प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द मे सुरक्षित शनिवार पर बताया गया डायरिया से बचाव
फिंगेश्वर। शासन के निर्देशानुसार सुरक्षित शनिवार पर प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द के बच्चों को डायरिया से बचाव के बारे में बताया गया जिसमें कहा गया डायरिया के लक्षण भूख न लगना, मुंह का सूखना, पेट दर्द होना, बार-बार बुखार आना खूनी मल होना शरीर कमजोर होना, थकान महसूस होना इस प्रकार के लक्षण किसी व्यक्ति पर दिखे तो समझ लीजिए की वह डायरिया से ग्रसित है तो हमें इसके उपचार के लिए उसे व्यक्ति को ओआरएस का घोल पिलाना चाहिए हल्का भोजन खिलाना चाहिए जिसमें खिचड़ी, दलिया बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए अपने घर और आसपास को साफ सुथरा रखना चाहिए साफ बर्तन में खाना बनाना चाहिए एवं खाना चाहिए साथ ही हाथ को अच्छे से धोना चाहिए घर के आस-पास पानी का जमावड़ा नहीं होने देना चाहिए डायरिया से पीड़ित व्यक्ति को फल में केला खिलाना चाहिए जिससे पीड़ित व्यक्ति जल्द ही स्वस्थ हो जाता है शिक्षक खोमन सिन्हा ने बच्चों को बताया कि यदि ओ आर एस का गोल नहीं है तो हम घर में ही आसानी से यह घोल तैयार कर सकते हैं इसके लिए एक बर्तन में 1 लीटर पानी डालें उसमें 6 चम्मच चीनी डालें आधा चम्मच नमक डालें और उसे अच्छे से पानी में घोल ले फिर वह ओ आर एस घोल बनाकर तैयार हो जाएगा! डायरिया ज्यादा खतरनाक तो नहीं परंतु यह गंभीर बन सकता है क्योंकि इसके कारण व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिससे व्यक्ति को बहुत ज़्यादा कमज़ोरी आती है तथा वह सुस्त और थका हुआ महसूस करने लगता है।
व्यक्ति के शरीर की त्वचा सूखने लगती है। ऐसा शरीर में पानी की कमी होने के कारण होने लगता है। यदि शरीर में पानी का लेवल ख़तरनाक रूप से गिर जाए तो ऐसे में हृदय रोग होने की संभावना भी बढ़ सकती है। यदि किसी व्यक्ति को डायरिया हो गया है तो उसे प्यास का अनुभव अधिक होता है। इसी के साथ साथ व्यक्ति को दस्त और उल्टी आने की समस्या भी होती है। व्यक्ति के शरीर में काफ़ी ऐंठन होती है ।
वातावरण में बदलाव, गंदगी, स्वास्थ्य के प्रति जानकारी न होने तथा लापरवाही बरतने के कारण बहुत सी बीमारियां व्यक्ति को प्रभावित करती है। डायरिया भी दिन प्रतिदिन होने वाली एक साधारण बीमारी है जो गंभीर स्थिति तक जा सकती है तथा इससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
डायरिया की बीमारी देखने में तो एक आम बीमारी है परंतु यह जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। यदि दो दिन में ही इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह बहुत खतरनाक हो सकती है।
बच्चों के लिए तो डायरिया की बीमारी और भी ज़्यादा ख़तरनाक मानी जाती है। इसलिए डायरिया से संबंधित हमारी सबसे पहली सलाह यही है कि आप अपनी पर्सनल हाइजीन को मेंटेन रखें तथा स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं। इसी के साथ साथ अपने आहार को स्वास्थ्यवर्धक बनाएँ। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टरी परामर्श लें।
काली चाय में नींबू का रस मिलाकर पीने से भी इसका इलाज हो सकता है।
अपने आहार में हल्का खाना शामिल करें जैसे दलिया, खिचड़ी आदि।खाने में दही का सेवन करें।फलों में केला खांए
सफाई का खास खयाल रखें।
खाना खाने से पहले हाथों को जरूर धोएं बर्तनों को धोकर ही इस्तेमाल करें ताज़े खाने का सेवन करें, बासी खाने से परहेज करें उबले हुए पानी का सेवन करे
डायरिया की बीमारी का सबसे सही घरेलू उपचार है कि शरीर में पानी और नमक की कमी को दूर किया जाए। इसीलिए व्यक्ति को ज्यादा पानी पीने की आवश्यकता होती है। घरेलू इलाज नीमकोल और ओआरएस (ORS) घोल लेने के बावजूद भी अगर पानी की कमी पूरी नहीं हो रही तो ड्रिप लगाने की भी जरूरत पड़ सकती है।डायरिया की बीमारी के इन्फेक्शन को दूर करने के लिए डॉक्टर एंटी बायोटिक भी देते हैं जिससे आपके शरीर के इन्फेक्शन को दूर किया जा सकता है नमक, चीनी व पानी का घोल सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। इसके साथ अगर आप चाहे तो इसमें नींबू का रस भी मिलाकर पी सकते हैं। ऐसा आपको दिन में 6-7 बार करना
छोटे बच्चों में डायरिया की बीमारी बहुत खतरनाक हो सकती है क्योंकि यह बच्चे को एक दिन में ही बहुत ज्यादा कमजोर कर देती है। अगर बच्चे को बार-बार दस्त आ रहा हो तो फौरन ही उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। डायरिया की स्थिति बच्चे के लिए इतनी ख़तरनाक हो सकती है कि उसकी जान जाने का ख़तरा भी लगातार बना रहता है।
ज्यादा दस्त आने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन भी हो जाता है। डायरिया में बच्चे जब रोते हैं तो उनकी आँखों से आँसू नहीं निकलते। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शाला के प्रधान बैठक जगन्नाथ ध्रुव शिक्षक घनश्याम कंवर दुर्गेश विश्वकर्मा लीलाराम मतावले निरूपा निषाद मंदाकिनी साहू शिक्षक खोमन सिन्हा उपस्थित रहे
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