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शिक्षकों के वेतनविसंगति की माँग पर मुख्यमंत्री का व्यक्तव्य

प्रेस विज्ञप्ति प्रति संपादक महोदय झटके खाए शिक्षक अब झटका देने की तैयारी में जुटे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का जवाब निराशा जनक, मोदी की गारंटी का वजन कम कर रही सरकार …… छाछ ने शिक्षकों का मुंह जलाया मोदी की गारंटी जुमला साबित हो रही, मुख्यमंत्री का जवाब सुन कर शिक्षक हुए सन्न …….. मोदी की गारंटी को चुनावी जुमला बनाने की कोशिश कर रही विष्णु देव साय सरकार, राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाएंगे शिक्षक ……… शिक्षकों के तन- मन-धन से किए गए त्याग को 15 महीने में नाकारा सरकार ने ऐसे में कैसे संवरेगा का छत्तीसगढ़ …….. जांजगीर-चांपा: सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति से जुड़े सवाल का विधानसभा में जबाव सुन कर सुनकर प्रदेश के शिक्षकों को बहुत बड़ा झटका लगा है। शिक्षकों के लिए मोदी की गारंटी लागू करने में राज्य की सरकार पर नाइंसाफी करने का आरोप लगाते हुए सरकार की कथनी और करनी पर चिंता जताई है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक फेडरेशन के शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिक्षक समाज बड़ा ही आदर और सम्मान करता है। वे राज्य के शिक्षकों और विशेष कर सहायक शिक्षकों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। लेकिन इस सरकार के बीते 14 महीने के कार्यकाल में शिक्षकों को मोदी की गारंटी से दूर करने का प्रयास किया है। फेडरेशन के शिक्षक नेता रविंद्र राठौर बताया कि शिक्षकों पूर्व की रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था और यह आंदोलन कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल के दौरान बीते 5 साल सबसे अधिक चर्चा और सुर्खियों में रहा है। पूरे पांच साल यह आंदोलन सहायक शिक्षकों के बीच एक जन आंदोलन बना इस आंदोलन का समर्थन अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन सहित कई कर्मचारी संगठनों ने भी किया था।सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति का आंदोलन ब्लॉक मुख्यालय से लेकर राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब और तूता धरना स्थल पर अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन था। इस आंदोलन को राज्य की मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी पूरी तरह समर्थन दिया था। यही वजह रही कि भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो संकल्प पत्र में शिक्षकों की जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का वादा शिक्षकों से किया गया था। शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि सरकार मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को दूर करने के लिए प्रयासरत है और इसकी घोषणा 2025-26 के बजट में कर सकती है। सहायक शिक्षक बजट सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन बजट सत्र के पहले ही दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा के पटल पर संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की विधायक संगीता सिन्हा के मंगलवार को विधानसभा में पूछे गए सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किये जाने के लिए शासन द्वारा क्या इसके लिए राज्य स्तर पर कोई कमेटी/समिति गठित की गई है ? इस पर दिए गए प्रश्न का स्कूल शिक्षा मंत्री का प्रभार देख रहे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जवाब देते हुए कहा है कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किये जाने हेतु शासन द्वारा राज्य स्तर पर कोई कमेटी/समिति गठित नहीं की गई है। यह जवाब दिए जाने से हमारा इस सरकार से भरोसा उठता हुआ लग रहा है। शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने बताया कि विष्णु देव साय की जब से सरकार बनी है तब से हमने हर मौके पर मोदी की गारंटी में भाजपा के संकल्प पत्र में कही गई बात सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए मोदी की गारंटी को जल्द से जल्द लागू किए जाने का अनुरोध राज्य के मुख्यमंत्री सहित दोनों उप मुख्यमंत्रियों और सभी मंत्रियों को दिए गए ज्ञापन के रूप में कई बार संज्ञान में लाया है। हमने भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो के संयोजक सांसद विजय बघेल से भी कई बार चर्चा की है वे हमे मौखिक रूप से कह चुके हैं कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर होगी। राज्य की सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन विधानसभा में मुख्यमंत्री का जवाब हमारे शिक्षक संगठनों को सत्ता पक्ष से जुड़े राज्य के विधायकों मंत्रियों के द्वारा दिए गए जवाब राजनीतिक मुद्दे को टालने और टरकाने वाले खोखले जवाब साबित होते हुए दिखाई दे रहे है। शिक्षक नेता रविंद्र राठौर का कहना है कि यह बात 100% सत्य है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हमारा संविलियन हुआ लेकिन इसमें भी नियुक्ति तिथि सहित पुरानी सेवा को लेकर कई विसंगतियां थी। फिर भी दूध की जले छाछ को भी फूंक फूंक कर पीने वाले शिक्षक समाज ने इस सरकार की थीम लाइन हमने ही बनाया है, हम ही सवारेंगे थोड़ा भरोसा कर रहे थे। यही वजह है कि हमने लोकसभा और नगरीय निकाय/ पंचायत चुनाव के दौरान कोई बड़ा धरना और आंदोलन नहीं किया। लेकिन ऐसा लग रहा है की छाछ से भी मुंह जलता है। इसलिए सरकार की यह थीम लाइन शिक्षकों के लिए भरोसे के लायक नहीं दिखाई दे रही है। अब हमको इस बात पर अधिक भरोसा हो रहा है कि 1998 से संविलयन तक हमने जो भी पाया है आंदोलन के दम पर ही पाया है। रविंद्र राठौर ने बताया कि विधानसभा में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को लेकर दिया गया जवाब शिक्षक को आंदोलनकारी बनने को मजबूर कर रहा है। शिक्षकों का बीते छह साल का तन मन धन से किया गया आंदोलन मुख्यमंत्री के जवाब से मिट्टी में मिलता हुआ नजर आ रहा है। जो हमें सड़क की लड़ाई लड़ने को मजबूर कर रहा है। रविंद्र राठौर का कहना है कि हमारी मांग है कि राज्य की सरकार कमेटियों के जाल से निकलकर मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति की मांग को जल्द पूरा करें। अन्यथा एक बार फिर से राज्य सरकार के खिलाफ सहायक शिक्षक सड़कों पर उग्र और नवाचारी आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। यदि हम आंदोलन को मजबूत हुए तो हम राष्टीय स्तर पर यह बताने को विवश होंगे कि राज्य की भाजपा की सरकार कैसे सत्ता पाते ही मोदी की गारंटी को चुनावी जुमला साबित कर रही है। झटके खाए शिक्षक अब झटका देने की तैयारी में जुटे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का जवाब निराशा जनक, मोदी की गारंटी का वजन कम कर रही सरकार …… छाछ ने शिक्षकों का मुंह जलाया मोदी की गारंटी जुमला साबित हो रही, मुख्यमंत्री का जवाब सुन कर शिक्षक हुए सन्न …….. मोदी की गारंटी को चुनावी जुमला बनाने की कोशिश कर रही विष्णु देव साय सरकार, राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाएंगे शिक्षक ……… शिक्षकों के तन- मन-धन से किए गए त्याग को 15 महीने में नाकारा सरकार ने ऐसे में कैसे संवरेगा का छत्तीसगढ़ …….. जांजगीर-चांपा: सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति से जुड़े सवाल का विधानसभा में जबाव सुन कर सुनकर प्रदेश के शिक्षकों को बहुत बड़ा झटका लगा है। शिक्षकों के लिए मोदी की गारंटी लागू करने में राज्य की सरकार पर नाइंसाफी करने का आरोप लगाते हुए सरकार की कथनी और करनी पर चिंता जताई है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक फेडरेशन के शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिक्षक समाज बड़ा ही आदर और सम्मान करता है। वे राज्य के शिक्षकों और विशेष कर सहायक शिक्षकों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। लेकिन इस सरकार के बीते 14 महीने के कार्यकाल में शिक्षकों को मोदी की गारंटी से दूर करने का प्रयास किया है। फेडरेशन के शिक्षक नेता रविंद्र राठौर बताया कि शिक्षकों पूर्व की रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था और यह आंदोलन कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल के दौरान बीते 5 साल सबसे अधिक चर्चा और सुर्खियों में रहा है। पूरे पांच साल यह आंदोलन सहायक शिक्षकों के बीच एक जन आंदोलन बना इस आंदोलन का समर्थन अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन सहित कई कर्मचारी संगठनों ने भी किया था।सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति का आंदोलन ब्लॉक मुख्यालय से लेकर राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब और तूता धरना स्थल पर अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन था। इस आंदोलन को राज्य की मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी पूरी तरह समर्थन दिया था। यही वजह रही कि भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो संकल्प पत्र में शिक्षकों की जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का वादा शिक्षकों से किया गया था। शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि सरकार मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को दूर करने के लिए प्रयासरत है और इसकी घोषणा 2025-26 के बजट में कर सकती है। सहायक शिक्षक बजट सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन बजट सत्र के पहले ही दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा के पटल पर संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की विधायक संगीता सिन्हा के मंगलवार को विधानसभा में पूछे गए सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किये जाने के लिए शासन द्वारा क्या इसके लिए राज्य स्तर पर कोई कमेटी/समिति गठित की गई है ? इस पर दिए गए प्रश्न का स्कूल शिक्षा मंत्री का प्रभार देख रहे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जवाब देते हुए कहा है कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किये जाने हेतु शासन द्वारा राज्य स्तर पर कोई कमेटी/समिति गठित नहीं की गई है। यह जवाब दिए जाने से हमारा इस सरकार से भरोसा उठता हुआ लग रहा है। शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने बताया कि विष्णु देव साय की जब से सरकार बनी है तब से हमने हर मौके पर मोदी की गारंटी में भाजपा के संकल्प पत्र में कही गई बात सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए मोदी की गारंटी को जल्द से जल्द लागू किए जाने का अनुरोध राज्य के मुख्यमंत्री सहित दोनों उप मुख्यमंत्रियों और सभी मंत्रियों को दिए गए ज्ञापन के रूप में कई बार संज्ञान में लाया है। हमने भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो के संयोजक सांसद विजय बघेल से भी कई बार चर्चा की है वे हमे मौखिक रूप से कह चुके हैं कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर होगी। राज्य की सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन विधानसभा में मुख्यमंत्री का जवाब हमारे शिक्षक संगठनों को सत्ता पक्ष से जुड़े राज्य के विधायकों मंत्रियों के द्वारा दिए गए जवाब राजनीतिक मुद्दे को टालने और टरकाने वाले खोखले जवाब साबित होते हुए दिखाई दे रहे है। शिक्षक नेता रविंद्र राठौर का कहना है कि यह बात 100% सत्य है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हमारा संविलियन हुआ लेकिन इसमें भी नियुक्ति तिथि सहित पुरानी सेवा को लेकर कई विसंगतियां थी। फिर भी दूध की जले छाछ को भी फूंक फूंक कर पीने वाले शिक्षक समाज ने इस सरकार की थीम लाइन हमने ही बनाया है, हम ही सवारेंगे थोड़ा भरोसा कर रहे थे। यही वजह है कि हमने लोकसभा और नगरीय निकाय/ पंचायत चुनाव के दौरान कोई बड़ा धरना और आंदोलन नहीं किया। लेकिन ऐसा लग रहा है की छाछ से भी मुंह जलता है। इसलिए सरकार की यह थीम लाइन शिक्षकों के लिए भरोसे के लायक नहीं दिखाई दे रही है। अब हमको इस बात पर अधिक भरोसा हो रहा है कि 1998 से संविलयन तक हमने जो भी पाया है आंदोलन के दम पर ही पाया है। रविंद्र राठौर ने बताया कि विधानसभा में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को लेकर दिया गया जवाब शिक्षक को आंदोलनकारी बनने को मजबूर कर रहा है। शिक्षकों का बीते छह साल का तन मन धन से किया गया आंदोलन मुख्यमंत्री के जवाब से मिट्टी में मिलता हुआ नजर आ रहा है। जो हमें सड़क की लड़ाई लड़ने को मजबूर कर रहा है। रविंद्र राठौर का कहना है कि हमारी मांग है कि राज्य की सरकार कमेटियों के जाल से निकलकर मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति की मांग को जल्द पूरा करें। अन्यथा एक बार फिर से राज्य सरकार के खिलाफ सहायक शिक्षक सड़कों पर उग्र और नवाचारी आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। यदि हम आंदोलन को मजबूत हुए तो हम राष्टीय स्तर पर यह बताने को विवश होंगे कि राज्य की भाजपा की सरकार कैसे सत्ता पाते ही मोदी की गारंटी को चुनावी जुमला साबित कर रही है।

झटके खाए शिक्षक अब झटका देने की तैयारी में जुटे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का जवाब निराशा जनक, मोदी की गारंटी का वजन कम कर रही सरकार

 

छाछ ने शिक्षकों का मुंह जलाया मोदी की गारंटी जुमला साबित हो रही, मुख्यमंत्री का जवाब सुन कर शिक्षक हुए सन्न।

मोदी की गारंटी को चुनावी जुमला बनाने की कोशिश कर रही विष्णु देव साय सरकार, राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाएंगे शिक्षक।

शिक्षकों के तन- मन-धन से किए गए त्याग को 15 महीने में नाकारा सरकार ने ऐसे में कैसे संवरेगा का छत्तीसगढ़।

 

जांजगीर-चांपा: सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति से जुड़े सवाल का विधानसभा में जबाव सुन कर सुनकर प्रदेश के शिक्षकों को बहुत बड़ा झटका लगा है। शिक्षकों के लिए
मोदी की गारंटी लागू करने में राज्य की सरकार पर नाइंसाफी करने का आरोप लगाते हुए सरकार की कथनी और करनी पर चिंता जताई है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक फेडरेशन के शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिक्षक समाज बड़ा ही आदर और सम्मान करता है। वे राज्य के शिक्षकों और विशेष कर सहायक शिक्षकों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। लेकिन इस सरकार के बीते 14 महीने के कार्यकाल में शिक्षकों को मोदी की गारंटी से दूर करने का प्रयास किया है।

फेडरेशन के शिक्षक नेता रविंद्र राठौर बताया कि शिक्षकों पूर्व की रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था और यह आंदोलन कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल के दौरान बीते 5 साल सबसे अधिक चर्चा और सुर्खियों में रहा है। पूरे पांच साल यह आंदोलन सहायक शिक्षकों के बीच एक जन आंदोलन बना इस आंदोलन का समर्थन अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन सहित कई कर्मचारी संगठनों ने भी किया था।सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति का आंदोलन ब्लॉक मुख्यालय से लेकर राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब और तूता धरना स्थल पर अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन था। इस आंदोलन को राज्य की मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी पूरी तरह समर्थन दिया था। यही वजह रही कि भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो संकल्प पत्र में शिक्षकों की जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का वादा शिक्षकों से किया गया था।

शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने आगे कहा कि
हमें उम्मीद थी कि सरकार मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को दूर करने के लिए प्रयासरत है और इसकी घोषणा 2025-26 के बजट में कर सकती है। सहायक शिक्षक बजट सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन बजट सत्र के पहले ही दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा के पटल पर संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की विधायक संगीता सिन्हा के मंगलवार को विधानसभा में पूछे गए सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किये जाने के लिए शासन द्वारा क्या इसके लिए राज्य स्तर पर कोई कमेटी/समिति गठित की गई है ?

इस पर दिए गए प्रश्न का स्कूल शिक्षा मंत्री का प्रभार देख रहे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जवाब देते हुए कहा है कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किये जाने हेतु शासन द्वारा राज्य स्तर पर कोई कमेटी/समिति गठित नहीं की गई है। यह जवाब दिए जाने से हमारा इस सरकार से भरोसा उठता हुआ लग रहा है।

शिक्षक नेता रविंद्र राठौर ने बताया कि
विष्णु देव साय की जब से सरकार बनी है तब से हमने हर मौके पर मोदी की गारंटी में भाजपा के संकल्प पत्र में कही गई बात सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए मोदी की गारंटी को जल्द से जल्द लागू किए जाने का अनुरोध राज्य के मुख्यमंत्री सहित दोनों उप मुख्यमंत्रियों और सभी मंत्रियों को दिए गए ज्ञापन के रूप में कई बार संज्ञान में लाया है।

हमने भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो के संयोजक सांसद विजय बघेल से भी कई बार चर्चा की है वे हमे मौखिक रूप से कह चुके हैं कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर होगी। राज्य की सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन विधानसभा में मुख्यमंत्री का जवाब हमारे शिक्षक संगठनों को सत्ता पक्ष से जुड़े राज्य के विधायकों मंत्रियों के द्वारा दिए गए जवाब राजनीतिक मुद्दे को टालने और टरकाने वाले खोखले जवाब साबित होते हुए दिखाई दे रहे है।

शिक्षक नेता रविंद्र राठौर का कहना है कि
यह बात 100% सत्य है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हमारा संविलियन हुआ लेकिन इसमें भी नियुक्ति तिथि सहित पुरानी सेवा को लेकर कई विसंगतियां थी। फिर भी दूध की जले छाछ को भी फूंक फूंक कर पीने वाले शिक्षक समाज ने इस सरकार की थीम लाइन हमने ही बनाया है, हम ही सवारेंगे थोड़ा भरोसा कर रहे थे। यही वजह है कि हमने लोकसभा और नगरीय निकाय/ पंचायत चुनाव के दौरान कोई बड़ा धरना और आंदोलन नहीं किया। लेकिन ऐसा लग रहा है की छाछ से भी मुंह जलता है। इसलिए सरकार की यह थीम लाइन शिक्षकों के लिए भरोसे के लायक नहीं दिखाई दे रही है। अब हमको इस बात पर अधिक भरोसा हो रहा है कि 1998 से संविलयन तक हमने जो भी पाया है आंदोलन के दम पर ही पाया है।

रविंद्र राठौर ने बताया कि विधानसभा में
सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को लेकर दिया गया जवाब शिक्षक को आंदोलनकारी बनने को मजबूर कर रहा है। शिक्षकों का बीते छह साल का तन मन धन से किया गया आंदोलन मुख्यमंत्री के जवाब से मिट्टी में मिलता हुआ नजर आ रहा है।
जो हमें सड़क की लड़ाई लड़ने को मजबूर कर रहा है।

रविंद्र राठौर का कहना है कि हमारी मांग है कि राज्य की सरकार कमेटियों के जाल से निकलकर मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति की मांग को जल्द पूरा करें। अन्यथा एक बार फिर से राज्य सरकार के खिलाफ सहायक शिक्षक सड़कों पर उग्र और नवाचारी आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। यदि हम आंदोलन को मजबूत हुए तो हम राष्टीय स्तर पर यह बताने को विवश होंगे कि राज्य की भाजपा की सरकार कैसे सत्ता पाते ही मोदी की गारंटी को चुनावी जुमला साबित कर रही है।

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