कोर्ट के निर्णय के उपरांत भी संशोधित शाला मे ज्वाइनिंग न देने से नाराज शिक्षकों ने आज जिलाशिक्षाधिकारी कार्यालय मे दिया धरन
बालोद : पिछले तीन महीनों से वेतन के लिये तरसते शिक्षकों के परिवार का गुजारा हुआ मुश्किल: हो रहा संशोधित शाला के बच्चो की पढ़ाई का नुकसान*
वर्षो बाद मिली पदोन्नति, विभागीय लड़ाई के चलते इन शिक्षकों के लिए मुसीबत का पहाड़ बन गई है। विगत 3 माह से इन शिक्षकों को वेतन न दिये जाने से इनके परिवार के लिए बड़ी आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई है, तथा इनको एक तरफा कार्यमुक्त कर देने की वजह से जहां ये पदोन्नति पश्चात पदस्थ थे वहां के स्कूली बच्चो की पढ़ाई भी बाधित हो रही है, जिससे क्षुब्ध होकर आज ये सैकड़ो पीड़ित शिक्षक, जिलाशिक्षाधिकारी कार्यालय मे संशोधित शाला मे कोर्ट के निर्णय के आधार पर ज्वाईनिङ्ग् करने तथा लंबित वेतन की मांग के लिए धरना पर बैठ गये।
उल्लेखनीय है कि जून २०२३मे सहायक शिक्षकों को युडीटी पद पर पदोन्नति दी गई थी। काउंसलिंग के आधार पर पदस्थापना दी गई, काउंसलिंग के दौरान इन शिक्षकों को १५० से २५० km दूर इनकी पदस्थापना आदेश जारी कर दिया गया जबकि इनके ब्लाक और जिले के भीतर बहुत से पद रिक्त थे। तब इन शिक्षकों ने अपना अपना आवेदन जगह के संशोधन हेतु अपने नियोक्ता संयुक्त संचालक दुर्ग को सौंपा। आवेद्न् के मानवीय आधार और न्योयोचित अधिकार को देखते हुए इनके काउंसलिंग मे मिली जगह को संशोधित करके इनको आवेदन मे अपने आसपास की मांगी रिक्त पद वाली जगह अथवा उसके आसपास के रिक्त पदो पर संशोधन आदेश जारी किया गया और ये वहां पर कार्यभार ग्रहण कर अध्यापन कार्य कराते रहे। ज्ञात हो की समस्त विभाग मे इस तरह के संशोधन पूर्व मे भी किये जाते रहे है, लेकिन शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा अचानक ०४:०९:२०२३ को एक आदेश निकाल कर इन सभी शिक्षकों को इनके शाला से एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया गया और पुनः इन्हे उसी १५०, २०० km दूर काउंसलिंग मे दिये स्कूल मे जाने के लिए दबाव बनाया गया, जिसके विरुद्ध से शिक्षक हाई कोर्ट चले गये जहां पर माननीय कोर्ट ने विभाग के ०४:०९:२०२३के उस एकतरफा कार्यमुक्त आदेश को निरस्त करते हुए इन शिक्षकों को पुनः जिस स्कूल मे वे ३माह् पढ़ा चुके थे और वेतन प्राप्त कर चुके से उस पूर्व शाला मे जवाइनिंग करवा कर इनके वेतन भुगतान की व्यवस्था करने का आदेश पारित किया गया। किन्तु आज पर्यन्त तक कोर्ट के उस निर्णय का पालन नही किया गया है, उलटे काउंसलिंग शाला मे जवाइनिंग हेतु दबाव बनाया जा रहा है। आज् जब शिक्षकों द्वारा इसका लिखित आदेश जिलाशिक्षाधिकारी से मांगा गया तो उन्होंने लिखित आदेश देने से इंकार कर दिया जिससे आक्रोशित शिक्षक वही उनके कार्यालय के सामने धरना पर बैठ गये।
शालेय् शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने पीड़ित शिक्षकों का समर्थन करते हुए कहा कि कोर्ट द्वारा कहे गये *पूर्व शाला* की गलत व्याख्या अधिकारियों द्वारा की जा रही है,किसी भी शिक्षक के लिए पूर्व शाला वही हो सकती है जहां से उसे कार्यमुक्त किया गया हो,उसका वेतन आहरण हुआ हो। ऐसे मे इन शिक्षकों की पूर्व शाला संशोधित शाला हि है जहां से इन्हे एकतरफा कार्यमुक्त किया गया और वेतन आहरण किया गया। काउंसलिंग शाला मे इन शिक्षकों ने जवाइन हि नही किया है तो वह किसी भी सूरत मे पूर्व शाला नही हो सकती। संशोधित शाला मे इनके विषय का पद रिक्त था तभी संशोधन हुआ और संशोधन एक समान्य प्रक्रिया है जिसमे जरूरतमंद कर्मचारियों के आवेदन पर जगह का संशोधन समस्त विभाग मे वर्षो से किया जाते रहा है ऐसे मे इन शिक्षकों के साथ ऐसा बर्ताव निश्चित हि इन शिक्षकों व इनके परिवार जनो को शारीरिक मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना है,उपर से बच्चो की पढ़ाई का नुकसान हो रहा वह भी असहनीय है। शालेय् शिक्षक संघ इन शिक्षकों की पीड़ा मे इनके साथ है, इनके साथ अन्याय नही होना चाहिए।जल्द ही कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए इन्हे इनके संशोधित शाला मे जवाइनिंग देकर इन्हे इनका लंबित वेतन प्रदान किया जावे।
आज धरना देने वालो मे प्रमुख रूप से विक्रम राजपूत,शशि अग्रवार,द्वारिका भारद्वाज, बी पी कोसरिया,जितेंद्र यादव, प्रभा साहू,गुमान सिंह ,वरुण साहू,प्रतिभा सिंहा,सन्ध्या सोनभद्र, के इन ठाकुर, अनिता सिंहा,अनिता साहू आदि सैकड़ो शिक्षक शामिल थे।