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रायपुर। लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़ है। एक तरफ जहां भाजपा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बना रही है और केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच व कार्रवाईयों को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस ने भी ईडी के निशाने पर रहे नेताओं को ही चुनावी मैदान में उतार कर चुनाव को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।मामले में कांग्रेस का तर्क है कि आरोप तो किसी पर भी लग सकते हैं मगर जब तक कोई दोषी नहीं माना जाता है तब तक इन बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता है। बतादें कि कांग्रेस ने प्रदेश की 11 में से तीन सीटों पर भ्रष्टाचार के मामले में घेरे में आए नेताओं को ही चुनाव की बागडोर दे दी है। इनमें राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर महादेव आनलाइन सट्टा एप मामले में ईडी की जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने एफआइआर कर जांच करनी शुरू कर दी है। वहीं कथित शराब घोटाले में आरोपित पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी बस्तर से चुनाव लड़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं, चर्चित कोयला घोटाला मामले में आरोपित भिलाई के विधायक देवेंद्र सिंह यादव को भी कांग्रेस ने बिलासपुर से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस को भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के मामले में भाजपा के आरोपों का पलटवार करना होगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव में भी भाजपा कुछ इसी तरह भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर भूपेश की सरकार को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब हुई थी।
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