
व्याख्याता के पद मे पदोन्नति पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रोक,
शिक्षक एलबी के पद से व्याख्याता के पद मे प्रमोशन पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दिया गया है एवं विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक पर भी रोक लगा दी गई है
संक्षिप्त में मामला यह है कि *मोहनलाल पटेल एवं हरीश लाल टांडे* एवं अन्य के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत कर यह प्रार्थना/ मांग किया गया है कि शिक्षक एल बी के पद से व्याख्याता के पद में प्रमोशन हेतु वरिष्ठता सूची *01.04.2022* की स्थिति में बनाई जा रही है वह गलत है एवं वरिष्ठता सूची *01.04.2023* के स्थिति में बनाया जाना चाहिए क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग में भर्ती एवं प्रमोशन नियम के तहत जिस वर्ष में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक की जाती है उसी वर्ष की स्थिति के अनुसार वरिष्ठता सूची बनाए जाने का प्रावधान है, जबकि वरिष्ठता सूची जो बनाई गई है वह पिछले वर्ष की स्थिति के अनुसार बनाई गई है, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत याचिका में चुनौती का दूसरा आधार यह है कि शिक्षक एलबी के पद से व्याख्याता के पद में पदोन्नति हेतु जो वरिष्ठता सूची बनाई जा रही है उसमें ऐसे लोगों को भी शामिल किया गया है, जिनके पास बी. एड. डिग्री नहीं है, जबकि व्याख्याता के पद पर नियुक्ति एवं पदोन्नति हेतु B.Ed डिग्री की आवश्यकता होती है, जो कि अनिवार्य योग्यता है, याचिकाकर्ता के द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल ही में देवेश शर्मा विरुद्ध भारत संघ के मामले में पारित आदेश के संदर्भ का हवाला देते हुए बताया गया है कि B.Ed डिग्री वालों को प्राइमरी स्कूल शिक्षक के लिए अपात्र किया गया है, एवं इसी प्रकार व्याख्याता पद के लिए क्यों न केवल बीएड वालों को ही पात्र माना जाए, इस संबंध में एनसीटीई National Council For Teacher Education का नियम भी है जो सीधी भर्ती से नियुक्ति एवं पदोन्नति दोनों के लिए समान रूप से लागु है, NCTE नियम में स्पष्ट उल्लेख है कि व्याख्याता के पद पर नियुक्ति एवं पदोन्नति हेतु B.Ed की डिग्री अनिवार्य है, राज्य शासन द्वारा केवल शिक्षक एल बी के पद पर 5 वर्ष का कार्य अनुभव को आधार बनाते हुए पदोन्नति दिया जा रहा है वह गलत है, व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हेतु आवश्यक योग्यता द्वितीय श्रेणी में संबंधित विषय में स्नातकोत्तर एवं B.Ed डिग्री है, याचिकाकर्ता के द्वारा यह मांग किया गया है, कि जो शिक्षक D.Ed या डीएलएड हैं उन्हें व्याख्याता प्रमोशन हेतु अपात्र घोषित किया जाए, इस मामले पर याचिकाकर्ता के वकील गोविंद देवांगन आकाश पांडे एवं रूपेंद्र देवांगन एवं राज्य शासन के वकील को सुनने के बाद माननीय न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल साहब* के द्वारा यह आदेश दिया गया कि राज्य शासन इस मामले मे अपना जवाब प्रस्तुत करे एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में अंतरिम राहत देते हुए यह आदेश पारित किया गया, कि व्याख्याता के पद में पदोन्नति हेतु विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक पर रोक लगा दी गई है, अब माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक नहीं की जा सकेगी और जब तक न्यायालय के समक्ष केस विचाराधीन है, तब तक व्याख्याता पदोन्नति के पद पर रोक रहेगी।


