सहायक शिक्षक

सहायक शिक्षक फेडरेशन चुनाव आया विवाद के घेरे मे , पुनः ताजपोशी के लिए मनमाफिक चुनाव अधिकारी,मतदाता,और जमानत राशि


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इस्तीफे का नाटक बंद कर, प्रदेश के एक लाख नौ हजार सहायक शिक्षकों से माफी मांगे मनीष मिश्रा 
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छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा को अपने पद से इस्तीफा देने का नाटक बंद कर प्रदेश के 109000 सहायक शिक्षकों से माफी मांगते हुए दोबारा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करना चाहिए।
मनीष मिश्रा द्वारा इस्तीफा देकर कार्यकारिणी भंग करने का जो नाटक किया जा रहा है, वह सिर्फ और सिर्फ एक बकवास और दिखावा मात्र है। प्रांत अध्यक्ष बने बगैर मनीष मिश्रा जिंदा नहीं रह सकता। इस व्यक्ति को सहायक शिक्षकों के समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। यह फेडरेशन को अपनी जागीर समझ कर रखा हुआ है। यदि मनीष मिश्रा वाकई में प्रदेश के 109000 सहायक शिक्षकों का हितैषी है, तो उन्हें आज ही ऐलान करना चाहिए कि वह दोबारा प्रांत अध्यक्ष की दावेदारी नहीं करेगा।
मनीष मिश्रा एक बार प्रांताध्यक्ष रह चुका है अब उसे प्रांत अध्यक्ष की दावेदारी ना कर प्रदेश के अन्य साथियों को प्रांत अध्यक्ष बनने का मौका देना चाहिए। मनीष मिश्रा ने 3 साल प्रदेश अध्यक्ष रह कर सहायक शिक्षकों के समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया लेकिन समस्याओं को दूर नहीं कर सका समस्याएं जस की तस है।
फेडरेशन के चुनाव होते तक फेडरेशन की आंतरिक चुनाव समिति का गठन किया गया है वह फर्जी है इनके अनुशासन समिति फर्जी है। अनुशासन समिति एवं आंतरिक चुनाव आयोग का गठन मनीष मिश्रा द्वारा किया गया है। चुनाव आयोग में जितने भी सदस्य हैं वह सभी मनीष मिश्रा के ही गुर्गे हैं। साथ ही अनुशासन समिति के सारे सदस्य भी मनीष मिश्रा के गुर्गे ही हैं। कार्यवाहक अध्यक्ष की कोई बात ही नहीं है यह कोई राज्य सरकार या केंद्र सरकार का मुखिया होने की बात नहीं है।
संगठन शिक्षकों का एक संघ है ऐसे में जब प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है तो चुनाव आयोग समस्त 33 जिला अध्यक्षों को होने चाहिए। समस्त 33 जिलाध्यक्ष एवं 146 विकासखंड अध्यक्ष लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित हुए हैं चुनाव की कार्यकारिणी का देखरेख 27 जिलाध्यक्ष और 146 अध्यक्ष को मिलकर करना चाहिए। यही अनुशासन समिति प्रभारी भी रहेंगे।
मनीष मिश्रा द्वारा गठित कार्यकारिणी को सिरे से खारिज किया जाना चाहिए।

सामूहिक नेतृत्व से ही दूर होगा सहायक शिक्षकों की संपूर्ण समस्याएं –
यदि वाकई में प्रदेश के सहायक शिक्षक चाहते है कि उनकी सभी समस्याएं दूर हो तो समस्त 27 जिलाध्यक्ष एवं 146 विकासखंड अध्यक्षों को चाहिए कि वे सभी मनीष मिश्रा के मोह जाल से बाहर निकल कर एक अध्यक्ष की प्रक्रिया को खत्म कर सामूहिक नेतृत्व तैयार करते हुए पुराने सभी 13 प्रदेश संयोजक ओं को यथावत प्रदेश नेतृत्व की कमान सौंपने चाहिए।
मनीष मिश्रा द्वारा एक अध्यक्ष बनकर लगातार 3 साल तक मनमानी किया गया, फेडरेशन के शीर्ष नेतृत्व में सामूहिक नेतृत्व की परंपरा को मनीष मिश्रा ने ही बर्बाद किया। संगठन में घुसते ही एक प्रदेश अध्यक्ष बनाने की रट लगाया। मार्च दो हजार अट्ठारह में गलत चुनाव कराकर प्रदेश अध्यक्ष बन बैठा जब विरोध हुआ तो जून 18 में उस को भंग कर सितंबर 2019 में फिर से अध्यक्ष बन बैठा। जहां नकली डाक मतपत्र सहित नाना प्रकार के भ्रष्टाचार किया। 3 साल तक लोगों की समस्याओं को हल करने के बजाय बंदर की तरह इस डाल से उस डाल कूदते रहा।
वेतन विसंगति का शिगूफा मनीष द्वारा ही छोड़ा गया। प्रदेश सरकार ने वेतन विसंगति है ही नहीं कहकर इससे इंकार कर दिया है। वेतन विसंगति के नाम पर 5200 + 2400 के आगे कुछ नहीं मिलेगा। प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवागणना से ही सहायक शिक्षकों की समस्याओं का संपूर्ण समाधान होगा।
सभी 27 जिलाध्यक्ष एवं एक सौ छियालिस विकासखंड अध्यक्ष को चाहिए कि राजधानी रायपुर में तत्काल आपात बैठक कर 13 प्रदेश संयोजकों को सामूहिक नेतृत्व में यथावत प्रदेश की कमान सौंपी जानी चाहिए, जिससे सभी मिलकर सामूहिक नेतृत्व में ही वर्ग 3 की समस्याओं को हल करेंगे।
*मध्यावधि चुनाव के जगह पूरे प्रदेश में एक साथ ऐसे विकासखंड जहां पर बीच-बीच में चुनाव हुए थे वहां पर फिर से ब्लॉक अध्यक्ष का निर्वाचन नए सिरे से लोकतांत्रिक तरीके से होने चाहिए -*
जैसे प्रदेश के खैरागढ़ विधानसभा में तत्कालीन विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद मध्यावधि चुनाव हुए हैं वहां पर यशोदा वर्मा विधायक चुनी गई हैं। चूंकि अगले साल 2023 में खैरागढ़ सहित संपूर्ण 90 विधानसभा में एक साथ लोकतांत्रिक तरीके से विधानसभा का चुनाव होगा। ठीक उसी प्रकार जिन जिन ब्लॉकों में सहायक शिक्षक फेडरेशन का ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव बीच-बीच में हुआ है वहां पर अभी पुराने लोग यथावत अध्यक्ष बने हुए हैं। इन जगहों पर अभी चुनाव नहीं हुआ है अतः उन सभी जगहों में ब्लॉक अध्यक्ष के चुनाव को भंग कर नए सिरे से चुनाव होने चाहिए।
इस प्रकार मनीष मिश्रा को इस्तीफे का नाटक बंद कर दोबारा अध्यक्ष का दावेदारी नहीं करनी चाहिए एवं अन्य लोगों को नेतृत्व का मौका मिले साथ ही सामूहिक नेतृत्व में काम होनी चाहिए। तभी सहायक शिक्षकों का संपूर्ण समस्या का स्थाई समाधान होगा।
सहायक शिक्षक फेडरेशन का गठन सहायक शिक्षकों की सभी समस्याओं के समाधान के लिए किया गया है ना कि मनीष मिश्रा को आजीवन अध्यक्ष बनाने के लिए। इस बात को सभी 27 जिला अध्यक्ष और 146 विकासखंड अध्यक्ष साथी समझे और नए सिरे से सामूहिक नेतृत्व में फेडरेशन का कमान सौंपी अन्यथा सहायक शिक्षको का कभी भला नहीं हो सकता।


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