
बजट में कर्मचारियों को डीए के एरियर्स, एलबी शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान मिलने की उम्मीद
एलबी शिक्षकों को उम्मीद कि चुनावी घोषणापत्र के अनुसार क्रमोन्नत वेतनमान का वायदा बजट में पूरा होगा
पेण्ड्रा / 6 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा प्रदेश का बजट पेश किया जाएगा। इस साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं इसलिए यह बजट कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा। इस बजट में लोक लुभावने घोषणाओं की संभावना दिख रही है।
विशेषकर कर्मचारियों को इस बजट में अपने लिए कुछ खास मिलने की संभावना है क्योंकि इस सरकार के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में प्रदेश के सभी कर्मचारी मंहगाई भत्ता का एरियर्स नहीं दिए जाने से असंतुष्ट हैं। कर्मचारियों का लाखों रुपए का महंगाई भत्ता का एरियर्स बकाया है।
वहीं डेढ़ लाख संख्या वाले एलबी संवर्ग शिक्षकों को सरकार से उम्मीद है कि चुनावी घोषणापत्र में किए गए क्रमोन्नत वेतनमान के वायदे को इस बजट में पूरा कर वेतन विसंगति दूर करने के साथ उनकी पूर्व सेवा गणना, पूर्ण पेंशन की मांग को पूरा किया जाएगा। क्योंकि प्रदेश का सबसे बड़ा संख्या बल वाला एलबी शिक्षक ऐसा संवर्ग है जिनकी नियमित भर्ती और पदस्थापना होने के बावजूद इनके साथ अन्याय करते हुए इनकी 1998 से लेकर 2018 तक की 20 वर्ष की इनकी सेवाएं रमन सरकार में शून्य कर दी गई थीं जो कि वैधानिक रूप से भी सही नहीं था। इसलिए इनका गुस्सा 2018 के विधानसभा चुनाव में रमन सरकार पर फूटा था। ये पिछले साढ़े 4 वर्ष से भूपेश सरकार से उम्मीद लगाए हुए हैं कि यह सरकार इनके साथ न्याय करेगी अन्यथा ये न्यायालय का रास्ता चुनेंगे जहां से न्याय मिल ही जाएगा।
वहीं पूरे प्रदेश में डेढ़ माह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने के लिए हड़ताल चल रहा है वहीं सरकार से उनके किए वायदे को पूरा कराने के लिए संविदा कर्मचारी भी आशान्वित हैं कि चुनावी घोषणापत्र पूरा करते हुए उनके नियमितीकरण की घोषणा इस बजट में की जा सकती है। स्वास्थ कर्मचारी, लिपिक वर्ग भी वेतन विसंगति को लेकर समय समय पर हड़ताल करते रहे हैं। अनियमित कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर बजट से उम्मीद लगाए हुए हैं।
बता दें कि साढ़े 4 वर्ष के भूपेश सरकार के कार्यकाल में किसी भी कर्मचारी संगठन की कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है। सभी संगठनों के हड़ताल आश्वासनों से खत्म कराए जाते रहे हैं, इसलिए सभी कर्मचारियों को इस अंतिम बजट से बहुत ज्यादा उम्मीद है।
मुख्यमंत्री से उम्मीद कि जिले के सबसे बड़े जलाशय कोलबर्रा परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति मिलेगी
जीपीएम जिले के लोगों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उम्मीद है कि सोन नदी पर प्रस्तावित जिले के सबसे बड़े जलाशय कोलबर्रा परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति इस बजट में मिलेगी। क्योंकि वन भूमि अधिग्रहण एवं सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्लूसी) से सरकार को अनुमति मिल चुकी है। वित्त विभाग से स्वीकृति का है इंतजार और वित्त विभाग है मुख्यमंत्री के पास है। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी के प्रस्ताव पर 208 करोड़ की लागत से सोन नदी पर 13 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाना प्रस्तावित है जिससे कि मध्यप्रदेश बहकर जाने वाले सोन नदी के पानी को रोककर जिले के किसान सिंचाई में पानी का सदुपयोग कर सकेंगे। इस बांध में 311.91 हेक्टेयर भूमि में पानी का भराव रहेगा और क्षेत्र की 4500 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इस बांध के बनने से 14 परिवार होंगे विस्थापित। निजी भूमि 238.79 तथा 67.62 हेक्टेयर वन भूमि अधिगृहित होगी।
पेण्ड्रा बाईपास सड़क के लिए राशि स्वीकृत होने की संभावना
इस बजट में पेण्ड्रा बाईपास सड़क के लिए मुआवजा राशि स्वीकृत होने की उम्मीद नागरिकों ने लगाई हुई है। भूपेश सरकार ने विधानसभा चुनाव में वायदा किया था कि शासकीय प्रयोजन के लिए अधिग्रहित की जाने वाली निजी भूमि का शासकीय दर से चार गुना मुआवजा राशि दिया जाएगा। वायदे के अनुसार सरकार ने पेण्ड्रा बाईपास सड़क में अधिग्रहित होने वाली भूमि का 4 गुना मुआवजा राशि स्वीकृत नहीं किया है इसलिए इस सड़क सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। इसलिए पेण्ड्रा के नागरिकों को उम्मीद है कि भूपेश सरकार इस बजट में मुआवजा राशि स्वीकृत कर देगी। बाईपास सड़क नहीं होने से नागरिकों को बीच शहर से गुजरने वाली सड़क में ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है और दुर्घटनाएं भी होती हैं।


