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बिंद्रानवागढ़ विधानसभा : कांग्रेसी खेमों में अजीब सन्नाटा , इस बार विजय तय होगी या फ़िर हार का इतिहास दोहराएगी

बिंद्रानवागढ़ विधानसभा : कांग्रेसी खेमों में सन्नाटा ,इस बार विजय तय होगी या फ़िर हार का इतिहास दोहराएगी
गरियाबंद। बिंद्रानवागढ़ विधान सभा क्रमांक 55अजजा सीट कांग्रेस के लिये हमेशा से टेढ़ी खीर रहीं है गत 2विधानसभा 2013-2018 में लगातार बी जे पी जीतती आ रहीं कांग्रेस पार्टी इस सीट पर संघर्ष करती है इस 2023के आसन्न विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है वहीं कांग्रेसी खेमे में टिकट के लियॆ बेकरार उम्मीदवार आलाकमान की राह तक रहे। बिंद्रानवागढ़ विधानसभा 2013में कांग्रेस ने नये चेहरे जनक राम ध्रुव को टिकिट देकर लड़वाया था जिसमें 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर गोवर्धन सिंह मांझी (बीजेपी) ने 85843 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 30536 मतों के अंतर से हराया. दूसरा स्थान (55307) वोटों के साथ जनक ध्रुव (कांग्रेस) को मिला. तीसरा स्थान (7047) वोटों के साथ – (नोटा) का रहा. (4077) वोटों के साथ आईएनडी को चौथा स्थान को मिला.
चुनाव में कुल 160108 मत पड़े थे. कुल 83.66% मतदान हुआ
वहीं 2013 में बी जे पी उम्मीदवार गोवर्धन सिंह मांझी ने 30हजार से अधिक मतों से पराजित किया।
वहीं 2018में कांग्रेस पार्टी ने मैनपुर क्षेत्र के युवा जन प्रतिनिधि संजय नेताम को उम्मीदवार बनाया राज्य में हर तरफ परिवर्तन की लहर थी पर बिंद्रानवागढ़ विधानसभा में बीजेपी के अभेद गढ़ में परिवर्तन लहर नहीँ चल सकी और चुनाव के नतीजे 2018 में बिंद्रानवगढ़ में  बीजेपी को 45.5%और कांग्रेस को 39.5% वोट मिले कुप्रतिशत वोट पड़े। 2018 में भारतीय जनता पार्टी से डमरू धर पुजारी ने कांग्रेस के संजय नेताम को 10 हजार वोटों के मार्जिन से हराया था।
इस तरह बिंद्रानवागढ़ बी जे पी की परंपरागत सीट रहीं है इस विधानसभा का वोटर स्थानीयता और बीजेपी के चिन्ह पर वोट करता है चाहे कन्डीडेट कोई भी हो इन्दागांव के बाद बीजेपी बेल्ट चालू होता है जो ओडिशा बॉर्डर तक जाता है जिनमें लगभग 90%वोटर बीजेपी के होते है कांग्रेस आज तक बिंद्रानवागढ़ की राजनीतिक नब्ज को नहीँ पकड़ पाई है कांग्रेस पार्टी हमेशा गुट बाजी भीतरघाती यों के चलते मुँह की खाती है
वहीं इस विधान सभा चुनाव में टिकट की रस्साकशी फ़िर शुरू हो गई है जिनमें जनक ध्रुव ,संजय नेताम ,और नौकरी छोड़ टिकट पाने लाइन में खड़े लोकेन्द्र कौमार्रा भी लगे है पार्टी इस बार फूंक कर कदम उठा रहीं हर हाल में बिंद्रानवागढ़ जीतना चाहती है परंतु फ़िर किसी नये उम्मीदवार पर प्रयोग हो गया तो आश्चर्य की बात ना होगी।

वहीं टिकट के आस में उम्मीदवार और समर्थकों में अजीब सन्नाटा का आलम दिख रहा।

कांग्रेस हर बार चेहरा बदलती है इस बार बदलेगी या पुराने प्रत्याशी को बरकरार रखेगी ये अभी तय नहीँ है।

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