास्टर ट्रेनर जिले में स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं को सतत प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य जशपुर जिले में कुपोषण को पूरी तरह समाप्त करना और माताओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाना है। अभियान के तहत् गर्भवती माताओं, शिशुवती माताओं और 6 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य है। इसमें विशेष रूप से स्तनपान, पोषण आहार और पूरक आहार पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस पहल के जरिए गर्भवती माताओं को सही पोषण की जानकारी दी जाएगी, जिससे बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बन सके।

मुख्यमंत्री श्री साय ने ‘स्वस्थ माता- तंदुरुस्त बच्चा’ अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल जिले में स्वास्थ्य और पोषण के प्रति जागरूकता को बढ़ाएगी, साथ ही कुपोषण को खत्म करने और गर्भवती माताओं, शिशुवती माताओं तथा 6 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होगी।

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