आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ! सहायक ग्रेड-3 चंद्रहास साहू का संलग्नीकरण बना शिक्षा विभाग की नाक का सवाल!”
महासमुंद/छत्तीसगढ़ में शासन के स्पष्ट निर्देश और शिकायतों की बौछार के बावजूद महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आदेशो की अनदेखी का एक बड़ा मामला सामने आया है। कोमाखान तहसील में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 चंद्रहास साहू, जिनका मूल पदस्थापन शासकीय हाई स्कूल घोंचापाली में है, लंबे समय से जारी संलग्नीकरण अब शिक्षा विभाग की साख पर सवाल खड़े कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, चंद्रहास साहू के खिलाफ कई बार शिकायतें की गईं, जिनमें संलग्नीकरण की अवधि समाप्त होने और कार्यशैली को लेकर गंभीर आरोप शामिल हैं। बावजूद इसके, जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद इन शिकायतों को या तो नजरअंदाज कर रहे हैं या किसी दबाव में संरक्षण प्रदान कर रहे हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस संबंध में लिखित शिकायत स्वयं जिला कलेक्टर महासमुंद के पास पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या यह विभागीय आदेशों की अवहेलना है या फिर किसी ‘ऊंचे संरक्षण’ की परछाईं में यह सबकुछ हो रहा है?
संलग्नीकरण या मनमानी नियुक्ति क्या कैबिनेट के फैसले को चुनौती देते जिला शिक्षा अधिकारी ?
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक 2025 कंडिका 1.5 में स्पष्ट उल्लेख है कि समस्त प्रकार के संलग्नि कारण समाप्त माना जाएगा कोई भी कर्मचारी एक निर्धारित समय से अधिक अवधि तक संलग्न नहीं रह सकता, विशेषतः जब उसका मूल पदस्थापन स्थान अलग हो। लेकिन चंद्रहास साहू का मामला ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोमाखान में उनकी स्थायी नियुक्ति हो गई हो। इससे यह स्पष्ट होता कि जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द द्वारा राज्य सरकार के फैसले को अंगूठा दिखाने का कार्य किया जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो चंद्रहास साहू के खिलाफ कार्य में लापरवाही, दस्तावेजों में गड़बड़ी, कार्यालय के गोपनीय दस्तावेजों बाहर फैलाना,किसानों की कामों को रोकर रखना और अनुशासनहीनता के आरोप पहले भी लगाए गए हैं, चंद्रहास साहू द्वारा किसानों के कामों को रोकर पटवारियों की मिलीभगत से दलालों के कामों को पहले किए जाते है फिर भी उसके खिलाफ कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कोमाखान तहसील के अंतर्गत बड़े दलालो और पटवारियों के मिलीभगत से बड़े पैमाने में सरकारी जमीनों की खरीद फारूख का काम किया जा रहा है राजस्व विभाग को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
शिकायतकर्ता बोले – “ये खुला प्रशासनिक मज़ाक है”इस पूरे मामले पर घोंचापाली स्कूल के एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा—
“हमने बार-बार जिला शिक्षा अधिकारी और जिस विभाग में गया है उसके उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि मूल पदस्थापना पर वापसी कराई जाए, लेकिन लगता है आदेश सिर्फ कागजों में चलते हैं।”
“शासन प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि नियम किसके लिए हैं? आम कर्मचारी के लिए या चहेते अधिकारियों के लिए!”
शासन के आदेश पर भी क्यों चुप है जिला शिक्षा अधिकारी?
महासमुन्द जिला यह सवाल अब जिले भर में चर्चा का विषय बन चुका है। जब जिले का सबसे बड़ा शिक्षा अधिकारी ही शासन के आदेशों की अनदेखी कर रहा हो, तो फिर अन्य अधीनस्थों से क्या उम्मीद की जा सकती है?
सूत्रों के अनुसार, शिकायतकर्ता द्वारा जिला कलेक्टर को लिखित आवेदन देने के बाद उम्मीद जगी थी कि जल्द संलग्नीकरण समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन समय बीतता गया और चंद्रहास साहू को जैसे ‘अदृश्य कवच’ मिला हुआ हो।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जवाबदेही जरूरी:-
महासमुन्द जिला के कोमाखान तहसील का यह मामला सिर्फ एक कर्मचारी के संलग्नीकरण का नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे विभागीय आदेशों की अवहेलना कर नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। यह लोकतंत्र में जवाबदेही की रीढ़ को तोड़ने जैसा है।
यदि जिला प्रशासन ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह मामला अन्य कर्मचारियों के लिए भी एक गलत उदाहरण पेश करेगा और विभागीय अनुशासन पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी की तानाशाही:- जब पत्रकार उनसे जवाब मांगने गए तो उनके द्वारा बताया गया मुझे समय नहीं है में बाद में मिलूंगा और कहकर टाल दिया गया।इससे स्पष्ट होता है कि जिला शिक्षा अधिकारी संरक्षण प्रदान कर रहे है।
अब क्या करें अधिकारी?
• जांच समिति गठित कर संलग्नीकरण की वैधता की समीक्षा की जानी चाहिए।
• यदि शिकायतें सही पाई जाएं, तो चंद्रहास साहू को तत्काल मूल पद पर वापस भेजा जाए।
• जिला शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण लिया जाए कि क्यों उन्होंने उच्चाधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं किया।
• यदि जानबूझकर लापरवाही सिद्ध होती है, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए।
जनता देख रही है:- महासमुंद के शिक्षा विभाग में हो रही यह अनियमितता अब सिर्फ एक विभागीय मामला नहीं रहा। यह जनता के विश्वास से जुड़ा प्रश्न बन चुका है।
• क्या अब भी कार्रवाई नहीं होगी?
• क्या अब भी नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाती रहेंगी? •या फिर अब जिला प्रशासन और शासन इस आदेशहीनता के किले को तोड़ने का साहस दिखाएगा?


