छत्तीसगढ़ समाचार

भगवान आदिनाथ का जिनालय युगों युगों तक सत्य अहिंसा और शांति का संदेश देता रहेगा – मुनिश्री प्रसाद सागर

अमरकंटक में भगवान आदिनाथ की विशाल प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव

वैदिक संस्कृति और जैन संस्कृति का मिलन ही भारतीय संस्कृति है – मुनिश्री प्रसाद सागर

भगवान आदिनाथ का जिनालय युगों युगों तक सत्य अहिंसा और शांति का संदेश देता रहेगा – मुनिश्री प्रसाद सागर

 

पेण्ड्रा / अमरकंटक की पावन धरा पर सोल्लास संपन्न श्रीमज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब प्रतिष्ठा पंचकल्याणक महोत्सव व विश्वशांति महायज्ञ होने के उपरांत सर्वोदय के बड़े बाबा भगवान आदिनाथ की संसार में कीर्तिमान धारी प्रतिमा का प्रथम महामस्तकाभिषेक कर श्रीमज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव सोल्लास भक्ति और श्रद्धा के साथ अमरकंटक की पावन धरा पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में 2 अप्रैल रविवार को पूर्ण हुआ। मंदिर में भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की जिन प्रतिमा का वजन 24 टन है जो कि अष्टधातु से ढले 28 टन वजन के कमल पर विराजमान हैं।

प्रथम महामस्तकाभिषेक के प्रथम दिवस सुबह से भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पर विशेष मंच से आरंभ अभिषेक का क्रम मंत्रोच्चार के साथ संध्या तक अनवरत चलता रहा। अभिषेक के लिये श्रद्धालुओं की लंबी कतार विशा मंदिर प्रागंण में लगी रहे।दिन भर में हजारों श्रद्धालुओं ने धैर्यपूर्वक अपने क्रम की प्रतीक्षा करते कतार में खड़े रहे।

बता दें कि संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में पंचकल्याणक महोत्सव संपन्न हुआ। दो दशकों में निर्मित ओडिसी शैली का लाल पत्थरों से बना भगवान आदिनाथ का ये जिनालय अपनी विशालता शिल्पकला और सौंदर्य के कारण अमरकंटक में एक नवीन आकर्षण और श्रद्धा का केन्द्र है। भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की संसार सर्वाधिक वजनी प्रतिमा देखते ही मन मोह लेती है।

अजमेर से लाये विशेष स्वर्ण रथ में सात परिक्रमाएं कीं

महामहोत्सव में अजमेर से लाये विशेष स्वर्ण रथ में सौधर्म इंद्र जिनबिम्बों के साथ परिक्रमा पथ पर सात परिक्रमाएं कीं। इस रथ के पीछे कुबेर के रजत रथ के पीछे अन्य रथों सहित कुल सात रथों पर सवार होकर पंचकल्याणक महोत्सव के विशेष पात्रों सहित सात परिक्रमाएं कीं। वाद्ययंत्रों के संगीत स्वरों के साथ रथ के पीछे हजारों इंद्र इंद्राणी पैदल चलकर शोभायात्रा में शोभायमान हो रहे थे। शोभायात्रा की सात परिक्रमा होने पर जिनबिम्बों का अभिषेक शांतिधारा करने का प्रथम सौभाग्य 11 लाख 11 हजार के दान के साथ तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के सुरेश व अमित ने प्राप्त किया।

वैदिक संस्कृति और जैन संस्कृति का मिलन ही भारतीय संस्कृति है – मुनिश्री प्रसाद सागर

भगवान आदिनाथ का जिनालय युगों युगों तक सत्य अहिंसा और शांति का संदेश देता रहेगा – मुनिश्री प्रसाद सागर

उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुये निर्यापक मुनिश्री प्रसाद सागर महाराज ने बताया कि वैदिक संस्कृति और जैन संस्कृति का मिलन ही भारतीय संस्कृति है। जैन दर्शन में रेवा के तट से करोडों भव्य आत्माओं ने सिद्धत्व प्राप्त कर मोक्ष पधारे हैं। रेवा के उद्गम अमरकंटक की पावनधरा पर स्थापित भगवान आदिनाथ का जिनालय युगों युगों तक सत्य अहिंसा और शांति का संदेश देता रहेगा। उन्होंने ज्ञान और मोक्ष में अंतर को समझाते हुये कहा कि जैसे 15 अगस्त को भारत स्वतंत्र हुआ मगर पूर्णता 26 जनवरी को मिली। ऐसा ही केवल ज्ञान के साथ ही मोक्ष मिलना सुनिश्चित हो जाता है मगर निर्वाण पर ही मोक्ष मिलता है। स्वयं को जीतना ही जग को जीतना है। अष्टकर्मों का नाश कर दोषों से पूरी तरह मुक्त हो स्वतंत्र सत्ता पर विराजमान जिनेन्द्र ही विश्वविजेता हैं। संसार की गाड़ियों में रिवर्स गेयर होता है मगर मोक्षमार्ग पर चलने वाली गाड़ी में रिवर्स गेयर नहीं होता। मोक्ष की गाड़ी जो आगे बढ़ी तो वापस नहीं होती। भूतकाल सपना है भविष्य काल छलना है वर्तमान काल अपना है। उन्होंने बताया कि जैसे दूध से बना घी कभी वापस दूध नहीं बन सकता वैसा ही जैन दर्शन की मान्यता है एक बार मुक्ति को प्राप्त आत्मा का दोबारा जनम नहीं होता।

देशभर से हजारों जैन धर्म अनुयायी पंचकल्याणक महोत्सव में शामिल हुए – वेदचंद जैन

सर्वोदय तीर्थ पंचकल्याणक महोत्सव के प्रचार प्रमुख वेदचन्द जैन ने बताया कि बड़े बाबा के प्रथम महामस्तकाभिषेक करने के लिये अभिषेक के लिये हजारों जैन धर्म अनुयायी सुबह से ही तन मन की विशुद्धि के साथ पीले धोती दुपट्टे में सजधजकर तैयार थे।विशेष मंच से बड़े बाबा भगवान आदिनाथ की अभिषेक शांतिधारा करने का प्रथम सौभाग्य छत्तीसगढ़ के उद्योगपति विनोद बड़जात्या ने 48 लाख 48 हजार की राशि दान देकर प्राप्त किया। क्रमशः तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय सहारनपुर के अमित, बिलासपुर के विनोद, प्रमोद, प्रवीण परिवार और दुर्ग के सुरेश ने अभिषेक शांतिधारा का सौभाग्य प्राप्त किया।

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