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मनीष पाण्डेय ने “सूचना प्रद्योगिकी एवं कृत्रिम बुद्धिमता का भारतीय भाषाओं पर प्रभाव” विषय पर दिया अपना व्याख्यान ।

राजधानी नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में अंतर राष्ट्रीय भारतीय भाषा सम्मेलन का आयोजन 10 से 12 जनवरी के बीच में संपन्न हुआ।

यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद और वैश्विक हिंदी परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में श्री मनीष पाण्डेय को तकनीकी विशेषज्ञ और प्रवासी हिंदी साहित्यकार के रूप में आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम का शुभारंभ देश के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविद ने किया और 25 सत्रों में विभिन्न विषयों पर विश्व के 40 देशों और भारत के सभी प्रांतों के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों, भाषाविदों और शैक्षणिक अधिकारियों सहित शोध छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

श्री मनीष पाण्डेय ने “सूचना प्रद्योगिकी एवं कृत्रिम बुद्धिमता का भारतीय भाषाओं पर प्रभाव” विषय अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने ने बताया कि भले ए आई कुछ वर्षों से सभी की जुबान पर है लेकिन इस पर काम लगभग चार दसकों से हो रहा है। आज एआई इतना सक्षम है कि ना केवल हिंदी जैसे प्रमुख भाषाओं बल्कि छत्तीसगढ़ी जैसी अन्य क्षेत्रिय भाषायों में भी कार्य कर सकता है। उदाहरण स्वरूप श्री मनीष ने एआई का उपयोग करते हुए अपने व्याख्यान के कुछ अंश को गुजराती, बंगाली और कन्नड़ भाषा में सुनाया। अगले दिन के सत्र उनका काव्य पाठ भी हुआ जिसमें इन्होंने प्रवासी दिलों में भारत माँ के प्रति की भावना को अलंकृत किया जिसे श्रोताओं द्वारा स्नेह मिला।

श्री मनीष पाण्डेय अपने व्यावसायिक क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञ हैं और इस दक्षता का उपयोग वे हिंदी भाषा के सेवा में भी निरंतर करते हैं। वे वैश्विक हिंदी परिवार के वेबसाइट के तकनीकी संपादक, नीदरलैंड के साझा संसार समूह के तकनीकी संपादक सहित अन्य कई अंतरराष्ट्रीय समूहों में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में भागीदार हैं।

मनीष पाण्डेय, जांजगीर शहर से श्री रोहिणी कुमार पाण्डेय के पुत्र हैं और विगत 13 वर्षों से में नीदरलैंड (यूरोप) के ऐम्स्टरडैम शहर में निवास करते हैं।

एक साहित्यकार के रूप में मनीष पाण्डेय सशक्त प्रवासी कवि के रूप में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। उनकी कविताएँ, लेख और संस्मरण आदि विभिन्न पत्रिकाओं और संकलन आदि में प्रकाशित होते हैं।

इसके पूर्व श्री मनीष को हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य में सक्रिय और उल्लेखनीय कार्य के लिए भोपाल में प्रवासी भारतीय साहित्यकार सम्मान 2022 और 2024 में प्रवासी भवन नई दिल्ली में आमंत्रित अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया था।

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