जज ने कहा – बिन ब्याही मां बनना समाज में अभिशाप के समान, इसलिए सजा में नरमी नहीं बरती जा सकती
नाबालिक से अनाचार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई
आरोपी 11 साल तक फरार था, एक साल पहले पकड़ा गया
पेण्ड्रा / एक नाबालिक बच्ची का अपहरण और बलात्कार करने के बाद गर्भवती करने वाले आरोपी को 12 साल बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस बीच करीब 11 सालों तक आरोपी फरार रहा, जिसे एक साल पहले पकड़ा गया। इसके बाद एडीजे कोर्ट पेण्ड्रारोड की अपर सत्र न्यायाधीश किरण थवाइत ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
मामला पेण्ड्रा थाना क्षेत्र के सरखोर गांव का है। जहां 9 जुलाई 2010 को यहां रहने वाली एक नाबालिग को गांव के ही आनंद गोंड नामक अभियुक्त ने मोटर साइकिल में घुमाने के बहाने कारीआम गांव ले गया और वहां जंगल में उसके साथ बलात्कार किया। जब पीड़िता ने आरोपी को कहा कि वह पूरे मामले की जानकारी घरवालों को दे देगी तो आरोपी ने उसको शादी का आश्वासन दिया और कारीआम में ही एक किराए की घर में रखकर उसका दैहिक शोषण लगातार करता रहा। 1 महीने तक कारीआम में रखने के बाद वह अपने घर सरखोर ले गया तथा साथ में रखा। जब उसको पता चला कि उसके पेट में बच्चा है तो वह उसे छोड़कर भाग गया तथा सास ससुर ने भी उसको घर से निकाल दिया। उसके बाद उसके मायके वाले ने पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसका बेटा पैदा हुआ। वहीं पीड़िता के परिजनों ने आरोपी आनंद गोंड के खिलाफ 2 जुलाई 2012 को पेण्ड्रा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया। करीब 11 सालों तक आरोपी फरार रहा जिसको बाद में पुलिस ने 27 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया।
इस मामले में एडीजे कोर्ट पेण्ड्रारोड की अपर सत्र न्यायधीश किरण थवाइत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को धारा 376 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि एक बिन ब्याही मां का बनना हमारे समाज में अभिशाप के समान है जिसका सामना पीड़िता और उसके माता-पिता ने अकेले किया है और आरोपी घटना के बाद से फरार रहा है ऐसे में यदि सजा में नरमी बरती गई तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा और अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे एवं समाज में बेटियों के जीवन और असुरक्षित हो जाएगा। इस प्रकार अभियुक्त आनंद गोंड को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के तहत 3 साल का सश्रम कारावास और 500 का अर्थदंड, धारा 366 के तहत 5 साल का सश्रम कारावास और 500 का अर्थदंड और धारा 376 के तहत आजीवन कारावास और 1000 अर्थदंड से दंडित किया है। यह सभी सजाएं एक साथ भुगताई जावेगी। वहीं पीड़िता को पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के द्वारा क्षतिपूर्ति दिए जाने के निर्देश न्यायालय द्वारा दिए गए हैं। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक पंकज नगाइच ने किया।


