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23 में से लगभग 12 लाख महिला वोटर, उन्हीं पर कांग्रेस का फोकस

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रायपुर। रायुपर लोकसभा का अपना एक अलग ही इतिहास है। यहां पिछले 28 वर्षों से भाजपा का कब्जा है। चाहे विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, लेकिन लोकसभा चुनाव का नतीजा भाजपा के ही पक्ष में जाता रहा है। राजनीतिक पंडितों के अनुसार- इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एंटी इंकंबेंसी से बचने के लिए रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल को टिकट दिया। पिछले 28 वर्षों में रायपुर के संसदीय क्षेत्र में विस्तार और विकास तो बहुत हुआ, लेकिन एक समय के बाद जनता का मूड न बदल जाए, इसे देखते हुए बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि कांग्रेस के लिए तो रायपुर की सीट सपना जैसा है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विद्याचरण शुक्ल 1991 में आखिरी बार चुनाव जीतकर आए थे। ऐसे में इस बार कांग्रेस ने रायपुर की आधी आबादी यानी महिलाओं पर पूरा फोकस कर दिया है। बृजमोहन भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल पिछले आठ चुनाव से रायपुर की दक्षिण विधानसभा से चुनाव जीतते आ रहे हैं। यह एक ऐसा किला है, जिसे अब तक कांग्रेस भेद नहीं पाई है। इसकी वजह से एंटी इंकंबेंसी से बचने के लिए बृजमोहन को लोकसभा के मैदान में उतारा गया है। साथ ही उनकी छवि और लोगों के बीच पकड़, बूथ मैनेजमेंट की एप्रोच को देखते हुए भी दांव खेला गया है। कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय युवा चेहरा हैं। उन्होंने छात्र राजनीति से अपने करिअर की शुरुआत की। एक बार विधायक चुने जाने के साथ ही संसदीय सचिव सहित कई अन्य भूमिका भी निभा चुके हैं। कांग्रेस की ओर से निवर्तमान सांसद की सक्रियता पर भी सवाल खड़े किए जाते रहे हैं, चाहे वह कोरोना काल हो या पूरा कार्यकाल। संसद में क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने से लेकर यहां के लोगों को केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं दिलवाने के आरोप भी लगाते रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर भाजपा द्वारा यहां कांग्रेस सरकार होने के कारण केंद्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होने का निरंतर आरोप लगाया जाता रहा है। इनसे रायपुर का चुनाव रोचक दिखाई दे रहा है।


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