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जीपीएम जिले में हजारों किसानों के नामिनी का आधार नम्बर अपलोड नहीं करने से वृद्ध, अशक्त व महिला किसानों को धान बेचने में होगी परेशानी


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पेण्ड्रा/दिनांक 23 सितंबर 2022

जीपीएम जिले में हजारों किसानों के नामिनी का आधार नम्बर अपलोड नहीं करने से वृद्ध, अशक्त व महिला किसानों को धान बेचने में होगी परेशानी

इस वर्ष से बायोमेट्रिक आधारित खरीद प्रणाली से समितियों में धान खरीदी होनी है

असिस्टेंट रजिस्ट्रार के निर्देश से किसानों के नामिनी के बिना आधार नंबर अपलोड किया गया

पेण्ड्रा / बायोमेट्रिक आधारित खरीद प्रणाली से धान खरीदी होने के कारण इस वर्ष धान बेचने वाले जिले के हजारों किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि जीपीएम जिले के सहकारी समिति के असिस्टेंट रजिस्ट्रार के मनमानी निर्देश के कारण हजारों किसानों के नामिनी का आधार नम्बर अपलोड नहीं किया गया है। इस वजह से वृद्ध, अशक्त एवं महिला किसानों को मजबूरन धान खरीदी केंद्रों तक जाना पड़ेगा। यदि वो स्वयं धान बेचने नहीं जायेंगे तो उनके धान के विक्रय में बहुत सी समस्याएं पैदा होंगी।

शासन के आदेश पर इस वर्ष से बायोमेट्रिक आधारित खरीद प्रणाली से समितियों में धान खरीदी होनी है। बायोमेट्रिक प्रणाली से धान बेचने में किसानों को दिक्कत नहीं हो, इसके लिए किसान के साथ ही उसके एक नामिनी का भी आधार कार्ड नंबर समितियों में दर्ज किए जाने का आदेश है। लेकिन जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में शासन के आदेश की धज्जियां उड़ाकर किसानों को परेशानी में डाला जा रहा है। चूंकि किसान का आधार नंबर पहले से ही समितियों में दर्ज है, इसलिए उसके नामिनी का आधार नंबर लिए बगैर मनमाने तरीके से किसान के ही आधार नंबर को पोर्टल में अपलोड किया जा रहा है। ऐसा होने से किसान को स्वयं समिति में उपस्थित होकर धान बेचना पड़ेगा अन्यथा उसका धान बिकने की प्रक्रिया कठिन हो जायेगी। नियमों में उलझाकर समिति में किसान के परिजन का आर्थिक शोषण भी किया जा सकता है।

हजारों किसानों के नामिनी का आधार नंबर पोर्टल में दर्ज नहीं किया गया

बायोमेट्रिक आधारित खरीद प्रणाली से धान खरीदी नियम लागू करने के बाद किसान की अनुपस्थिति में उसके परिवार के सदस्य के आधार नंबर से भी धान की खरीदी हो सके, इसके लिए शासन का आदेश है कि एकीकृत कृषक पंजीयन पोर्टल पर किसान पंजीयन अवधि के दौरान किसान एवं उसके एक नामिनी जिसमें उसके माता, पिता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, दामाद, पुत्रवधू, सगे भाई, बहन के आधार नंबर को पोर्टल में अपलोड किया जाए। परंतु गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले में नॉमिनी का नाम लिए बगैर ही हजारों किसानों के स्वयं के आधार नंबर को अपलोड कर दिया गया है। जिसके कारण अब किसान स्वयं के बायोमेट्रिक से ही धान बेच सकेगा।

वृद्ध, अशक्त व महिला किसानों के परिजनों का समितियों में हो सकता है आर्थिक शोषण

जिले में धान बेचने वाले पंजीकृत किसान 20 हजार 745 हैं। इनमें से लगभग 50% से अधिक किसान वृद्ध, शारीरिक रूप से कमजोर या महिलाएं हैं। जो कि स्वयं धान बेचने के लिए समितियों में नहीं जाते बल्कि उनके परिवार के सदस्य ही धान बेचने जाते हैं। समिति के अस्सिटेंट रजिस्टार के मनमानी निर्देश के कारण इन किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा। इनके नामिनी का बायोमेट्रिक अपलोड नहीं होने के कारण इनका आर्थिक शोषण भी समितियों में होने की संभावना बनी रहेगी। क्योंकि समिति में नियुक्त नोडल अधिकारी के द्वारा मोबाईल नम्बर में ओटीपी के माध्यम से किसान को प्रमाणित करना पड़ेगा।

जो किसान चाहें वो नामिनी का आधार नंबर अपलोड करा सकते हैं – असिस्टेंट रजिस्ट्रार

जिला सहकारी समिति के असिस्टेंट रजिस्ट्रार उत्तम कुमार कौशिक ने कहा है कि जो किसान चाहें वो नामिनी का आधार नंबर अपलोड करा सकते हैं। उनसे जब पूछा गया कि जिन किसानों का आधार नंबर अपलोड हो गया है उनके नामिनी का अब कैसे अपलोड होगा तो वो इसपर गोलमोल जवाब दे रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि जिन किसानों का आधार नंबर अपलोड हो गया है, उन किसानों के नामिनी का आधार नंबर अब समिति में अपलोड नहीं हो सकता। उनके नामिनी का आधार नंबर अब एसडीएम या तहसीलदार के माध्यम से ही अपलोड हो सकता है, लेकिन एसडीएम या तहसीलदार को क्या पड़ा है कि वो नामिनी का आधार नंबर अपलोड करें।

असिस्टेंट रजिस्ट्रार की मनमानी ऐसी कि जिले में 99% धान मोटा किस्म बताकर खरीदी हुई थी

जीपीएम जिले में सहकारी समिति के असिस्टेंट रजिस्ट्रार उत्तम कुमार कौशिक की मनमानी ऐसी है कि जिले के सभी सहकारी समितियों में विपणन वर्ष 2020-23 में किसानों के 99% धान को मोटा बताकर खरीदी की गई है। जबकि ऐसा पहले कभी नहीं होता था, क्योंकि आधे से ज्यादा किसान पतला धान का उत्पादन करते हैं और उसे समितियों में बेचते हैं। लेकिन उनके धान को मोटा किस्म का बताकर खरीदी की गई क्योंकि असिस्टेंट रजिस्ट्रार उत्तम कुमार कौशिक ने मिलर्स से मिलीभगत करके उन्हें अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया था। पतले किस्म के धान को मोटा किस्म बताने के कारण मिलर्स पतले धान को अच्छी कीमत में बाजार में बेच देते हैं और उसके बदले में मोटे किस्म के धान का चावल गोदाम में जमा करते हैं।

किसानों की पात्रता बनाये रखने बिना नामिनी के आधार नंबर अपलोड किया गया – उप संचालक कृषि

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के नोडल अधिकारी एवं कृषि विभाग के उप संचालक सत्यजीत कंवर ने इस मामले में कहा कि आचार संहिता लगने से पहले 30 सितंबर तक सभी किसानों का आधार नंबर अपलोड करना जरूरी है जिससे किसान की धान बेचने की पात्रता बनी रहे। इसलिए नामिनी के आधार नंबर का इंतजार किए बिना ही किसान का आधार नंबर अपलोड किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 15 सितंबर तक सिर्फ 30% किसानों ने नामिनी का आधार नंबर दिया था। इसलिए 30 सितंबर तक अपलोड की कार्यवाही पूर्ण करने के लिए किसान का ही आधार नंबर अपलोड किया जा रहा है।


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