
शैक्षिक समन्वयको को मिले संपूर्ण अधिकार, तीन पीरियड पढ़ाने का नियम हो समाप्त, मिले सम्पूर्ण प्रशासनिक अधिकार – जाकेश साहू
रायपुर //-
छत्तीसगढ़ प्रदेश के शिक्षक एवं कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने प्रेस -विज्ञप्ति जारी करते हुए मांग किया है कि प्रदेश के सभी 146 विकासखंडों के अंतर्गत कार्यरत समस्त संकुल शैक्षिक समन्वयको को सभी प्रकार का प्रशासनिक अधिकार शासन द्वारा प्रदान किया जाए।
कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने कहा कि समन्वयको का काम बहुत ही ज्यादा पेचीदा एवं जिम्मेदारी पूर्वक हो गया है, शैक्षिक समन्वयक शासन प्रशासन और स्कूलों की बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है, राज्य शासन के डीपीआई एवं मंत्रालय से स्कूलों के लिए जो भी आदेश प्रसारित होते हैं वह विभिन्न जिलों के कलेक्टर कार्यालय एवं डीईओ ऑफिस तक प्रसारित होते हैं, तत्पश्चात डीईओ ऑफिस से वह आदेश बीईओ ऑफिस तक पहुंचता है। फिर बीईओ ऑफिस से सारे आदेशों को प्रदेश के समस्त गांव, नगर एवं शहरों के सभी स्कूलों में पहुंचाने का कार्य शैक्षिक समन्वयक करता है।
शैक्षिक समन्वयको के द्वारा स्कूलों की मॉनिटरिंग करना, शिक्षकों की उपस्थिति को देखना, मध्यान्ह भोजन की स्थिति की जानकारी देखना, स्कूल संचालन, शाला की व्यवस्था देखना, बच्चों को प्राप्त गणवेश सहित समस्त प्रकार की सुविधाएं जो शासन प्रशासन द्वारा स्कूलों एवं स्कूली बच्चों को दिया जा रहा है। शिक्षकों की उपस्थिति सहित तमाम ऐसे कार्य शैक्षिक समन्वयको के द्वारा किए जा रहे हैं जो शासन प्रशासन की योजनाओं में शामिल है।
राज्य शासन ने एक नया आदेश विगत दिनों जारी किया है जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि शैक्षिक समन्वयको को प्रतिदिन तीन पीरेड पढ़ाना है। शिक्षक एवं कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने राज्य शासन से मांग की है कि शैक्षिक समन्वयको को पढ़ाई कार्य से मुक्त रखा जाए, क्योंकि उनका विभागीय कार्य ही बहुत ही ज्यादा एवं पेचीदा हो जाता है।
विभागीय कार्य के लिए अलावा पढ़ाई का कार्य शैक्षिक समन्वयको को नहीं कराया जाना चाहिए। क्योंकि यह शैक्षिक समन्वयको का मानसिक शोषण है। समन्वयको को प्रतिदिन मानिटरिंग का कार्य करना रहता है, इसके अलावा बीईओ आफिस की बैठक में जाना, बीआरसी कार्यालय के बैठक में जाना। डीईओ कार्यालय की बैठक में जाना सहित तमाम विभागीय कार्य करते हैं।
*समस्त प्रकार के भत्ता हर महीने किया जाए प्रदान -*
शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष एवं कर्मचारी नेताओं ने जाकेश साहू ने कहा कि शैक्षिक समन्वयको को प्रतिदिन संकुल के अंतर्गत सभी स्कूलों का दौरा करना पड़ता है साथ ही बीईओ ऑफिस का भी दौरा लगाना पड़ता है। ऐसे में पेट्रोलिंग खर्च, ta-da आदि खर्च, उनके जेब से होता है।
राज्य शासन से मांग की जाती है कि शैक्षिक समन्वयको को टीए/डीए प्रतिमाह लगभग 8 से 10 हजार रुपए की राशि दिया जाना चाहिए। जिसे सरकार द्वारा शैक्षिक समन्वयको के वेतन में जोड़कर प्रतिमाह दिया जाए। संपूर्ण प्रशासनिक अधिकार प्रदान किया जाए।
कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने कहा कि शैक्षिक समन्वयको को सभी प्रकार के प्रशासनिक अधिकार दिया जाना चाहिए, क्योंकि स्कूलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही होने पर समन्वयको को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन समन्वयको को कार्रवाई का किसी भी प्रकार का अधिकार ही नहीं दिया गया है, ऐसे में शैक्षिक समन्वयक शासन प्रशासन और स्कूलों के बीच पीसे जा रहे हैं। कई शैक्षिक समन्वयक तो अपने समन्वयक पद से संबंधित कार्य न कर इस्तीफा देना चाहते हैं, उसके बावजूद भी उन्हें कई जगहों पर जबरदस्ती दबाव पूर्वक समन्वयक बनाकर रखा गया है। प्रशासन को चाहिए कि समन्वयक को स्पेशल अकादमीक पद घोषित कर संपूर्ण प्रकार की सुविधा देनी चाहिए। अन्यथा प्रदेशभर के समस्त शैक्षिक समन्वयक एक साथ सामूहिक इस्तीफा देने पर बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।


