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यस बैंक में खाता खुलवाकर करोड़ों रुपये के लेन-देन मामले में कोर्ट का आदेश

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दुर्ग। यस बैंक भिलाई में खाता खुलवाकर करोड़ों रुपये के लेन-देन किए जाने के मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले में उक्त खाते में पैसा कहां से आया और कहां गया इसकी जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने कहा है। दरअसल इस मामले की शिकायत दुर्ग सांसद विजय बघेल ने भी पूर्व मेें पीएमओ कार्यालय में किया था। याचिकाकर्ता प्रभुनाथ मिश्रा अपने अधिवक्ता बीपी सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। प्रकरण के मुताबिक अनिमेष सिंह नामक व्यक्ति का यस बैंक भिलाई में खाता है। आयकर विभाग ने वर्ष 2016-17 से लेकर वर्ष 2019-20 तक खाते की संपूर्ण जांच करने के बाद भारी अनियमितता पाई है। आयकर विभाग ने लगभग 20 बार अलग-अलग व्यक्तियों को सम्मन देकर जांच के लिए बुलाया। जिस अनिमेष सिंह के नाम पर खाता खुला है वह हिेतेश चौबे के पास काम करता है। इस मामले में विभाग ने हितेश चौबे को भी बुलाकर उसका बयान दर्ज किया था।
आयकर विभाग का कहना था कि अनिमेष सिंह बीसी खिलाने का काम करता था और प्रापर्टी डीलिंग भी करता था। सारी रकम इस प्रकार उसके खाते में आई है। इस पर न्यायालय ने आपत्ति की और कहा कि बीसी खेलना और खिलाना भी आखिर अवैधानिक कृत्य है। याचिकाकर्ता की ओर से उसके अधिवक्ता ने न्यायालय से उक्त खाते में हुए लेन देन की वैधता को लेकर भी सवाल किया।
खाते में पैसे कहां से आए और किसको किसको दिए गए स्‍पष्‍ट नहीं
अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने बताया कि सुनवाई के दौरान अपने आदेश में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है खाते में पैसे कहां से आए और किसको किसको दिए गए हैं। अनिमेष सिंह एक साधारण कर्मी था। उसके नाम के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से अधिकांश लेनदेन हुआ है।
अचानक न्यायालय के समक्ष यह जानकारी दी गई है कि सिर्फ अनिमेष सिंह के नाम से ही नहीं बल्कि भावेश ताम्रकार के नाम से भी लेनदेन किए गए हैं। भावेश ताम्रकार के नाम की जानकारी स्वयं आयकर विभाग के अधिवक्ता ने दी है।
भावेश ताम्रकार के विषय में आज तक मामले में कहीं कोई जानकारी नहीं थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अनिमेष सिंह के खाते की डिटेल प्रस्तुत करने कहा है। शासन की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि वह अगली तारीख पर अनिमेष सिंह और भावेश ताम्रकार के संबंध में खाते से किए गए सभी प्रकार के लेनदेन की संपूर्ण जानकारी न्यायालय में शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करेंगे।


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