पेण्ड्रा/दिनांक 16 सितम्बर 2023
पेण्ड्रा क्षेत्र में 12 दिनों से प्रतिदिन हो रही बारिश के कारण धान का होगा बंपर उत्पादन
अगस्त के मौसम से निराश किसानों में सितम्बर की बारिश ने खुशी का संचार किया
सितम्बर माह में 238.3 मिमी सहित इस वर्ष 1158 मिमी बारिश दर्ज
पेण्ड्रा / सितम्बर माह में पिछले 12 दिनों से प्रतिदिन हो रही बारिश के कारण इस वर्ष धान के फसल की बंपर पैदावार होने की संभावना दिख रही है। अगस्त माह में मौसम की बेरुखी से निराश हो रहे किसानों में सितम्बर माह की बारिश ने खुशी का संचार कर दिया है। अच्छे मौके पर हुए इस तरह की बारिश को ग्रामीण किसानों की भाषा में स्वर्ण वर्षा की तरह माना जा रहा है।
पेण्ड्रा क्षेत्र में 4 सितम्बर से प्रतिदिन बारिश दर्ज किया गया है। इस बारिश से धान की फसल की अच्छी पैदावार होगी। खासकर लगभग 70 प्रतिशत रकबा में बुआई किए गए 4 से साढ़े 4 माह तक के अवधि में पकने वाले धान के फसल की पानी की जरूरत पूरी हो गई है। ये धान अब छिटक रहे हैं और अच्छी बारिश के कारण इन किस्मों के धान का उत्पादन बंपर होगा। वहीं 5 माह या उससे अधिक अवधि में पकने वाले धान के फसल का भी बंपर पैदावार होने की संभावना है क्योंकि अधिक अवधि में पकने वाले धान की खेती ज्यादातर वही किसान करते हैं जिनके गहरे खेत होते हैं या जिनके यहां सिंचाई के निजी साधन होते हैं। इसलिए इन किसानों को भी अब धान की फसल में पानी की समस्या नहीं होगी। 12 दिनों से हो रही वर्षा से सभी जलाशय डबाडब भर गए हैं, जिसके कारण जलाशयों से सिंचित भूमि में भी जरूरत के अनुसार पानी की आपूर्ति हो जायेगी।
सितम्बर माह में 238.3 मिमी सहित इस वर्ष 1158 मिमी बारिश दर्ज
मौसम विज्ञान केन्द्र पेण्ड्रा रोड में 4 सितम्बर से 15 सितंबर तक 238.3 मिमी बारिश दर्ज किया गया है। इस वर्ष अब तक कुल 1158 मिमी बारिश दर्ज किया जा चुका है। 4 सितंबर से प्रतिदिन बारिश हो रही है जिसमें दिनांक 4 सितंबर को 13.4, 5 को 6.8, 6 को 9.4, 7 को 41.5, 8 को 30.0, 9 को 14.8, 10 को 5.6, 11 को 1.2, 12 को 20.4, 13 को 6.3, 14 को 48.4 और 15 सितंबर को 40.5 मिमी सहित कुल 238.3 मिलीमीटर बारिश सितंबर में हो चुकी है।
अच्छी बारिश से धान का उत्पादन बढ़ेगा – उप संचालक
जीपीएम जिले के कृषि विभाग के उप संचालक सत्यजीत कंवर ने बताया कि जिले में अच्छी बारिश हो रही है। इसके कारण धान की पैदावार अच्छी रहेगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बारिश की वजह से अब पानी की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने की संभावना खत्म हो गई है।


